Monsoon 2025: कब होगी मॉनसून की विदाई? IMD ने दिया बड़ा अपडेट 

Monsoon 2025: कब होगी मॉनसून की विदाई? IMD ने दिया बड़ा अपडेट 

आईएमडी ने एक बयान में कहा है 15 सितंबर के आसपास पश्चिमी राजस्थान के कुछ हिस्सों से दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की वापसी के लिए परिस्थितियां अनुकूल होती जा रही हैं. इस साल मॉनसून ने 8 जुलाई की सामान्य तिथि से नौ दिन पहले ही पूरे देश को कवर कर लिया. साल 2020 के बाद से यह सबसे जल्दी मॉनसून था जिसने उस साल 26 जून को पूरे देश को कवर कर लिया था. 

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Monsoon 2025: कब होगी मॉनसून की विदाई? IMD ने दिया बड़ा अपडेट Monsoon 2025: मॉनसून की वापसी पर आया बड़ा अपडेट

भारत के कई राज्‍यों, खासकर पहाड़ी राज्‍यों में इस बार मॉनसून ने जमकर कहर ढाया है और लोग शायद इससे आजिज भी आ चुके हैं. ऐसे में मौसम विभाग ने इसकी वापसी को लेकर एक बड़ी जानकारी दी है. भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने शुक्रवार को बताया है कि दक्षिण-पश्चिम मॉनसून 15 सितंबर के आसपास उत्तर-पश्चिम भारत से वापसी शुरू कर सकता है. प्राथमिक वर्षा प्रणाली आमतौर पर 1 जून तक केरल में प्रवेश करती है और 8 जुलाई तक पूरे देश को कवर कर लेती है.  यह 17 सितंबर के आसपास उत्तर-पश्चिम भारत से वापसी शुरू करती है और 15 अक्टूबर तक पूरी तरह से वापस लौट जाती है. 

वापसी के लिए स्थितियां अनुकूल 

आईएमडी ने एक बयान में कहा, '15 सितंबर के आसपास पश्चिमी राजस्थान के कुछ हिस्सों से दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की वापसी के लिए परिस्थितियां अनुकूल होती जा रही हैं. इस साल मॉनसून ने 8 जुलाई की सामान्य तिथि से नौ दिन पहले ही पूरे देश को कवर कर लिया. साल 2020 के बाद से यह सबसे जल्दी मॉनसून था जिसने उस साल 26 जून को पूरे देश को कवर कर लिया था. मॉनसून 24 मई को केरल पहुंचा था जो 2009 के बाद से भारतीय मुख्य भूमि पर इसका सबसे जल्दी आगमन था जब यह 23 मई को पहुंचा था. देश में अब तक मॉनसून के मौसम में 778.6 मिमी की सामान्य वर्षा के मुकाबले 836.2 मिमी वर्षा हुई है, जो 7 प्रतिशत ज्‍यादा है. 

पहाड़ी राज्‍यों में आई आफत 

उत्तर-पश्चिम भारत में 720.4 मिमी वर्षा हुई है, जो सामान्य 538.1 मिमी से 34 प्रतिशत अधिक है. असामान्य तौर पर ज्‍यादा बारिश के साथ-साथ कई चरम मौसम की घटनाएं भी हुईं. पंजाब में दशकों में सबसे भीषण बाढ़ आई, जिसमें उफनती नदियां और टूटी नहरों ने हजारों हेक्टेयर कृषि भूमि को जलमग्न कर दिया और लाखों लोगों को विस्थापित होना पड़ा. हिमालयी राज्यों में, बादल फटने और अचानक आई बाढ़ के कारण भूस्खलन हुआ और बड़े पैमाने पर क्षति हुई. हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में पुल और सड़कें बह गईं, जबकि जम्मू-कश्मीर में बार-बार बादल फटने और भूस्खलन की घटनाएं हुईं. 

पूर्वोत्तर भारत में कम बारिश 

आईएमडी ने इस अतिरिक्त बारिश का श्रेय सक्रिय मॉनसून को दिया, जो लगातार पश्चिमी विक्षोभों से और मजबूत हुए. इस वजह से इस क्षेत्र में बारिश में वृद्धि हुई. मध्य भारत में अब तक 978.3 मिमी बारिश दर्ज की गई है, जो सामान्य 882 मिमी से 11 प्रतिशत ज्‍यादा है, जबकि दक्षिणी प्रायद्वीप में सामान्य 611 मिमी से 7 प्रतिशत ज्‍यादा हुई है. पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में 949.6 मिमी बारिश दर्ज की गई है, जो सामान्य 1192.6 मिमी से 20 प्रतिशत कम है. 

क्‍यों जरूरी है मॉनसून 

मई में, आईएमडी ने अनुमान लगाया था कि जून-सितंबर मॉनसून के मौसम के दौरान भारत में 87 सेमी की दीर्घकालिक औसत वर्षा का 106 प्रतिशत होने की संभावना है.  इस 50 साल औसत के 96 से 104 प्रतिशत के बीच वर्षा को 'सामान्य' माना जाता है. मॉनसून भारत के कृषि क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण है जो करीब 42 प्रतिशत आबादी की आय का आधार है और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 18.2 प्रतिशत का योगदान देता है. साथ ही यह पीने के पानी और बिजली उत्पादन के लिए आवश्यक जलाशयों को भरने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. 

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