युवा किसान ने पारंपरिक खेती छोड़कर शुरू की फूलों की खेती, अब सालाना हो रहा 5 लाख रुपये मुनाफा

युवा किसान ने पारंपरिक खेती छोड़कर शुरू की फूलों की खेती, अब सालाना हो रहा 5 लाख रुपये मुनाफा

आज से 6-7 साल पहले जब फूलों की खेती का चलन कम था, तब से अशोकनगर के रहने वाले युवा किसान लक्ष्‍मण कुशवाह गेंदे की खेती कर रहे हैं. उन्‍होंने उत्‍सुकता के चलते अपने सब्‍जी के खेत में किनारे-किनारे गेंदे के पौधे लगा दिए थे, जिससे अच्‍छा मुनाफा हुआ. अब वे गेंदे की व्‍यवसायि‍क खेती करने लगे हैं. उन्‍हें देखकर गांव के अन्‍य किसान भी गेंदे की खेती करने लगे हैं.

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युवा किसान ने पारंपरिक खेती छोड़कर शुरू की फूलों की खेती, अब सालाना हो रहा 5 लाख रुपये मुनाफाफूलों की खेती

देशभर में किसान पारंपरिक फसलों की खेती के बजाय बागवानी फसलों की ओर रुख कर रहे हैं, क्‍योंकि ये कम समय में तगड़ा मुनाफा देने में सक्षम होती है. वहीं, पारपंरिक खेती के मुकाबले मेहनत भी थोड़ी कम लगती है. इसी को देखते हुए मध्‍य प्रदेश के अशाेकनगर जिले के युवा किसान लक्ष्मण कुशवाह ने भी पारंपरिक खेती छोड़कर फूलों की खेती की ओर रुख किया और अब सालाना 5 लाख तक कमाई हो रही है. उन्‍हें देखते हुए गांव के अन्‍य किसान भी फूलों की खेती करने लगे हैं. 

पहले गेहूं-धान की करते थे खेती

अशोकनगर के रहने वाले लक्ष्मण कुशवाह के पास भौरा गांव में उनकी जमीन है, जिसमें वह साल भर गेंदा की नारंगी और बिजली समते चर किस्‍म के फूलों की खेती करते हैं. उनका गांव जिला मुख्‍यालय से मात्र 6 किलोमीटर दूर है, जो पहले सब्जी की खेती के लिए जाना जाता था, लेकिन अब बड़ी संख्‍या में किसान फूल उगाने लगे हैं.

'दैन‍िक भास्‍कर' की रिपोर्ट के मुताबिक, 10 कक्षा तक पढ़े लक्ष्‍मण ने बताया कि पढ़ाई में उनका मन नहीं लगा तो उन्‍होंने खेती-बाड़ी में प‍िता का हाथ बटाना शुरू किया. उनके यहां गेहूं, सोयाबीन, धान और थोड़ी बहुत सब्जियों की खेती पारंप‍रिक तौर पर की जा रही थी, जिससे बहुत ज्‍यादा मुनाफा नहीं होता था.

सब्जी के साथ उगाए फूल तो हुआ मुनाफा

लक्षमण ने बताया कि 6-7 साल पहले उन्‍होंने ऐसे ही सब्‍जी की खेत में किनारे-किनारे गेंदे के पौधे लगा दिए, जिसमें बड़ी मात्रा में फूल की पैदावार हुई और उन्‍होंने जब इसे मंडी में बेचा तो कीमत भी अच्‍छी मिली. उस समय फूल की खेती कम ही हुआ करती थी. ऐसे में उन्‍होंने फूलों की व्‍यवसायिक खेती करने का फैसला लिया और आधे बीघे से खेती शुरू की और धीरे-धीरे रकबा बढ़ाकर 4 बीघा तक पहुंचा दिया.

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चार किस्‍में उगाते हैं लक्ष्‍मण

वहीं फूलों की खेती में नुकसान का खतरा भी कम रहता है. सब्‍जी के मुकाबले उनका मुनाफा भी दोगुना होता है. लक्ष्‍मण ने बताया कि दिवाली और शादी के सीजन में फूलों की मांग काफी बढ़ जाती है. जिससे मुनाफा और बढ़ जाता है. लक्ष्‍मण गेंदे की चार वैरायटी उगाते हैं, जिनसे अच्‍छी उपज मिलती है. वह गेंदा की पूसा संतरा, पूसा वासंती, नारंगी और बिजली की खेती करते हैं. 

लक्ष्‍मण ने बताया कि वह खेती के लिए कुछ पौधे दूसरे जिलों से खरीदकर लाते हैं और कुछ पौधे अपने यहां तैयार करते हैं. फूल बेचने के अलावा लक्ष्‍मण माला बनाकर भी बेचते हैं. दिनभर में वे करीब 300 से 400 माला बेच लेते है, जिसकी कीमत 10 रुपये से 20 रुपये तक होती है. इसमें उनके पिता और भाई समेत 4 लोग काम करते हैं. चार बीघा जमीन पर खेती से उन्‍हें 5 लाख रुपये तक का मुनाफा मिल रहा है.

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