Stray Animal: दूध ना देने वाले पशुओं को पालने पर मिले सब्सिडी, संसद की इस कमेटी ने की मांग

Stray Animal: दूध ना देने वाले पशुओं को पालने पर मिले सब्सिडी, संसद की इस कमेटी ने की मांग

सिर्फ यूपी, राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा और पंजाब ही छुट्टा पशुओं से परेशान नहीं हैं. और दूसरे राज्यों में भी छुट्टा पशुओं से जुड़ी ये परेशानी बड़ी होती जा रही है. इसी को देखते हुए कृषि‍ से जुड़ी संसदीय स्थायी समिति (PSC) ने सरकार से पशुपालकों को फायदा देने वाली स्कीम लागू करने की मांग की है.  

नासि‍र हुसैन
  • NEW DELHI,
  • Jan 17, 2025,
  • Updated Jan 17, 2025, 1:34 PM IST

गली-मोहल्लों, सड़क और खेतों में घूमने वाले छुट्टा जानवर परेशानी का सबब बनते जा रहे हैं. खासतौर पर आरोप लगते हैं कि छुट्टा गायों के चलते खेतों में खड़ी फसल खराब हो रही हैं. सड़कों पर भी गाय-बैल के चलते एक्सीडेंट होने लगे हैं. इसी को देखते हुए कृषि‍ से जुड़ी संसदीय स्थायी समिति (PSC) ने सरकार से एक बड़ी मांग की है. कमेटी का कहना है कि छुट्टा जानवरों की परेशानी को खत्म करने के लिए सरकार सब्सिकडी दे. जो दूध ना देने और पशुपालक के किसी काम ना आने वाले पशु हैं उनका पालन करने पर सरकार सब्सिडी दे. 

ऐसा होने से पशु खेत और सड़कों पर छुट्टा नहीं घूमेंगे. वहीं गौशालाओं को बढ़ावा दिया जाए. साथ ही छुट्टा घूमने वाले पशुओं की आबादी पर बंदिश लगाई जाए. संसद की इस कमेटी ने केन्द्र सरकार से पशु बीमा के लिए बजट आवंटन बढ़ाने की भी मांग की है.  

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पढ़ें, संसद की कमेटी ने सरकार से क्या कहा 

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस सांसद चरनजीत सिंह चन्नी कृषि विषयों से जुड़ी एक संसदीय स्थायी समिति (पीएससी) के अध्यक्ष हैं. इस कमेटी ने ही छुट्टा पशु पालने वाले पशुपालकों को सब्सिुडी देने की मांग की है. कमेटी ने केन्द्रीय पशुपालन और डेयरी मंत्रालय की सेक्स सॉर्टेड सीमन तकनीक का इस्तेमाल करके नर गोजातीय बछड़ों के जन्म को नियंत्रित करने के लिए तारीफ की है. कमेटी का कहना है कि इस तकनीक से 90 फीसद सटीकता दर के साथ केवल मादा बछड़े पैदा होते हैं.  कमेटी का कहना है कि मौजूदा पशुधन आबादी 19 करोड़ से ज्यादा मवेशियों और 10 करोड़ से ज्यादा भैंसों में से छुट्टा पशुओं की वृद्धि को रोकना बहुत जरूरी है. 

इसके लिए ये भी बहुत जरूरी है कि पशुपालकों को प्रोत्साहन राशि‍ या सब्सिडी दी जाए. जिससे पशुपालक किसी काम के ना रह गए पशुओं को अपने खूंटे पर बांधकर पाल सकें. साथ ही गौशालाओं का बजट भी बढ़ाया जा सकता है जिससे पशुपालकों के पास दूध ना देने वाले पशुओं को रखने के विकल्प हों.  

पशुपालकों को चारा क्षेत्र में बनाया जाए आत्मनिर्भर 

कमेटी ने केन्द्र सरकार को सुझाव देते हुए यह भी कहा कि पशुपालन और डेयरी विभाग के अपर्याप्त बजट प्रावधान के कारण पशुधन बीमा के लिए केंद्र प्रायोजित राष्ट्रीय पशुधन मिशन के तहत पशुधन आबादी के केवल एक फीसद हिस्से को कवर कर रहा है. रिपोर्ट में समिति ने कहा है कि पशुपालन-पशुधन गतिविधियों में लगे 10 करोड़ से अधिक पशुओं के जोखिम को देखते हुए सरकार को तत्काल व्यापक पशुधन बीमा योजना शुरू करनी चाहिए, जिससे 53.5 करोड़ पशुधन आबादी को इस योजना के दायरे में लाया जा सके. समिति ने सिफारिश की है कि पशुधन बीमा योजना के क्रियान्वयन के लिए सरकार द्वारा अधिक आवंटन उपलब्ध कराया जा सकता है. कमेटी ने केंद्र सरकार से मवेशियों के चारे और चारे की उपलब्धता में आत्मनिर्भरता के लिए काम करने की बात भी कही है. 

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