भारत में मॉनसून जून से लेकर जुलाई के मध्य तक काफी सक्रिय रहा है. लेकिन अब मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, आने वाले कुछ दिनों में मॉनसून कमजोर पड़ सकता है. ECMWF (यूरोपीय मौसम संस्था) और NOAA (अमेरिकी मौसम एजेंसी) की ताज़ा रिपोर्ट्स बताती हैं कि मॉनसून कोर ज़ोन में धीरे-धीरे बदलाव आएगा. हालांकि यह बदलाव "क्लासिकल मॉनसून ब्रेक" जैसा नहीं होगा. यानी पूरे देश में सूखा और बारिश का बंद होना संभव नहीं है.
इस बार मॉनसून के शुरुआती दौर में, खासकर पश्चिम, उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत में काफी बारिश हुई है. इससे इन क्षेत्रों की ज़मीन पर बहुत ज्यादा नमी जमा हो गई है.
जब सूर्य की तपिश बढ़ेगी तो यही सतही नमी स्थानीय स्तर पर बादलों का निर्माण करेगी और बारिश की संभावना बनी रहेगी. मतलब भले ही मॉनसून थोड़ा सुस्त हो जाए, लेकिन बारिश पूरी तरह बंद नहीं होगी. इसलिए यह ब्रेक फेज बहुत लंबा नहीं होगा और बारिश समय-समय पर होती रहेगी.
मौसम मॉडल्स के अनुसार, मॉनसून ट्रफ (बारिश का मुख्य क्षेत्र) 10 जुलाई के बाद हिमालय की तलहटी की ओर खिसक सकता है. इस बदलाव का असर यह होगा कि उत्तर भारत और पूर्वोत्तर भारत में बारिश बढ़ जाएगी. खासकर उत्तराखंड, हिमाचल, बिहार, असम और अन्य पहाड़ी व उत्तर-पूर्वी राज्यों में भारी बारिश की संभावना है. बाकी भारत के हिस्सों में, जैसे मध्य और पश्चिम भारत में, मौसम थोड़ा सूखा रह सकता है.
दक्षिण भारत में लो-लेवल जेट (LLJ) नामक तेज़ हवाएं कमजोर पड़ने वाली हैं. इससे तमिलनाडु, रायलसीमा, दक्षिण आंतरिक कर्नाटक जैसे क्षेत्रों में गरज-चमक के साथ बारिश बढ़ सकती है. विशेषकर आंतरिक तमिलनाडु, कावेरी डेल्टा क्षेत्र और उत्तर तटीय तमिलनाडु में स्थानीय वर्षा की संभावना बढ़ेगी.
हालांकि मॉनसून की सक्रियता कुछ समय के लिए धीमी हो सकती है, पर सतही नमी और मौसमीय बदलावों के कारण बारिश पूरी तरह बंद नहीं होगी. इसलिए भारत में इस साल "मॉनसून ब्रेक" का फेज सामान्य से थोड़ा अलग होगा कमज़ोर लेकिन बारिश युक्त.
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