वाह! अब हरियाणा में होगी वैजयंती के मोती वाले पौधों की खेती, लाखों की कमाई करेंगे किसान

वाह! अब हरियाणा में होगी वैजयंती के मोती वाले पौधों की खेती, लाखों की कमाई करेंगे किसान

वैजयंती का पौधा काफी गुणकारी होता है और घर में लगाना काफी अच्छा माना जाता है. यह पौधा सदियों से चला आ रहा है लेकिन किसानों को इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है. इसलिए इसकी खेती बड़े स्तर पर नहीं की जाती है. वैजयंती के मोती की माला भगवान श्री कृष्णा और मां लक्ष्मी पहनती थीं. इतना ही नहीं, गुरु नानक देव जी भी अपने हाथ में वैजयंती के मोती से बनी हुई माला रखते थे.

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वाह! अब हरियाणा में होगी वैजयंती के मोती वाले पौधों की खेती, लाखों की कमाई करेंगे किसानहरियाणा में शुरू होगी वैजयंती की खेती

हरियाणा प्रदेश कृषि के क्षेत्र में काफी पहचान रखता है क्योंकि यहां के किसान और वैज्ञानिक कृषि के क्षेत्र में नए-नए प्रयोग करके उसको मुनाफे का सौदा बना रहे हैं. और उनमें से करनाल के रहने वाले एक किसान रामविलास हैं जो अनोखे प्रकार से नर्सरी तैयार करके लाखों रुपये कमा रहे हैं. यह हरियाणा के एकमात्र ऐसे किसान हैं जो हजारों प्रकार के फूलों की वैरायटी तैयार करते हैं और देश के अलग-अलग राज्यों में लोगों तक और किसानों तक पहुंचाने का काम करते हैं. इन्होंने अपनी नर्सरी में हजारों प्रकार के पेड़ पौधे लगाए हुए हैं.

वहीं अब इन्होंने करनाल में वैजयंती का पौधा अपने फार्म की नर्सरी में लगाया हुआ है. वैजयंती काफी लाभकारी पौधा होता है जिसके मोती से माला बनाई जाती है. इसको भगवान श्री कृष्ण का प्रिय पौधा भी माना जाता है क्योंकि इसकी बनी हुई माला खुद भगवान श्री कृष्णा पहनते थे. वैजयंती का अर्थ होता है विजय दिलाने वाला, इसलिए सनातन धर्म में इसकी बहुत ज्यादा मांग रहती है और धार्मिक स्थलों पर इसकी माला 500 रुपये तक में बेची जाती है.

वैजयंती की मोती से बनाई जाती है माला

किसान रामविलास ने बताया कि वैजयंती का पौधा काफी गुणकारी होता है और घर में लगाना काफी अच्छा माना जाता है. यह पौधा सदियों से चला आ रहा है लेकिन किसानों को इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है. इसलिए इसकी खेती बड़े स्तर पर नहीं की जाती है. वैजयंती के मोती की माला भगवान श्री कृष्णा और मां लक्ष्मी पहनती थीं. इतना ही नहीं, गुरु नानक देव जी भी अपने हाथ में वैजयंती के मोती से बनी हुई माला रखते थे.

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कई मायनों में अच्छी है वैजयंती की माला

रामविलास ने बताया कि वैजयंती की माला को ज्यादातर आध्यात्मिक तौर पर ही धारण किया जाता है. यह काफी शुभ मानी जाती है क्योंकि हमारे भगवान इसको खुद धारण करते थे जिसके चलते अब इंसान भी इसको रुद्राक्ष की तरह धारण करते हैं. आध्यात्मिक के साथ-साथ शारीरिक तौर पर भी यह काफी अच्छी मानी जाती है. ऐसा माना जाता है कि यह बीपी, शुगर सहित कई बीमारियों पर नियंत्रण रखती है. इसलिए इस मोती की काफी डिमांड होती है और जो धार्मिक क्षेत्र है वहां पर इसकी माला बेची जाती है और लोग खूब खरीदारी करते हैं. वैजयंती की माला 500 रुपये से लेकर हजारों रुपये तक की हो सकती है. उन्होंने बताया कि वैजयंती के नाम पर कुछ नकली मोती भी बेचे जा रहे हैं लेकिन इस पौधे से हमें असली मोती मिलते हैं.

भगवान श्री कृष्ण को प्रिय है वैजयंती माला

आपको बता दें कि वैजयंती माला भगवान श्री कृष्ण की प्रिय वस्तुओं में से एक है. भगवान श्री कृष्ण की छह मुख्य प्रिय वस्तु है जिसमें गाय, मोर पंख, बांसुरी, मिश्री, माखन और वैजयंती माला. ऐसा माना जाता है कि मित्रों के लिए भगवान श्री कृष्णा बैजयंती माला का प्रयोग किया करते थे और उसको अपने गले में भी धारण करते थे जो धार्मिक और शास्त्रों के हिसाब से काफी शुभ मानी जाती है. इसका विशेष तौर पर हवन यज्ञ, पाठ पूजा और सात्विक साधनों में किया जाता है. वैजयंती का अर्थ होता है विजय दिलाने वाली माला. मतलब वह हर काम में विजय दिलाने वाली होती है, इसलिए इसको ज्यादातर लोग धारण करते हैं.

5 साल पहले लगाया था वैजयंती का पौधा

किसान ने बताया कि वैजयंती के बारे में बहुत जगह पढ़ा और सुना था तो मेरे अंदर भी इच्छा थी कि मैं भी इसका पौधा अपने घर पर लेकर आऊं और मैं आज से 5 साल पहले इस पौधे को अपनी नर्सरी में लगाया था. परिवार वालों को बताया था कि यह वैजयंती का पौधा है जो पत्थरों जैसे मोती देता है और इसकी माला काफी अच्छी मानी जाती है. लेकिन परिवार वालों ने उस समय कहा कि यह तो मक्के जैसा दिखाई देता है इसे कहां मोती मिलेंगे. लेकिन पहले ही साल उस पर मोती आने शुरू हो गए और अब वह दूसरे आम लोगों को और किसानों को इसके पौधे और बीज उपलब्ध करा रहे हैं.

क्या होता है वैजयंती का पौधा, कितने मिलते हैं मोती

रामविलास ने बताया कि वैजयंती का पौधा एक बार लगाया जाता है और उसमें लगाने के तीन चार महीने बाद अगस्त सितंबर में फ्लावरिंग शुरू हो जाती है और फिर सर्दियों में उसमें मोती बन जाते हैं. इन दिनों में मोती निकाल लिए जाते हैं और पौधे की जिस शाखा से हमें मोती मिलते हैं वह सूख जाते हैं लेकिन नीचे से उसमें दो गुना तीन गुना फ़ुटाव होता है. इसलिए इस पौधे को एक बार ही लगाया जाता है. उसके बाद इसे हम और भी पौधे तैयार कर सकते हैं. 

उन्होंने बताया कि पहले साल हम पौधे से 500 मोती तक ले सकते हैं लेकिन दूसरे साल से हम हजारों की संख्या में मोती ले सकते हैं. धार्मिक स्थानों पर इसकी माला की काफी डिमांड रहती है और वहां पर अच्छे दाम पर हम मोती बेच सकते हैं. उन्होंने बताया कि इस पौधे की ज्यादा देखभाल की जरूरत नहीं होती. हालांकि इसमें साल में एक बार कैल्शियम जरूर डाला जाता है क्योंकि कैल्शियम से ही मोती मजबूत बनते हैं जो सालों साल चलते हैं.

उन्होंने खुद अपने पौधे से प्राप्त हुए मोती से माला बनाई और खुद भी पहनी हुई है. इस मोती की खास बात यह होती है कि पौधे से निकलने के बाद ऊपर का हिस्सा उतरने से यह बिल्कुल चमकीला दिखाई देता है और इस दूसरे मोती की तरह सुराख करने की आवश्यकता नहीं होती. इसमें प्रकृति ने ही सुराख किया हुआ होता है जिसे आसानी से माला बनाई जाती है.

आम लोगों तक पहुंचा रहे इसका पौधा

उन्होंने बताया कि वैजयंती के पौधे के बारे में बहुत से लोगों को इसकी जानकारी नहीं है. जिन लोगों को इसकी जानकारी है वह अपने घरों में इसको जरूर रखते हैं क्योंकि यह बहुत शुभ पौधा माना जाता है और यह भगवान श्री कृष्ण का भी प्रिया पौधा होता है. लेकिन अगर कोई किसान इसकी खेती करना चाहे तो वह इससे सालाना लाख रुपये कमा सकता है. हालांकि उन्होंने सलाह दी कि अगर कोई किसान इसकी खेती करना चाहता है तो वह छोटे स्तर से इसकी शुरुआत करे ताकि इसकी पूरी जानकारी मिल सके और वह इसे मुनाफे का सौदा बना सके. 

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उन्होंने बताया कि इसका मोती बनने से पहले जो इसके ऊपर फूल आते हैं, वह भी अच्छे दामों पर बेचे जाते हैं जो सजावट और रंग बनाने के काम आते हैं. इसका पौधा 2 फीट की दूरी पर लगाया जाता है लेकिन हरियाणा में अभी तक इसकी जानकारी बहुत कम किसानों को है. इसके चलते इसकी खेती यहां नहीं की जाती. लेकिन रामविलास ने इसकी पहल की है. अब आने वाले समय में हरियाणा और भारत के अन्य राज्यों में इसकी खेती देखने को मिल सकती है जिसे किसान लाखों रुपये कमा सकते हैं.


 

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