यूं तो राजस्थान मरुस्थल है, लेकिन यह बाहरी लोगों के लिए किसी आश्चर्य से कम नहीं है कि प्रदेश में बड़ी संख्या में मछली पालन भी होता है. इन मछली पालक किसानों को सरकार अपनी योजनाओं से लाभ देने की कोशिश भी करती रहती है. इस बार राजस्थान सरकार ने मॉनसून को देखते हुए प्रदेश के 20 हजार किसानों को मछली के बीज निशुल्क देने की घोषणा की है. इन किसानों को सरकार मछली के बीज उपलब्ध कराएगी.
प्रदेश में मछली पालन को प्रोत्साहित करने के मकसद से राज्य सरकार हर साल मछली पालने वाले किसानों के लिए बीज उपलब्ध कराती है. इस बार भी सरकार राजस्थान के 20 हजार किसानों को मछली के बीज उपलब्ध कराएगी. इसके लिए तैयार किया प्रस्ताव को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंजूरी दे दी है. यह मंजूरी दो करोड़ रुपये की है.
मत्स्य विभाग के प्रस्ताव के अनुसार प्रति किसान/डिग्गी भारतीय मेजर कॉर्प प्रजाति (रोहू, कतला एवं म्रिगल) के एक हजार आंगुलिका (फिंगरलिंग) आकार के मत्स्य बीज उपलब्ध करवाए जाएंगे. इस पर कृषक कल्याण कोष से दो करोड़ की राशि व्यय की जाएगी.
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उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट वर्ष 2023-24 में इस संबंध में घोषणा की थी. इसमें चयनित किसानों को जिला स्तर पर प्रशिक्षण भी मिलेगा. मत्स्य विभाग के जिला स्तरीय अधिकारियों, कृषि विभाग के ब्लॉक स्तरीय अधिकारियों द्वारा किसानों को संभावित समस्याओं के निराकरण एवं तकनीकी मार्गदर्शन प्रदान किया जाएगा.
राजस्थान सरकार ने बारिश के मौसम में मछली के प्रजनन को देखते हुए मछली पकड़ने पर रोक लगाई है. एक आदेश के तहत सरकार ने पूरे प्रदेश में 16 जून से 31 अगस्त 2023 तक जलाशयों से मछली पकड़ने, उसकी खरीद-बिक्री करने पर तुरंत प्रभाव से रोक लगा दी है.
बता दें कि मॉनसून का सीजन मछलियों के प्रजनन का सीजन होता है. इसीलिए सरकार ने साफ जलाशयों से मछली पकड़ने पर रोक लगाई है. ताकि मछलियों के प्रजनन में किसी तरह का व्यवधान ना आए.
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राजस्थान में मछली का बीज का 10 जगहों पर उत्पादन किया जाता है. इनमें उदयपुर, हनुमानगढ़, जयसमंद, भरतपुर, भीलवाड़ा, कोटा, बांसवाड़ा और अलवर में बीज उत्पादन फार्म हैं. कोटा में सबसे अधिक तीन मछली बीज उत्पादन फार्म खुले हुए हैं.