La Nina: जनवरी में आ सकता है ला-नीना, खेती-किसानी और मौसम पर ये होगा असर

La Nina: जनवरी में आ सकता है ला-नीना, खेती-किसानी और मौसम पर ये होगा असर

La Nina: भारत के मौसम की बात करें तो यहां ला-नीना और पश्चिमी विक्षोभ मिलकर बड़ा असर डालते हैं, खासकर हिमालयी क्षेत्रों में. पश्चिमी विक्षोभ यानी कि Western disturbance मौसम के लो प्रेशर एरिया की वजह से पैदा होता है जिससे बारिश सहित ठंड और अन्य मौसमी बदलावों को देखा जाता है.

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La Nina: जनवरी में आ सकता है ला-नीना, खेती-किसानी और मौसम पर ये होगा असरपहाड़ी राज्यों में बर्फबारी

La Nina: ऑस्ट्रेलिया की मौसम एजेंसी ने अनुमान लगाया है कि जनवरी में ला-नीना एक्टिव हो सकता है. अनुमान के मुताबिक यह जनवरी से मार्च 2025 तक एक्टिव रह सकता है. अगर इसकी गतिविधि बढ़ती है तो भारत सहित दुनिया के कई देशों में मौसम और खेती-किसानी पर असर हो सकता है. एशिया की जहां तक बात है तो ला-नीना की वजह से भारी बारिश और बाढ़ जैसी समस्या देखने को मिलती है. 

कुछ इसी तरह का अनुमान विश्व मौसम विज्ञान संगठन यानी कि WMO ने दिया है. वर्ल्ड मेटरोलॉजिकल ऑर्गेनाइजेशन (WMO) ने बताया है कि ला-नीना तो आएगा, लेकिन वह बेहद कमजोर और कम दिनों के लिए होगा. WMO के ताजा अपडेट के मुताबिक, ला-नीना अगले तीन महीने में एक्टिव होगा, लेकिन उसके कमजोर और कम दिनों तक रहने की संभावना है.

ला-नीना का क्या होगा असर

अगर भारत के मौसम की बात करें तो यहां ला-नीना और पश्चिमी विक्षोभ मिलकर बड़ा असर डालते हैं, खासकर हिमालयी क्षेत्रों में. पश्चिमी विक्षोभ यानी कि Western disturbance मौसम के लो प्रेशर एरिया की वजह से पैदा होता है जिससे बारिश सहित ठंड और अन्य मौसमी बदलावों को देखा जाता है. इसी विक्षोभ की वजह से ठंडी हवाएं समुद्री इलाके से चलती हैं हिमालय से टकराती हैं जिससे भारी बारिश और भारी बर्फबारी की घटनाएं होती हैं.

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हिमालयी क्षेत्र में कश्मीर की बात करें तो वहां ला-नीना और पश्चिमी विक्षोभ मिलकर बड़ा असर दिखा सकते हैं. कश्मीर में उत्तर-पश्चिमी हिमालय के अन्य भागों की तरह ला नीना के कारण आने वाले महीनों में लगातार भारी बर्फबारी और शून्य से नीचे के तापमान के साथ कठोर सर्दी का मौसम आने की उम्मीद है. रिपोर्ट में बताया गया कि 2025 की सर्दी कश्मीर में बहुत अधिक परेशान करने वाली हो सकती है क्योंकि ला-नीना और विक्षोभ मिलकर असर डालेंगे. कश्मीर सहित अन्य पहाड़ी राज्यों में क्या असर हो सकता है, आइए जानते हैं-

  1. शून्य के आसपास और उसके नीचे के तापमान में गिरावट अधिक दिनों तक रहेगी. इससे लोगों की सेहत पर दुष्प्रभाव देखा जा सकता है. पेयजल और बिजली की समस्या बढ़ सकती है. 
  2. ठंड के दिन अधिक लंबे चलेंगे. यानी इसकी अवधि लंबे दिनों तक जा सकती है. इससे शीतलहर का खतरा अधिक होने की संभावना बनेगी. शीतलहर से आम जनजीवन अधिक प्रभावित होता है.
  3. मौसम में इस तरह के बदलाव से खेती-किसानी बहुत प्रभावित होगी. इससे पाले की समस्या बढ़ेगी और रबी सीजन की फसलें चौपट हो सकती हैं. फसलों की उत्पादकता गिरेगी, जिससे खाद्य पदार्थों की कमी देखी जा सकती है.
  4. ला नीना घटनाओं के दौरान बर्फबारी और बारिश में वृद्धि से कई क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा बढ़ सकता है, विशेष रूप से वसंत ऋतु में बर्फ पिघलने के दौरान खतरा अधिक हो सकता है.
  5. कुछ फसलों में कृषि संबंधी नुकसान हो सकते हैं. जैसे केसर और सब्जियों के लिए ला-नीना नुकसान का कारण बन सकता है. अगर बर्फबारी और बाढ़ वाली स्थिति पैदा हुई तो और भी कई फसलें मारी जाएंगी.

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