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शंभू बॉर्डर से ग्राउंड रिपोर्ट: किसान संगठनों के लिए बड़ी राहत है पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट का आदेश, पढ़िए कैसे

शंभू बॉर्डर से ग्राउंड रिपोर्ट: किसान संगठनों के लिए बड़ी राहत है पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट का आदेश, पढ़िए कैसे

हरियाणा पुलिस के 10 फरवरी, 2024 को शंभू बॉर्डर पर बैरिकेडिंग किए जाने के बाद पंजाब के दो प्रमुख किसान यूनियनों के लगभग चार सौ सदस्य पिछले पांच महीनों से शंभू बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं. किसान यूनियन नेताओं ने ट्रैफिक के लिए हाईवे खोलने के हाई कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है. किसान यूनियनों ने अभी तक यह तय नहीं किया है कि वे अपना दिल्ली मार्च कब फिर से शुरू करेंगे. हरियाणा पुलिस गुरुवार से बैरिकेडिंग हटाना शुरू कर सकती है, अदालत के आदेश का इंतजार.

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किसान आंदोलन (सांकेतिक फोटो) किसान आंदोलन (सांकेतिक फोटो)

शंभू बॉर्डर पर बैरिकेडिंग हटाने के पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश से पिछले पांच महीनों से इस बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों को राहत मिली है. एक याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की बेंच ने हरियाणा पुलिस की लगाई गई सात लेयर की बैरिकेडिंग को एक सप्ताह के भीतर हटाने का आदेश दिया है. जजों ने पंजाब और हरियाणा सरकारों से बैरिकेड हटाने के लिए एक-दूसरे के साथ बात करने को भी कहा. लोकल लोगों और व्यापारियों के बैरिकेडिंग के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के बाद कोर्ट के निर्देश आए हैं. उनका कहना है कि प्रदर्शन से उनकी रोजमर्रा की जिंदगी प्रभावित हो रही है. नाकेबंदी के बाद नेशनल हाईवे पर कारोबार ठप हो गया. छात्रों और लोकल लोगों को भी अंबाला और राजपुरा कस्बों तक पहुंचने के लिए गांव की सड़कों का इस्तेमाल करने को मजबूर होना पड़ा.

कोर्ट ने यह भी कहा कि जब शंभू बॉर्डर पर स्थिति ठीक थी तो किसानों को आगे बढ़ने से रोकने का कोई मतलब नहीं था. केंद्र सरकार से मांग की जा रही है और उन्हें जाने दिया जाना चाहिए. हरियाणा सरकार ने सुनवाई के दौरान कोर्ट को यह भी बताया कि बैरिकेडिंग हटाने से किसानों के लिए राज्य में आना और एसपी ऑफिस का घेराव करना आसान हो जाएगा. जजों ने कहा कि विरोध करना लोकतांत्रिक अधिकार है और किसानों को हरियाणा में घुसने से नहीं रोका जा सकता.

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शांति बहाली का निर्देश

जस्टिस जीएस संधावालिया ने कहा, "वर्दीधारी लोग उनसे नहीं डर सकते...हम लोकतंत्र में रह रहे हैं, किसानों को हरियाणा में प्रवेश करने से नहीं रोका जा सकता...उन्हें घेराव करने दें." हाईकोर्ट की बेंच ने पंजाब और हरियाणा सरकारों को हाईवे की बहाली के दौरान कानून-व्यवस्था बनाए रखने का भी निर्देश दिया है. हाईकोर्ट की बेंच ने शुभकरण सिंह की एफएसएल (फोरेंसिक) रिपोर्ट पर भी विचार किया, जो एक प्रदर्शनकारी थे, जिसकी कथित तौर पर पुलिस कार्रवाई के दौरान मौत हो गई थी. हालांकि एफएसएल रिपोर्ट में कहा गया है कि उसकी मौत शॉटगन लगने से हुई थी.

भारतीय किसान मजदूर यूनियन के अध्यक्ष मनजीत सिंह घुमाना ने 'इंडिया टुडे' को बताया, "हम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं, लेकिन यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि कोर्ट ने राज्य सरकार को तीनों सीमाओं से बैरिकेडिंग हटाने का निर्देश दिया है या सिर्फ शंभू बॉर्डर से. हम कोर्ट के आदेश का इंतजार कर रहे हैं और बैठक करने के बाद आगे की कार्रवाई तय करेंगे." बीकेयू बेहरामके के एक अन्य किसान यूनियन नेता चमकौर सिंह उस्मानवाला ने कहा कि यह किसान यूनियन नहीं बल्कि हरियाणा सरकार थी जिसने सड़क को बंद किया था.

क्या कहते हैं किसान

चमकौर सिंह उस्मानवाला ने कहा, "एक दर्जन मांगें हैं, जिनमें एमएसपी पर कानूनी गारंटी भी शामिल है. अगर सरकार शंभू बॉर्डर पर ही सभी मांगें मान लेती है तो हम अपने गांव लौट जाएंगे. अगर मांगें पूरी नहीं होती हैं तो हम दिल्ली की ओर मार्च करेंगे." इस बीच, पंजाब के विभिन्न हिस्सों से करीब 400 किसान अभी भी शंभू बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं. उनमें से अधिकांश चावल की दोबारा रोपाई के बाद अपने खेतों में वापस लौट गए. अदालत के आदेश प्रदर्शनकारियों के लिए राहत की सांस लेकर आए हैं, जो कड़ाके की ठंड और चिलचिलाती धूप में डटे हुए हैं. 

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शंभू बॉर्डर पर पांच महीने से चल रहे विरोध प्रदर्शन के दौरान दो दर्जन से अधिक किसानों की मौत हो गई. किसान यूनियनों ने अभी तक यह तय नहीं किया है कि वे अपना मार्च कब फिर से शुरू करेंगे. इस सप्ताह शंभू बॉर्डर पर किसान यूनियनों की बैठक होनी थी. शंभू बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) और संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) कर रहे हैं. किसानों ने तीन प्रदर्शनकारियों की रिहाई की मांग को लेकर शंभू रेलवे स्टेशन को जाम कर दिया था, लेकिन एक महीने बाद इसे खाली करा लिया गया. किसान यूनियनों की मांगों में दो दर्जन फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी, बुजुर्ग किसानों और मजदूरों के लिए मासिक पेंशन और कर्ज माफी शामिल हैं.