राजस्थान सरकार ने 24 अप्रैल से प्रदेशभर में महंगाई राहत कैंपों की शुरूआत की है. इन कैंपों में ग्रामीण स्तर पर काफी रुझान दिखाई दिया है. इसके तहत राज्य सरकार ग्राम पंचायत स्तर पर अपनी प्रमुख 10 योजनाओं का लाभ लोगों को दे रही है. इन्हीं 10 योजनाओं में से एक योजना पशुपालन विभाग से भी जुड़ी कामधेनू बीमा योजना भी है. पहले ही दिन प्रदेशभर में मुख्यमंत्री कामधेनू बीमा योजना में 90,453 परिवारों ने अपना पंजीयन करवाया है. इसके तहत प्रत्येक परिवार में दो दुधारू गायों का 40 हजार रुपये तक का बीमा किया जा रहा है. बता दें कि महंगाई राहत कैंप 30 जून तक ग्राम पंचायत स्तर पर लगेंगे.
मुख्यमंत्री कामधेनू योजना से प्रदेश में ना सिर्फ पशुधन विकास होगा. बल्कि इससे निराश्रित गायों की संख्या में भी कमी होगी. सरकार का दावा है कि बीमा होने से पशुपालक गायों को ब्याने के बाद भी अपने साथ रखेंगे. इससे धीरे-धीरे निराश्रित पशुओं की संख्या घटेगी. साथ ही गायों में होने वाले रोगों से यदि उनकी मृत्यु होती है तो पशुपालकों को आर्थिक हानि से बचाया जा सकेगा. क्योंकि पशुपालकों को बीमा की राशि बतौर मुआवजा या आर्थिक सहायता दी जाएगी. कैंप में अपनी गायों का बीमा कराने आए पशुपालक और किसान महापुरा गांव के रहने वाले हैं. वे बताते हैं, “मुख्यमंत्री कामधेनू बीमा योजना से उन्हें काफी सहयोग मिलेगा. साथ ही पशुधन में वृद्धि होगी और आय में भी बढ़ोतरी होगी.”
कैंप का अनुभव बताते हुए उन्होंने कहा कि सिर्फ जन आधार कार्ड के माध्यम से कुछ ही देर में उनका बीमा की प्रक्रिया पूरी कर दी गई. इससे पशुओं की असमय होने वाली मौत के बारे में अब चिंतित नहीं है.
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कैंप में बीमा कराने आए एक और पशुपालक गिर्राज सिंह ने कहा कि कामधेनू बीमा योजना से पशुओं में होने वाली बीमारियों से होने वाले आर्थिक नुकसान की कुछ हद तक भरपाई हो जाएगी. जिस तरह कोरोना महामारी के बाद राजस्थान भर में लंपी बीमारी से गायों की मौत हुई.
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उससे किसानों और पशुपालकों को काफी आर्थिक हानि हुई. लेकिन इस योजना के बाद अगर इस तरह की कोई बीमारी आती है तो हमें बहुत ज्यादा नुकसान नहीं होगा. हालांकि सरकार ने लंपी बीमारी से मरी गायों के लिए भी 40 हजार प्रति गोवंश मुआवजा देने की बात कही है, लेकिन उसके नियम थोड़े जटिल हैं.
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