राजस्थान के धौलपुर जिले में दो दिन से चल रहे खराब मौसम ने किसानों की नींद उड़ा दी है. बीती मध्य रात से शुरू हुआ बारिश (rainfall) का दौर लगातार रुक-रुक कर जारी है. बारिश के साथ चल रही हवा ने ठिठुरन बढ़ा दी है. कड़ाके की सर्दी में आमजन का जनजीवन बेहाल कर दिया है. मौसम लगातार खराब होने के कारण कड़ाके की ठंड का असर पशु पक्षियों के साथ वन्यजीवों पर भी देखा जा रहा है. रुक-रुक कर हो रही बारिश से गेहूं (rabi crop) की फसल को फायदा देखा जा रहा है, लेकिन आलू और सरसों की फसल में नुकसान होगा.
किसानों के मुताबिक, बारिश से सरसों, आलू और सब्जी की फसलों में नुकसान होने की संभावना बनी हुई है. इन दोनों फसलों में बारिश से तना गलन, फंगीसाइड और झुलसा रोग दस्तक दे सकता है. वही आलू और चना के लिए बारिश लाभकारी मानी जा रही है. जिले में अधिकांश खेती सरसों, आलू और गेहूं की फसल की जाती है. ऐसे में किसान सरसों की फसल को लेकर चिंतित दिखाई दे रहे हैं. किसानों की चिंता है कि अगर मौसम का हाल आगे ऐसा ही रहा तो फसलों को काफी नुकसान होगा.
दूसरी ओर, करौली में पश्चिमी विक्षोभ के असर के चलते क्षेत्र में पिछली आधी रात से रिमझिम बारिश का दौर जारी है. रुक-रुक कर हो रही बारिश ने किसानों की चिंता बढ़ाई है. बारिश से जहां गेहूं की फसल को फायदा होगा, वहीं सरसों की फसल में नुकसान की आशंका है. रुक-रुक कर हो रही बारिश और ठंडी हवाओं से एक बार फिर तापमान में गिरावट आई है. बारिश और ठंड के चलते लोगों की दिनचर्या अस्त-व्यस्त हो गई है. सुबह काम पर जाने वाले लोगों और छात्रों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. मौसम विभाग ने आगामी एक-दो दिन बादल छाए रहने और बूंदाबांदी से हल्की बारिश की चेतावनी दी है.
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करौली में रविवार को क्षेत्र में बादल छाए रहे और बारिश हुई. हालांकि दोपहर बाद मौसम पूरी तरह साफ हो गया. लेकिन शाम ढलते ही बूंदाबांदी शुरू हो गई और रात 12 बजे बाद क्षेत्र में ओले भी गिरे. इससे किसान और पशुपालक, जंगल में रहने वाले चरवाहे, खनन क्षेत्र में पत्थर निकालने वाने वाले मजदूर ओले और वर्षा से खासे परेशान हुए. जिले में मंडरायाल, सपोटरा, टोडाभीम, नादौती, मासलपुर आदि क्षेत्र ऐसे हैं जहां सरसों की कटाई हो रही है या हो चुकी है. उन किसानों के लिए यह बरसात आफत बनकर आई है. उनकी मेहनत पर पूरी तरह पानी फिरता नजर आ रहा है. सरकार से उन्हें मुआवजे की उम्मीद नहीं है क्योंकि जो मुआवजा दिया जाता है वह ऊंट के मुंह में जीरे के बराबर दिया जाता है.
पिछले दो दिन से आसमान में काले बादल छाए हुए हैं. रुक-रुक के बरसात का दौर जारी है. यह बरसात गेहूं की फसल के लिए फायदा देगी, लेकिन अब सरसों की फसल के लिए नुकसान हो रहा है. यहां का मौसम बहुत खराब चल रहा है. पश्चिमी विक्षोभ के चलते तीर्थ नगरी पुष्कर में सर्द हवाओं के साथ बारिश हुई. भारी बारिश के कारण पुष्कर और वहां के आसपास के इलाके में फसलों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए गिरदावरी करवाने की मांग की गई है. पुष्कर में बिजली गिरने से लगभग तीन से चार घंटे पूरी बिजली सप्लाई बाधित रही.
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रविवार सुबह से ही मंदिरों की नगरी पुष्कर को कोहरे ने अपने आगोश में ले लिया था. देर रात से शुरू हुआ बारिश का सिलसिला रविवार शाम तक लगातार जारी रहा. इससे कस्बे के वराह घाट, गुरुद्वारा और परिक्रमा मार्ग पर जलभराव हो गया. सर्द हवाओं के बीच मावठ की बारिश और 18 किलोमीटर प्रति किलोमीटर की रफ्तार से चल रही हवाओं ने पारा 18 डिग्री तक ला दिया.
पुष्कर में खेतों में खड़ी गेंहू, सरसों (mustard), चना समेत कई फसलों के लिए मावठ वरदान साबित होती है. लेकिन अत्यधिक बारिश हैं क्योंकि उनकी फसलों को नुकसान हुआ है. वहीं मेथी, गाजर, मूली पालक, आलू की फसलों को बारिश के चलते गलने का डर बरकरार है. (उमेश, गोपाल लाल और दिनेश पाराशर की रिपोर्ट)
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