मौजूदा वक्त में जिस बात की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है वो मौसम. कुछ दिनों पहले तक जहां आमजन और किसान चिलचिलाती गर्मी से परेशान होकर मॉनसून का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे. वहीं मॉनसून के दस्तक देते ही देशभर के लगभग सभी राज्यों में ऐसी आफत की बारिश हो रही है जिसका न आमजन उम्मीद किए थे और ना ही किसान. कई राज्यों में भारी बारिश का रिकॉर्ड टूट गया है, तो वहीं भारी बारिश होने की वजह से कई राज्यों में बाढ़ जैसे हालात हो गए हैं. कई नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं. वहीं, मौसम का मिजाज जैसा है उससे यह लगता है कि 2013 में केदारनाथ में हुई भारी बारिश की वजह से जैसे हालात उत्पन्न हो गए थे, वैसे हालात उत्पन्न हो सकते हैं. इसके अलावा, पिछले 24 घंटे के दौरान सात राज्यों में लैंडस्लाइड और बाढ़ की अलग-अलग घटनाओं में 56 लोगों की मौत हो गई है. ऐसे में आपके जेहन में यह सवाल उठाना लाज़िमी है कि मौसम का कहर कब तक जारी रहेगा? मौसम आखिर क्यों कहर बरपा रहा है? किसान अपनी फसलों का बचाव कैसे करें? तो आइए इन सभी सवालों के बारे में विस्तार से जानते हैं-
मौसम विभाग के अनुसार, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, बिहार, सिक्किम, पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, ओडिशा, गोवा, कर्नाटक और केरल में तेज बारिश होगी. जबकि, तमिलनाडु, तेलंगाना, महाराष्ट्र और झारखंड में बिजली चमकने के साथ हल्की बारिश हो सकती है.
इसे भी पढ़ें- Monsoon Rain: कहीं आफत-कहीं राहत, भारी बारिश से चेहरे खिलने और मायूस होने का ये गणित कर देगा हैरान
मौसम विभाग के मुताबिक, 15 जुलाई तक राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में ऐसे ही बारिश होने की संभावना है. जबकि, उत्तर प्रदेश में अगले एक सप्ताह के दौरान आंधी-तूफान और बिजली कड़कने के साथ भारी बारिश होने की संभावना है. वहीं उत्तराखंड में मौसम विभाग ने 15 जुलाई तक ऑरेंज और रेड अलर्ट जारी किया है. इसके अलावा, पंजाब और हरियाणा में 13 जुलाई तक हल्की से मध्यम बारिश के साथ भारी बारिश होने की संभावना है. वहीं, जम्मू-कश्मीर में 13 जुलाई तक बारिश का ऐसा ही जारी रहेगा.
मौसम विशेषज्ञ अतुल कुमार सिंह के मुताबिक, धान के फसल में अधिक पानी की आवश्यकता होती है. हालांकि, फसल में ज्यादा पानी होने पर पानी को खेतों से बाहर निकाल दें. अन्यथा फसल खराब होने की संभावना बढ़ जाती है. यदि बुवाई करने जा रहे हैं तो, भारी बारिश के दौरान बुवाई नहीं करें. इसके अलावा, जो किसान धान की बुवाई नहीं किए हैं, वो किसान अपनी धान की नर्सरी में भी पानी को ठहरने नहीं दें. क्योंकि पानी ज्यादा ठहरने से नर्सरी खराब हो जाती है. अगर गन्ने की बात करें तो उसमें कल्ले निकाल रहे हैं. वह भी वानस्पतिक अवस्था में है. ज्यादा बारिश होने पर इसका भी विकास रुक जाता है. ऐसे में अधिक जल-भराव की स्थिति में गन्ने की फसल से भी पानी बाहर निकाल दें. वहीं, जायद की फसल को बारिश से पूर्व कटाई कर उचित स्थान पर भंडारण कर लें. इसके अलावा, बेल वाली सब्जियों के लिए मचान की व्यवस्था करें, ताकि भारी बारिश के दौरान पानी में डूबने की वजह से वो खराब नहीं हों. साथ ही बागों में भी ज्यादा देर तक पानी को ठहरने नहीं दें.
आईएमडी के अनुसार, दो मजबूत सिस्टम की परस्पर क्रिया यानी पश्चिमी विक्षोभ और मॉनसूनी हवाओं के मिलने की वजह से हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में बारिश हो रही है. वहीं आईएमडी के अनुसार जुलाई के पहले कुछ दिनों में उत्तर पश्चिम भारत में हुई भारी बारिश ने पूरे देश में बारिश की कमी को पूरा कर दिया है.
इसे भी पढ़ें- Malvi Cow: ये है सबसे खूबसूरत गाय, कीमत कम और दूध ज्यादा, पढ़ें पूरी डिटेल
हिमाचल प्रदेश और पंजाब में भारी से बहुत भारी बारिश हो रही है. वहीं, आने वाले दिनों में बारिश यहां से उत्तराखंड, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की ओर बढ़ेगी. चूंकि परस्पर क्रिया करने वाले दोनों सिस्टम बहुत मजबूत हैं. इसलिए बादल कमोबेश स्थिर हैं और एक छोटे से क्षेत्र में बहुत भारी बारिश हो रही है.
मौसम विभाग के अनुसार, ये सिस्टम 2013 में केदारनाथ में हुई बारिश जैसा ही है, क्योंकि तब भी दो समान सिस्टम एक-दूसरे से परस्पर क्रिया कर रहे थे. वहीं, इस बार इन क्षेत्रों में मॉनसूनी सिस्टम को अरब सागर और बंगाल की खाड़ी दोनों से नमी मिली रही है, जिसके परिणामस्वरूप भारी बारिश हो रही है. जबकि, उत्तराखंड संकट के दौरान, मॉनसून सिस्टम को बंगाल की खाड़ी से नमी मिल रही थी.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today