दुनिया के 7 वेदर मॉडल में छह ने ला-नीना को लेकर अपना अनुमान जारी किया है. इस अनुमान के मुताबिक, नवंबर 2024 से फरवरी 2025 तक ला-नीना की परिस्थितियां बनती नहीं दिख रही हैं. सीधा शब्दों में कहें तो अगले साल फरवरी तक ला-नीना का प्रभाव नहीं रहेगा. दूसरी ओर सभी वेदर मॉडल में एक बात कॉमन है कि मार्च 2025 तक अल-नीनो न्यूट्रल रहेगा. ऑस्ट्रेलिया के ब्यूरो ऑफ मेटरोलॉजी ( BoM) ने मंगलवार को यह जानकारी दी.
ऑस्ट्रेलिया की वेदर एजेंसी ने अपने ताजा क्लाइमेट ड्राइवर अपडेट (ताजा मौसम अपडेट) में कहा है कि सात में से केवल एक वेदर मॉडल ने इस बात की संभावना जाहिर की है कि नवंबर से फरवरी की अवधि में ला-नीना एक्टिव हो सकता है. ला-नीना एक्टिव होने का नतीजा होगा कि दुनिया के कई हिस्सों में मौसम में भारी बदलाव हो सकता है. यहां तक कि तापमान में बड़ी वृद्धि दर्ज हो सकती है. इसका प्रभाव दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग दिख सकता है. इसी प्रभाव में अधिक बारिश भी दर्ज की जा सकती है.
ऑस्ट्रेलियाई वेदर एजेंसी के विपरीत अमेरिका के सीपीसी फोरकास्ट में बताया गया है कि इस बात की 60 परसेंट संभावना है कि सितंबर-नवंबर के बीच ला-नीना एक्टिव होगा. सितंबर और अक्टूबर का महीना बीत चुका है और नवंबर पूरा बचा हुआ है. इसलिए सीपीसी ने बताया है कि अभी ला-नीना के एक्टिव होने की संभावना 60 परसेंट तक बनती है. सीपीसी के मुताबिक इसकी गतिविधियां जनवरी-मार्च 2025 तक चल सकती हैं.
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अमेरिकी सीपीसी के अनुमानों पर गौर करें तो मार्च में ला-नीना अगर एक्टिव होता है तो दुनिया के कई हिस्सों में तापमान तेजी से बढ़ सकता है, हवा गर्मी हो सकती है. प्रशांत महासागर के क्षेत्र में पानी का तापमान बढ़ सकता है. दुनिया में इसका प्रभाव क्षेत्र विशेष पर निर्भर करेगा और उसी हिसाब से मौसम में बदलाव देखा जा सकता है.
ला-नीना के प्रभाव की जहां तक बात है तो अभी इसके बारे में ठीक-ठीक जानकारी नहीं है. लेकिन रिपोर्ट्स से पता चलता है कि दक्षिण अमेरिकी के कुछ हिस्सों में अधिक बारिश हो सकती है. बाढ़ के हालात भी बन सकते हैं. दूसरी ओर अमेरिकी के दक्षिणी हिस्से में सूखे की परिस्थितियां बन सकती हैं. मैक्सिको के कुछ हिस्सों में भी तापमान बढ़ने, सूखा पड़ने से पानी की कमी पैदा हो सकती है. इसका प्रभाव उत्तरी अमेरिका और दक्षिणी कनाडा में दिख सकता है जहां सामान्य से अधिक बर्फबारी हो सकती है.
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ला-नीना का प्रभाव अधिक बर्फबारी और भारी बारिश के रूप में देखा जा सकता है. इससे कृषि, इंफ्रास्ट्रक्चर और रोजमर्रा की जिंदगी प्रभावित हो सकती है. इससे पहले 2020 से 2023 तक लगातार तीन साल ला-नीना का प्रभाव देखा गया. यह अपने आप में बड़ी बात रही क्योंकि अमूमन ऐसा होता नहीं है. तीन साल लगातार ला-नीना की वजह से दुनिया के कई हिस्सों में बड़े मौसमी बदलाव देखे गए. जहां दुनिया के कई हिस्सों में सूखा रहा तो कहीं हद से ज्यादा बारिश हुई. यह स्थिति बिल्कुल असामान्य रही क्योंकि इससे पहले 1973-1976 में ही दुनिया में ला-नीना के ऐसे हालात बने थे.
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