पहाड़ों में बर्फबारी होते ही पर्यटकों का मन मचलने लगता है. साथ ही बर्फबारी को देखकर किसानों के भी चेहरे खील उठते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि बर्फबारी से खेती को हमेशा नुकसान ही नहीं होता है बल्कि इससे फसलों को फायदा भी होता है. वहीं सर्दी के मौसम की पहली बर्फबारी रबी की फसलों के लिए बेहद लाभदायक साबित होती है. इससे पहाड़ों में उगाई जाने वाली फसलों के उत्पादन में बढ़ोतरी होती है.
इस बार लगातार हो रही अच्छी बर्फबारी से सेब उत्पादकों के चेहरों पर लाली छाई हुई है. दिसंबर के मौसम से उत्साहित बागवानों को उम्मीद है कि मार्च तक यह क्रम बना रहा तो इस मर्तबा अच्छी फसल की उम्मीद जताई जा सकती है.
बर्फ़ मिट्टी को नमी देती है जिससे फसलों को उगने में मदद मिलती है. ठंड के दिनों में बर्फबारी बढ़ते मौसम के दौरान मदद करती है, क्योंकि बर्फ पिघलने के साथ ही मिट्टी में चली जाती है. वहीं बिना जुताई वाले खेत बर्फ को रोकने में मदद करते हैं और बहाव को कम करते हैं. बाद में जब बर्फ पिघलती है तो मिट्टी को बराबर नमी मिलती है जिससे फसलों को फायदा होता है.
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गेहूं की फसल पर बर्फ की पतली चादर जम जाने से फसल को ठंडे झोंके और ठंड से राहत मिलती है. ऐसा देखा जाता है कि पहाड़ी इलाकों में अगर गेहूं पर बर्फ की पतली चादर न हो तो अधिक ठंड से पौधे मर जाते हैं. इस घटना को विंटर किल कहते हैं. एक पुरानी कहावत है कि बर्फ की पतली चादर गरीब किसानों की फसलों की अच्छी खाद है. बर्फ में हल्का नाइट्रोजन भी होता है जो खाद का काम करता है. वहीं यह नाइट्रोजन मौजूदा फसल के साथ ही अगली फसल के लिए भी खाद का काम करती है.
बर्फ में पानी की मात्रा अलग-अलग होती है. सामान्य नियम यह है कि दस इंच बर्फ 1 इंच पानी या 10:1 के बराबर होती है. इस तरह बर्फ की चादर मोटी हो तो फसलों को नुकसान भी हो सकता है, क्योंकि उससे पानी की मात्रा अधिक होगी. लेकिन बर्फ कम हो तो फसलों को उचित पानी की मात्रा मिलेगी और सिंचाई का काम होगा.
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