देश के कई हिस्सों से मॉनसून की विदाई होने लगी है हालांकि जाते-जाते भी कुछ राज्यों में यह बरसकर जा रहा है. मौसम विभाग के अनुसार इस साल मॉनसून जल्दी आया तो तीन दिन पहले जल्दी वापस भी जा रहा है. वहीं अब मॉनसून के बाद आने वाले सर्दी के मौसम को लेकर बड़ा अपडेट सामने आया है. मौसम विज्ञानियों ने चेतावनी दी है कि इस साल के अंत में ला नीना की स्थिति फिर से आ सकती है. इसके साथ ही भारत में सामान्य से ज्यादा सर्दी पड़ने की संभावनाएं बढ़ गई हैं.
अमेरिका के नेशनल वेदर सर्विस क्लाइमेट प्रीडिक्शन सेंटर ने 11 सितंबर को कहा कि अक्टूबर और दिसंबर 2025 के बीच ला नीना डेवलप होने की 71 फीसदी संभावना है. दिसंबर-फरवरी 2026 के लिए यह संभावना घटकर 54 प्रतिशत रह जाती है, लेकिन ला नीना वॉच अभी भी लागू है. ला नीना, अल नीनो-दक्षिणी दोलन (ENSO) चक्र का ठंडा चरण, भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में समुद्र के तापमान को बदलता है और दुनिया भर के मौसम पर बड़ा प्रभाव डालता है. भारत के लिए, इसे अक्सर सामान्य से कम सर्दियों के तापमान से जोड़ा जाता है.
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने अपने नवीनतम ENSO बुलेटिन में कहा कि प्रशांत महासागर में वर्तमान में तटस्थ परिस्थितियां बनी हुई हैं लेकिन साथ ही यह भी कहा कि मॉनसून के बाद ला नीना की संभावना बढ़ जाती है. आईएमडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'हमारे मॉडल इस साल अक्टूबर-दिसंबर के दौरान ला नीना डेवलप होने की अच्छी संभावना (50 फीसदी से ज्यादा) दर्शाते हैं. ला नीना आमतौर पर भारत में ठंडी सर्दियों से जुड़ा होता है.' उन्होंने आगे कहा कि जलवायु परिवर्तन इसकी गंभीरता को कुछ हद तक कम कर सकता है.
प्राइवेट वेदर फोरकास्ट एजेंसी स्काईमेट वेदर ने भी प्रशांत महासागर में ठंड के संकेत देखे हैं. स्काईमेट के अध्यक्ष जीपी शर्मा ने कहा, 'महासागर पहले से ही सामान्य से ठंडा है हालांकि अभी ला नीना की सीमा तक नहीं पहुंचा है. एक अल्पकालिक ला नीना घटना की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.' उन्होंने आगे कहा कि प्रशांत महासागर का ठंडा पानी अक्सर उत्तरी और हिमालयी क्षेत्रों में कठोर सर्दियों और अधिक बर्फबारी का कारण बनता है.
आईआईएसईआर मोहाली और ब्राजील के राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान की ओर से साल 2024 में हुई एक रिसर्च में पता चला था कि ला नीना की स्थितियां उत्तर भारत में तेज शीत लहरों को शुरू करने में बड़ी भूमिका निभाती हैं. रिसर्च के अनुसार ला नीना वर्षों में अल नीनो और तटस्थ चरणों की तुलना में लंबे और ज्यादा दिनों तक लगातार शीत लहरें देखने को मिलती हैं.
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