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लगातार तीसरे सूखे की ओर बढ़ रहा झारखंड! 17 जिलों में सामान्य से 55 फीसदी कम हुई बारिश

लगातार तीसरे सूखे की ओर बढ़ रहा झारखंड! 17 जिलों में सामान्य से 55 फीसदी कम हुई बारिश

झारखंड के किसान इसलिए भी चिंतित हैं क्योंकि इस बार भी राज्य में 55 फीसदी से अधिक कम बारिश हुई है. रांची स्थित मौसम विज्ञान केंद्र की तरफ से जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार इस साल एक जून से 10 जुलाई तक राज्य में 135.6 मिली मीटर बारिश हुई है.

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झारखंड में बारिश की कमी (सांकेतिक तस्वीर) झारखंड में बारिश की कमी (सांकेतिक तस्वीर)

झारखंड क्या एक बार फिर सूखे की तरफ बढ़ रहा है? यह सवाल इसलिए है क्योंकि जुलाई का दूसरा सप्ताह चल रहा है और अभी तक किसानों के खेत तैयार नहीं हुए हैं. दो बार के सूखे से डरे हुए किसान नर्सरी तैयार करने से भी डर रहे हैं. किसानों की यह आशंका इसलिए भी जायज है क्योंकि जून और जुलाई महीने में हुई बारिश के आंकड़े को देखें तो स्थिति चिंताजनक बनी हुई है. झारखंड में बारिश के इस पैटर्न को देखकर इस साल के अच्छे मॉनसून के पूर्वानुमान से उत्साहित किसानों का सब्र जवाब दे रहा है.  

किसान इसलिए भी चिंतित हैं क्योंकि अब तक राज्य में 55 फीसदी से अधिक कम बारिश हुई है. रांची स्थित मौसम विज्ञान केंद्र की तरफ से जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार इस साल एक जून से 10 जुलाई तक राज्य में 135.6 मिली मीटर बारिश हुई है. जबकि इस अवधि के दौरान सामान्य बारिश 285.6 मिली मीटर होनी चाहिए. इस तरह से 10 जुलाई तक राज्य में 53 फीसदी कम बारिश हुई है. झारखंड के 17 ऐसे जिले हैं जहां पर 53 फीसदी बारिश की कमी है. जबकि सात ऐसे जिले हैं जिनकी स्थिति और भी खराब है. इन जिलों में अब तक सामान्य से 60 फीसदी कम बारिश रिकॉर्ड की गई है.

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चतरा की स्थिति सबसे गंभीर

पिछले बार की तरह इस बार फी चतरा जिले की स्थिति सबसे खराब है. इस साल भी 1 जून से 10 जुलाई तक मात्र 72.9 एमएम बारिश हुई है. जबकि सिर्फ जून महीने में ही जिले में 167 एमएम सामान्य बारिश होती है. यहां पर अब तक सामान्य से 71 फीसदी कम बारिश हुई है. वहीं पाकुड़ में इस अवधि के दौरान 110.8 एमएम बारिश हुई है जो सामान्य से 68 फीसदी कम है. इसी तरह लोहरदगा में 94.3 एमएम बारिश हुई है जो सामान्य से 67 फीसदी कम है. वहीं रामगढ़ में 67 फीसदी, पश्चिमी सिंहभूम में 64 फीसदी, पूर्वी सिंहभूम में 74 फीसदी और सरायकेला खरसावां में 70 फीसदी सामान्य से कम बारिश दर्ज की गई है. राज्य के 24 जिलों की स्थिति गंभीर हैं. 

नर्सरी भी तैयार नहीं कर पा रहे किसान

सरायकेला-खरसावां जिला अंतर्गत गम्हरिया प्रखंड के चमारू गांव के किसान प्रभात ने बताया कि इस बार भी जिले में बारिश को लेकर स्थिति गंभीर है. शुरुआती दौर में हुई बारिश के बाद कुछ किसानों ने नर्सरी तो तैयार कर ली है पर अब उसे बचाने के लिए किसानों को संघर्ष करना पड़ रहा है. पानी की कमी के बीच पौधों को बचाने के लिए सिंचाई करना पड़ रहा है. प्रभात ने कहा कि अगर और 15-20 दिनों तक यही स्थिति रहती है तो फिर से किसानों के हाथ सिर्फ निराशा ही लगेगी. उन्होंने कहा कि जिले के राजनगर क्षेत्र में तो किसानों ने नर्सरी भी तैयार नहीं की है. ऐसे में किसान कब नर्सरी तैयार करेंगे और कब धान की रोपाई करेंगे, कुछ ठिकाना नहीं.

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मौसम के हिसाब से करें खेती

रांची के बुढ़मू प्रखंड अंतर्गत बेड़वारी गांव के किसान अजय शाहदेव बड़े पैमाने पर धान की खेती करते हैं. उन्होंने बताया कि लगातार बारिश के लेट होने वाले पैटर्न को देखकर अब वो उसी के हिबास के खेती करते हैं. देरी से बारिश होती है इसलिए उन्होंने इस बार देर से नर्सरी तैयार की है ताकि बाद में भी वे धान की खेती कर सकें. चतरा जिले से मिली जानकारी के अनुसार यहां भी किसानों ने नर्सरी तो तैयार कर दी है पर पानी के अभाव में पौधे सूख रहे हैं, इससे किसानों की परेशानी बढ़ गई है. 

बारिश का पैटर्न शिफ्ट हुआ है

रांची स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के प्रधान वैज्ञानिक अजीत कुमार सिंह ने कहा कि अभी सूखा कहना थोड़ी जल्दबाजी होगी क्योंकि पिछले कुछ वर्षों के बारिश के पैटर्न को देखें तो यह पूरी तरह से शिफ्ट हो गया है. किसानों को इस बदलाव को समझना होगा. एक दशक पहले तक 15 जून से 15 जुलाई तक धान की खेती करने के लिए सबसे बेहतर समय माना जाता था, लेकिन अब राज्य में किसान 15-20 अगस्त तक भी रोपाई करते हैं. इससे उपज में फर्क जरूर पड़ता है. पर अब किसानों को समझना होगा कि मॉनसून 15 जून से नहीं आने वाला है. इसलिए उसी के हिसाब से खेती की तैयारी करनी होगी. जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम का ट्रेंड पूरी तरह से बदल चुका है. अभी सब्जी, मूंगफली, तिल और सूरगुजा की खेती करने वाले किसानों के लिए अच्छा समय है. 

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आने वाले दिनों में अच्छी बारिश की उम्मीद

अजीत कुमार ने कहा कि बारिश के पैटर्न के अलावा तापमान भी शिफ्ट हुआ है. इसलिए अभी धान की खेती के लिए बहुत देरी नहीं मानी जा सकती है. पर हां, जिन किसानों ने नर्सरी तैयार नहीं की है उन्हें एक सप्ताह के अंदर तैयार कर लेनी चाहिए. अगर 30 जुलाई तक भी बारिश नहीं होती है तो फिर यह चिंता का विषय हो सकती है. हालांकि इसमें अभी देरी है. इस बीच रांची स्थित मौसम विज्ञान केंद्र की तरफ से जारी मौसम पूर्वानुमान में कहा गया है कि अगले दो से तीन दिनों में राज्य में बारिश हो सकती है. फिलहाल राज्य में मॉनसून की रफ्तार काफी धीमी हो गई है. मौसम वैज्ञानिक अभिषेक आनंद ने कहा कि आने वाले दिनों में झारखंड में अच्छी बारिश हो सकती है.