
राज्य के किसानों की इन दिनों नजर एक ओर आसमान तो दूसरी ओर सरकार की तरफ लगी हुई है. बारिश और बिजली की आंखमिचौली ने धान की फसल पर गहरा संकट खड़ा कर दिया है. राज्य में सुखाड़ जैसी हालत बनती जा रही है. कई जिलों में बिजली और घटते जल स्तर की वजह से किसान धान की रोपनी नहीं कर पा रहे हैं. बिजली संकट की समस्या इस कदर गंभीर मुद्दा बनता चला जा रहा है कि बीते दिनों कटिहार जिले में बिजली संकट को लेकर स्थानीय लोगों के द्वारा विरोध प्रदर्शन में पुलिस की गोली से दो युवकों की मौत हो गई. जिले में अच्छी बारिश नहीं होने से बड़ी संख्या में धान की खेती नहीं हो पाई है. यहां के किसानों का कहना है कि इंद्र देव तो किसानों से नाराज हैं ही, पिछले कई दिनों से लो वोल्टेज की समस्या से धान की सिंचाई पंपसेट की मदद से नहीं हो पा रही है.
बिहार सरकार ने कृषि के लिए बारह घंटे बिजली देने की घोषणा की है. राज्य में अच्छी बारिश नहीं होने की वजह सूबे में लक्ष्य 35 लाख 97 हजार 595 हेक्टेयर की तुलना में करीब 17 लाख हेक्टेयर में ही धान की रोपनी हो पाई है. वहीं सूबे के करीब दस जिलों में संकट काफी अधिक गंभीर बना हुआ है. कटिहार जिले में करीब 151.91 हेक्टेयर में धान, मक्का, गेहूं सहित अन्य फसलों की खेती होती है. इस बार जिले में धान की खेती लक्ष्य करीब 60 हेक्टेयर के आसपास रखा गया है. लेकिन बारिश और बिजली की समस्या से किसान परेशान है.
कटिहार जिले के आजमनगर प्रखंड के अरनिहार पंचायत के रहने वाले पंकज कुमार और संजीव कुमार ने फोन पर बताया कि उनके पूरे पंचायत में करीब 15 सौ से 2 हजार एकड़ में धान की खेती हुई है. लेकिन बारिश और बिजली के अभाव में धान की फसल सूख रही है. रात दिन मिलाकर चार से पांच घंटे की बिजली में एक बीघा खेतों की सिंचाई करना काफी मुश्किल है. संजीव कुमार ने करीब 40 बीघा में धान की रोपनी पिछले समय में हुई बारिश में कर दी थी. लेकिन पिछले पंद्रह दिनों से बिजली की लो-वोल्टेज की समस्या की वजह से खेतों की सिंचाई नहीं हो पा रही है. वे कहते हैं कि अभी पानी का जलस्तर भी करीब दस फीट तक नीचे चला गया है. वहीं पंकज कुमार कहते हैं कि बिजली की आंख मिचौली की वजह से खेती प्रभावित है. जानकीनगर गांव के राजू यादव और प्राणपुर प्रखंड के रमन झा कहते हैं कि अभी पूरी तरह से खेती की सिंचाई बिजली पर निर्भर है. इसमें बिजली नहीं मिलने से काफी दिक्कत हो रही है.
कटिहार जिले में बिजली संकट का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बीते दिनों जिले के बारसोई प्रखंड कार्यालय के पास स्थित विद्युत कार्यालय के समक्ष अनियमित विद्युत आपूर्ति के विरोध में स्थानीय लोगों ने जमकर बवाल काटा. बिजली विभाग के गेट तोड़ने की कोशिश और अधिकारियों व कर्मियों को जब उपद्रवियों के द्वारा पीटा जाने लगा. तो पुलिस को मजबूरन फायरिंग करनी पड़ी. जिसमें अब तक दो लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं स्थानीय लोगों के द्वारा तीन की मौत होने की बात कही जा रही है. जिले के पुलिस अधीक्षक जितेंद्र कुमार ने कहा कि पुलिस ने आत्मरक्षा में गोली चलाई है. वहीं स्थानीय लोगों के द्वारा अनियमित विद्युत आपूर्ति व लो वोल्टेज के विरोध में जन आक्रोश रैली निकाली गई थी.
ये भी पढ़ें- Success Story: खेती के 'स्टार्ट अप' से इंजीनियर किसान ने अपनी जिंदगी में भरी मिठास
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अल्प वर्षापात से उत्पन्न स्थिति को देखते हुए अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि कृषि कार्य हेतु 12 घंटे बिजली किसानों को दिया जाए. वहीं जल संसाधन विभाग को नहरों के अंतिम छोर तक कृषि कार्य हेतु पानी पहुंचाने की बात कर चुके हैं. इसी कड़ी में कृषि मंत्री कुमार सर्वजीत केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि बिहार को केंद्र सरकार सबसे महंगी बिजली दे रही हैं. फिर वे किसानों को कृषि सिंचाई के लिए 75 पैसा प्रति यूनिट बिजली दे रहे हैं. सभी जिला अधिकारी को निर्देश दिया गया है कि वे इस बात का ध्यान दे कि किसानों को बारह घंटा बिजली मिलती रहे. इसके साथ ही जिलाधिकारी अपनी सुविधा अनुसार जिले के किस एरिया में कितनी बिजली देनी है, खुद तय कर सकते हैं.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today