Success Story of Amar Singh: कभी खेती से किसी तरह चलता था घर... फिर राजस्थान के इस किसान को आंवले ने बना दिया करोड़पति, जानिए सफलता की कहानी

Success Story of Amar Singh: कभी खेती से किसी तरह चलता था घर... फिर राजस्थान के इस किसान को आंवले ने बना दिया करोड़पति, जानिए सफलता की कहानी

Rajasthan Farmer Success Story: खेती-बाड़ी से क्या कोई किसान करोड़पति बन सकता है. इस पर यकीन करना थोड़ा मुश्किल है लेकिन नामुमकिन नहीं. हम आज आपको एक ऐसे किसान की कहानी बताने जा रहे हैं, जिन्होंने साबित कर दिया है कि पैसा पेड़ों पर भी उगाया जा सकता है. आइए इस किसान भाई के बारे में जानते हैं.

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इस किसान ने पेड़ों पर उगाया 'पैसा'! लेकिन कैसे... यहां जानिए Amar Singh (Photo: Social Media)
Story highlights
  • भरतपुर जिले के पेंघोरे गांव निवासी हैं अमर सिंह 
  • साल 1997 से कर रहे आंवले की खेती

Crorepati Kisan: सफलता आपकी... हमारी... सबकी कदम चूम सकती है. बस इसके लिए खुद पर भरोसा और धैर्य होना चाहिए. जी हां, इस बात को एक बार फिर सही कर दिखाया है राजस्थान के एक किसान ने. आज के समय में जिस खेती-किसानी को अधिकांश लोग घाटे का सौदा समझते हैं, उसी से भरतपुर जिले के पेंघोरे गांव निवासी अमर सिंह करोड़पति बन गए हैं. अमर सिंह अपने खेत में आंवले के पेड़ लगाए हुए हैं और इस आंवले से तरह-तरह के प्रोडक्ट्स बनाते हैं. इस तरह से अमर सिंह ने साबित कर दिया है कि पैसा पेड़ों पर भी उगाया जा सकता है. आइए अमर सिंह की सफलता की कहानी जानते हैं. 

ऐसे की आंवला खेती की शुरुआत 
अमर सिंह के पिताजी भी किसान थे. पिताजी जब खेती करते थे तो बस इतनी आमदनी होती थी कि किसी तरह घर का खर्चा निकल पाता था. इसके कारण अमर सिंह ने ऑटो चलाना शुरू कर दिया. हालांकि इसमें उनका मन नहीं लगता था. इसी दौरान 1977 उनके पिताजी का देहांत हो गया. अब खेती का पूरा जिम्मा अमर के ऊपर आ गया. अमर कहीं जा रहे थे तो रास्ते में एक अखबार का टुकड़ा उन्हें मिला. इसमें आंवले की खेती के बारे में जानकारी दी गई थी. उसके फायदे बताए गए थे. इसे पढ़कर अमर आंवले की खेती करने के बारे में सोचने लगे. इसके बारे में तमाम तरह की जानकारियां जुटाने लगे. 

1997 में एक कृषि प्रदर्शनी में आंवला खेती के फायदे जानने के बाद अमर सिंह ने आंवला के पेड़ लगाने का फैसला किया. इससे पहले, उनकी जमीन पर आलूबुखारे के पेड़ थे. उन्होंने भरतपुर जिले के बागवानी विभाग से 1,200 रुपए में 60 आंवले के पौधे खरीदे और अपनी 2.2 एकड़ उपजाऊ जमीन पर लगाए. एक साल बाद उन्होंने 70 और पौधे खरीदे और अपनी नर्सरी में लगाएं. 4-5 साल में उनके पेड़ फल देने लगे. कुछ पेड़ों ने 5 किलो और कुछ ने 10 किलो तक फल दिए. इससे उन्हें सालाना ₹7 लाख की इनकम होने लगी. इसके साथ ही उन्होंने मटर, टमाटर, बैंगन और अन्य सब्जियों की भी खेती शुरू कर दी.

ऐसे किया बिजनेस का विस्तार  
आंवला के फल शुरू में 2 से 3 रुपए प्रति किलो बिकते थे, लेकिन मुरब्बा 10 रुपए प्रति किलो से अधिक में बिकता था. ये  देखकर अमर सिंह ने साल 2007 में मुरब्बा बनाने का काम शुरू कर दिया. उन्होंने भरतपुर के मुरब्बा फैक्ट्रियों में जाकर मुरब्बा बनाना सीखा. साल 2005 में 5 लाख रुपए लगाकर उन्होंने खुद की फैक्ट्री शुरू की. उन्होंने अपनी फैक्ट्री में शुरुआत में उत्तर प्रदेश के हाथरस से 25 मजदूरों को काम पर रखा.

उन्होंने पहले साल में 7,000 किलो मुरब्बा तैयार किया. मार्केटिंग के लिए, उन्होंने गांव-गांव घूमकर प्रोडक्ट को बेचा. धीरे-धीरे उन्होंने भरतपुर के बड़े ट्रेडर्स से भी संपर्क बनाए और उन्हें मुरब्बा सप्लाई करना शुरू किया. 60 साल के किसान अमर सिंह ने गांव की महिलाओं को मुरब्बा बनाने के काम में रोजगार भी दिया है. उनका यह कदम महिला सशक्तिकरण का बेहतरीन उदाहरण बन गया.

'अमृता' ब्रांड और मार्केटिंग
अमर सिंह ने 'अमृता' नाम से अपना मुरब्बा राज्य के दूसरी जगहों पर भी बेचना शुरू कर दिया. धीरे-धीरे उनका मुरब्बा राजस्थान के कई जिलों जैसे कुम्हेर, भरतपुर, टोंक, दीग, मंडावर और महुआ में भी लोगों की पसंद बन गया. अमर सिंह अपने प्रॉफिट का 40% खेती में नई टेक्नोलॉजी लाने में इन्वेस्ट करने लगे. उन्होंने अपने खेत में सोलर यूनिट, कंपोस्ट पिट और गोबर गैस प्लांट भी स्थापित किया.

इस बीच अमर सिंह को प्रोसेस्ड मुरब्बा बेचने के लिए FSSAI (भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण) से लाइसेंस भी मिल गया. साल 2012 में उन्होंने अपनी यूनिट को फिर से अमर मेगा फूड प्राइवेट लिमिटेड के नाम से रजिस्टर्ड कराया. आज उनकी कंपनी खेती, प्रोसेसिंग, पैकेजिंग और ट्रांसपोर्टेशन से भी जुड़ी हुई है.  

बकरी पालन में नया प्रयास
आंवला प्रोसेसिंग से अच्छी इनकम जनरेट करने के बाद अमर सिंह ने बकरी पालन में भी हाथ आजमाने का फैसला किया. उन्होंने 10 बरेरी नस्ल की बकरियां खरीदीं. ये विचार उन्हें तब आया जब उन्होंने गलती से अपने बेटे के स्मार्टफोन पर बकरी पालन से जुड़ा एक वीडियो देख लिया. इस तरह हर साल 26 लाख रुपए का बिजनेस करने के बावजूद अमर सिंह जमीन से जुड़े हुए और सरल स्वभाव के हैं. उनकी कहानी न केवल मेहनत का प्रतीक है, बल्कि यह भी सिखाती है कि बदलाव और इनोवेशन से कैसे सफलता पाई जा सकती है. 

 

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