मई में क्यों छाया दिसंबर जैसा कोहरा? जानें आखिर गर्मी के मौसम में इस ठंड की वजह क्या है

मई में क्यों छाया दिसंबर जैसा कोहरा? जानें आखिर गर्मी के मौसम में इस ठंड की वजह क्या है

मौसम विभाग की भविष्यवाणी मानें तो दिल्ली और उसके नजदीक बादल छंटने का सिलसिला शुरू हो गया है. इसी वज़ह से गुरुवार की रात और सुबह में तापमान अचानक गिर गया और मौजूद नमी ने कोहरे की शक्ल ले ली. यही वजह है कि दिल्ली एनसीआर सहित रोहतक में भी कोहरा देखा गया.

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मई में क्यों छाया दिसंबर जैसा कोहरा? जानें आखिर गर्मी के मौसम में इस ठंड की वजह क्या हैदिल्ली एनसीआर में मई महीने में छाया कोहरा

दिल्ली में आज (गुरुवार) की सुबह मौसम ने सबको चौंका दिया. लोगों की नींद खुली तो आसमान में कोहरा था. तापमान भी दिल्ली और एनसीआर में तकरीबन 15-16 डिग्री सेल्सियस के आस-पास बना हुआ था. पिछले कई दिनों से हो रही बारिश की वज़ह से दिन के तापमान यानी अधिकतम तापमान में गिरावट तो देखी ही जा रही थी. बादल के थोड़ा छंटने के साथ ही रात और सुबह के तापमान में आई कमी ने कोहरा बना दिया. बारिश की वज़ह से नमी यानी आर्द्रता तो मौसम में पहले से ही काफी ज़्यादा मौजूद थी. लेकिन मौसम वैज्ञानिकों से लेकर आम लोगों को जो बात चौंका रही है, वो है कि मई के महीने में कोहरा क्यों? जिस महीने में लू चलती है, उस महीने में इतना कम तापमान क्यों? लोग इस बात से हैरान हैं कि ऐसा बदला-बदला मौसम का मिजाज आखिरकार क्यों है. 

दिल्ली में बारिश होने की मुख्य वज़ह वेस्टर्न डिस्टरबेंस अर्थात पश्चिमी विक्षोभ है. आम तौर पर पश्चिमी विक्षोभ मध्य सागर (मेडिटेरेनियन सी) से चलने वाली नमी भरी हवाओं से आता है. भारत के उत्तरी इलाकों में इसकी वज़ह से आम तौर पर अक्टूबर से लेकर फरवरी के महीने तक ही बारिश देखने को मिलती है. जैसे-जैसे सूरज चढ़ता है, वैसे-वैसे इसका असर भारत में नहीं दिखाई देता. कई बार अप्रैल के महीने तक एक्टिव वेस्टर्न डिस्टरबेंस देखा जाता है, लेकिन मई के महीने में ऐसा सिस्टम बनना काफी कम देखा गया है. 

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इस वजह से बना कोहरा

मौसम विभाग की भविष्यवाणी मानें तो दिल्ली और उसके नजदीक बादल छंटने का सिलसिला शुरू हो गया है. इसी वज़ह से गुरुवार की रात और सुबह में तापमान अचानक गिर गया और मौजूद नमी ने कोहरे की शक्ल ले ली. लेकिन मौजूदा वेस्टर्न डिस्टरबेंस इस बार मई के महीने में बना आखिरी विक्षोभ नहीं है. पांच मई से एक और वेस्टर्न डिस्टरबेंस उत्तरी भारत का रुख कर रहा है, जो पहाड़ों पर बर्फबारी और मैदानी इलाकों में बारिश का एक नया स्पेल ले कर आ सकता है. इस तरह आठ मई तक बादलों की आवाजाही बनी रहेगी.

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वेस्टर्न डिस्टरबेंस का असर

एक बात तो तय है कि असामान्य महीनों में वेस्टर्न डिस्टरबेंस का आना चौंकाने वाला है और इसके पीछे मौसम वैज्ञानिकों को कोई खास वज़ह भी नहीं दिखाई दे रही है. लेकिन इस तरह के बदलावों ने क्लाइमेट चेंज पर बहस को एक नया मोड़ दे दिया है. ऐसा माना जा रहा है कि पिछली बार गर्मी के महीनों में इतने सारे वेस्टर्न डिस्टरबेंस लगभग 55 साल पहले सन 1969 में आए थे. ठीक जिस समय उत्तरी राज्यों में बारिश का सिलसिला चल रहा है ठीक उसी समय बंगाल की खाड़ी में एक चक्रवातीय सिस्टम (साइक्लोनिक सिस्टम) भी तैयार हो रहा है, जो पूर्वी तट पर अच्छी खासी बारिश अगले कुछ दिनों में करेगा. तो कुल मिलाकर देश भर के लिए मई में हीट वेब की बजाय चर्चा का विषय बारिश और सुहाना मौसम बना हुआ है.

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