Dairy Milk: अब AI तकनीक से घटेगी दूध की लागत और पशुपालकों का बढ़ेगा मुनाफा, जानें कैसे

Dairy Milk: अब AI तकनीक से घटेगी दूध की लागत और पशुपालकों का बढ़ेगा मुनाफा, जानें कैसे

आर्टिफिशल इंटेलीजेंस (एआई) एक्सपर्ट का दावा है कि एआई की मदद से पशुओं की चारे की जरूरत का पता लगाने के साथ ही उनकी बीमारियों को भी कंट्रोल किया जा सकता है. यही दोनों वो चीज हैं जो लागत को प्रभावित करती हैं. लेकिन एआई की मदद से ऐसा करना बहुत आसान है. 

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नासि‍र हुसैन
  • NEW DELHI,
  • Aug 11, 2024,
  • Updated Aug 11, 2024, 6:55 PM IST

आज हर कारोबारी सेक्टर में आर्टिफिशल इंटेलीजेंस (एआई) की एंट्री हो रही है. कुछ तो ऐसी जगह हैं जहां एआई की मदद से काम भी शुरू हो गया है. आपको जानकार शायद हैरानी होगी, लेकिन ये हकीकत है कि आज एआई की मदद से पशुपालन किया जा रहा है. एक्सपर्ट की मानें तो एआई की मदद से पशुपालन और डेयरी के सेक्टर में ना सिर्फ लागत कम हो रही है, बल्कि  उत्पादन और प्रोडक्ट के दाम बढ़ने की भी पूरी संभावना है. एक्सपर्ट दावा करते हैं कि अगर एआई का पशुपालन में इस्तेमाल किया जाता है तो दूध की लागत 10 फीसद तक कम हो जाती है. 

लेकिन ये सब मुमकिन होता है डाटा से. और एआई की मदद से आप पशुपालन और डेयरी से जुड़े हर मिनट के छोटे से छोटे डाटा का स्टोर कर सकते हैं. एक्सपर्ट का कहना है कि अभी तक पशुपालन-डेयरी में कहीं भी एक जगह डाटा स्टोर नहीं है. पशुपालक तो अभी डाटा के बारे में सोचते तक नहीं हैं. लेकिन एआई का इस्तेमाल कर डाटा कलेक्शन किया जाता है तो इससे पशुपालन और डेयरी सेक्टर में एक बड़ा बदलाव आ सकता है. 

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दूध की लागत कम करके ऐसे बढ़ेगा मुनाफा

एआई एक्सपर्ट बीएम खान ने किसान तक को बताया कि पशुपालन हो या फिर मुर्गी और मछली पालन, सबसे जयादा लागत चारे और दाने पर आती है.  जबकि पशुपालन में तो पशुओं को हरे-सूखे चारे के साथ ही मिनरल्स भी दिए जाते हैं. फिर भी प्रति पशु दूध उत्पादन के मामले में हमरा देश बहुत पीछे है. अगर एआई का इस्तेमाल किया जाए तो लागत कम कर प्रति पशु उत्पादन भी बढ़ाया जा सकता है. इस मामले में एआई की मदद से पशुओं की हैल्थ मॉनिटरिंग की जाती है.

जैसे दूध देने वाली अगर भैंस है तो उसकी उम्र, भैंस का वजन, हर रोज दिए जाने वाले दूध की मात्रा कितनी है आदि. हर रोज के ये आंकड़े जमा करने के बाद इसी आधार पर पशु फिर वो चाहें गाय हो या भैंस उसकी खुराक तय की जाती है. मतलब गाय-भैंस की खुराक में कितना हरा चारा देना है या फिर कितना सूखा चारा खिलाना है. खुराक में शामिल किए जाने वाले मिनरल्स की मात्रा भी इन्हीं आंकड़ों के हिसाब से तय की जाती है.

प्रोडक्ट की एक-एक जानकारी देंगे तो मिलेंगे दाम 

खान का कहना है कि पहले के मुकाबले अब ग्राहक बहुत जागरुक हो चुके हैं. अगर फूड आइटम की बात करें तो अभी तक ग्राहक पैकेट पर बनने की तारीख से लेकर इस्तेमाल करने या कह लें एक्सपायरी डेट देखता था. लेकिन अब ग्राहक यह भी जानना चाहता है कि उस प्रोडक्ट में क्या-क्या शामिल है. वो आया कहां से. बढ़ती हुई बीमारियों ने भी लोगों को जागरुक किया है. लेकि‍न एआई की मदद से सिर्फ एक क्यूआर कोड से आप अपने प्रोडक्ट से जुड़ी एक-एक जानकारी अपने ग्राहक को दे सकते हैं.

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अगर हम डेयरी प्रोडक्ट की बात करें तो आप अपने ग्राहक को बता सकते हैं कि दूध का जो पैकेट उसने खरीदा है वो दूध किस गांव और शहर से आया है. किस नस्ल की गाय और भैंस का दूध है. गाय-भैंस को वक्त से कौन-कौनसी वैक्सीन लग चुकी हैं. गाय-भैंस को कोई बीमारी तो नहीं है. दूध के कौन-कौन से टेस्ट हुए हैं. दूध में फैट और एसएनएफ की मात्रा कितनी है. और इस लेवल की जानकारी से ग्राहक को संतुष्ट करने के बाद आप उससे एक-दो रुपये लीटर जयादा भी ले सकते हैं. 
 

 

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