CM Yogi भी हुए इस किसान के मुरीद, वजह पढ़कर आप भी हो जाएंगे हैरान

CM Yogi भी हुए इस किसान के मुरीद, वजह पढ़कर आप भी हो जाएंगे हैरान

भारत कृष‍ि प्रधान देश है, इसके बावजूद यहां खेती की पढ़ाई पढ़ कर खेती करने वाले किसानों की संख्या बहुत कम है. कृष‍ि विज्ञान पढ़ कर खेती करने वाले मुठ्ठी भर किसानों में, गोरखपुर के प्रगतिशील किसान इंद्र प्रकाश भी शामिल हैं. बागवानी को अपनाने वाले इंद्र प्रकाश की खेती के तरी‍के ने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को भी प्रभावित किया है.

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CM Yogi भी हुए इस किसान के मुरीद, वजह पढ़कर आप भी हो जाएंगे हैरानगोरखपुर के सब्जी किसान ने पीले तरबूज उगाकर योगी को भी किया मुरीद, फोटो: किसान तक

यूपी में गोरखपुर के रहने वाले किसान इंद्र प्रकाश ने एग्रीकल्चर में पोस्ट ग्रेजुएट तक की पढ़ाई की है. उन्होंने इस पढ़ाई से सीखे हुनर को अपने खेत में इस्तेमाल कर, बागवानी खेती का सफल मॉडल तैयार किया है. बागवानी खेती के इस मॉडल को किसानों की आय बढ़ाने का कारगर उपाय बताते हुए सरकार अन्य किसानों से भी इसे अपनाने की अपील कर रही है. इंद्र प्रकाश ने खेती के पारंपरिक एवं आधुनिक तरीके अपना कर सफलता की यह कहानी लिखी है. आलम यह है कि मंडी में हर दिन लोगों को इंंद्र प्रकाश के खेत में उगे 'येलो स्क्वैश' यानी पीले कद्दू और 'खुशी खीरा' के आने का इंतजार करना पड़ता है.

पढ़ कर सीखी खेती

यूपी में गोरखपुर के एक छोटे से कस्बे जानीपुर के रहने वाले इंद्र प्रकाश, किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं. इंद्र प्रकाश ने यह बात 1980 के दशक में ही समझ ली थी कि पारंपरिक तरीकों से की जा रही खेती, महज घाटे का सौदा है. इसलिए उन्होंने खेती को तकनीकी ज्ञान से जोड़ने के लिए इसकी बाकायदा तालीम ली.

उन्होंने 1988 में वाराणसी के यूपी कॉलेज से कृष‍ि विज्ञान में एमएससी की डिग्री हासिल की. इसमें उनका मुख्य विषय बागवानी था. एग्रीकल्चर की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने अपने किताबी ज्ञान को खेतों में लागू कर बीते तीन दशक में बागवानी को मुनाफे की खेती के सफल मॉडल के रूप में खड़ा कर दिया. उन्हें अब तक मिले तमाम पुरस्कार, खेती के इस मॉडल को कारगर साबित करने के प्रमाण है.

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वही सब्जी लगाएं जिसकी अच्छी कीमत मिले

इंद्र प्रकाश ने अपने अनुभव से बताया कि बागवानी किसानों को सब्जियों का चयन बहुत सोच समझ कर करना चाहिए. किस सीजन में कौन सी सब्जी की अच्छी कीमत मिलेगी, इस पर विचार करके ही सब्जी लगाना चाहिए. उन्होंने बताया कि वह‍ अपने 12 बीघा खेत में सब्जी की खेती करते हैं, लेक‍िन वह हर सब्जी नहीं उगाते हैं. मसलन इन दिनों उनके खेत में टमाटर, खीरा, कद्दू, खरबूज और तरबूज ही उगाया गया है. इसकी वजह इन दिनाें इन सब्जियों की अच्छी कीमत मिलना है.

उनका कहना है कि वह सामान्य के बजाए खास किस्म की सब्जियाें काे तरजीह देते हैं. इन दिनों उनके खेत में 'खुशी' प्रजाति का खीरा और 'येलो स्क्वैश' प्रजाति का कद्दू लगा है. इसकी बाजार में पर्याप्त मांग होने के कारण मुंह मांगी कीमत मिलती है. 'खुशी खीरा' अपनी बेहतर रंगत और उम्मीद से ज्यादा उपज के लिए जाना जाता है. इसी तरह पीले एवं नारंगी रंग के येलो स्क्वैश कद्दू में बीटा कैरोटीन प्रचुर मात्रा में होता है. इसलिए बड़े शहरों में इसकी कीमत 300 रुपये प्रति किग्रा तक मिल जाती है.

बिना बीज का पीला तरबूज

वैसे तो तरबूज, हरे रंग का होता है और इसके बीज, तरबूज खाने के मजे को थोड़ा किरकिरा कर देते हैं. वैज्ञानिकों ने बिना बीज वाले पीले रंग के हाइब्र‍िड तरबूज का ईजाद किया. इंद्र प्रकाश ने अनोखी रंगत वाले मिठास से भरपूर पीले तरबूज की खेती को अपना कर अपनी आय में इजाफा किया है.

पिछली फसल में वह कुफरी नीलकंठ और चिप्सोना सहित अन्य प्रमुख प्रजातियों के आलू की उपज ले चुके हैं. अब अगली फसल के रूप में 'भूषण लौकी' काे बोने की तैयारी चल रही है. उनका दावा है कि भरपूर उपज देने में इस लौकी का कोई मुकाबला नहीं है. इसी तरह खेत में  गोभी की नर्सरी भी डाली जा चुकी है. कुल मिलाकर सब्जियों की उन्नत प्रजातियों के लिए उनका खेत, प्रयोगशाला से कम नहीं है.

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प्राकृतिक विध‍ि से करते हैं कीट नियंत्रण

इंद्र प्रकाश ने बताया कि सब्जी की खेती में कीट का प्रकोप ज्यादा होता है. इस लिहाज से वह प्राकृतिक तरीके से कीट प्रबंधन करते हैं. कीट एवं रोगों का नियंत्रण करने के लिए उन्होंने पूरे खेत में जगह जगह बांस के डंडों पर पीले एवं हरे रंग की पॉलीथिन लगाई हैं. लता वर्ग की सब्जियों में हरे और पीले रंग की ओर आकृष्ट होने वाले कीट लगते हैं. इसलिए खेत में एक खास किस्म के तरल पदार्थ से युक्त पीले और हरे रंग की पाॅलीथि‍न लगाने से, सब्जी की बजाय पॉलीथ‍िन में कीट चिप‍क जाते हैं.

इसी तरह उन्होंने अपने खेत में नर कीटो को आकर्षित करने के लिए मादा की गंध वाले ट्रैप भी लगाए हैं. मादा की गफलत में आने वाला नर इसमें फ़सकर मर जाता है. नर के न रहने पर स्वाभाविक तरीके से प्रजनन चक्र रुकने के कारण इन कीटों का जैविक नियंत्रण हो जाता है. इतना ही नहींं इंद्र प्रकाश के खेत में टमाटर की फसल पर लगने वाले निमिटोड नामक कीट का नियंत्रण करने के लिए गेंदे के फूल लगाए गए हैं. इसके अलावा उनके खेत में मधुमक्खियों एवं तितलियों के परागण वाले फूलों को भी लगाकर कीट प्रबंधन किया जा रहा है.

ड्र‍िप सिंचाई से श्रम और समय की बचत

इंद्र प्रकाश ने बताया कि फसलों की सिंचाई के लिए उन्होंने ड्रिप यानि टपक पद्धति को अपनाया है. इससे गर्मी में सब्जी की श्रम साध्य खेती करना संभव हो सका है. उन्होंने बताया कि 'पर ड्रॉप मोर क्रॉप' योजना के तहत भारी अनुदान पर उनके खेत में ड्रिप एवं स्प्रिंकलर लगाया गया है. इसकी वजह से सिंचाई एवं श्रम की लागत बहुत कम हो गई है.

उन्होंने बताया कि अब उनके 12 बीघा खेत की सिंचाई में मात्र 6 घन्टे लगते हैं. इससे पहले परंपरागत तरीके से दो मजदूर लगाकर एक दिन में मात्र दो बीघे की सिंचाई हो पाती थी. इंद्र प्रकाश ने कहा कि आधुनिक सिंचाई से समय, श्रम एवं अन्य संसाधनों की बचत होती है. इससे 60 से 90 फीसद तक पानी की बचत होती है. उन्होंने अपने खेत में पॉलीथिन से मल्चिंग की है. इससे खरपतवार का भी नियंत्रण हो जाता है. यह सब तरीके अपना कर खेती की लागत में काफी कमी आई है.

जब योगी हुए मुरीद

इंद्र प्रकाश ने बताया कि हाल ही में साक भाजी प्रदर्शनी में श‍िरकत कर उन्होंने अपने खेत में उगी सब्जियों का स्टॉल भी लगाया था. इसका अवलोकन करने के लिए सीएम योगी पहुंचे थे. उन्हाेंने आधुनिक एवं परंपरागत तरीके अपना कर बागवानी खेती का सफल मॉडल तैयार करने के लिए प्रगतिशील किसान इंद्र प्रकाश की सराहना करते हुए दूसरे किसानों से भी इस मॉडल को अपनाने की अपील की थी. उन्होंने कहा कि इंद्र प्रकाश ने नए तरीके अपना कर खेती करते हुए न केवल खुद को आत्मनिर्भर बनाया है, बल्कि वह अपने खेत में साल के 8 महीनों में 12 से 15 लोगों को रोजगार देते हैं.

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