अमरावती में मूसलाधार बारिश से किसानों के बीच "कहीं खुशी, कहीं ग़म" जैसी स्थिति

अमरावती में मूसलाधार बारिश से किसानों के बीच "कहीं खुशी, कहीं ग़म" जैसी स्थिति

महाराष्ट्र के विदर्भ में 10-12 दिनों बाद हुई बारिश के बाद यहां के किसानों के बीच "कहीं खुशी, कहीं ग़म" जैसी स्थिति बनी हुई है. इस बारिश से कपास, तुअर और सोयाबीन जैसी अन्य खरीफ फसलों को काफी लाभ हुआ है, तो दूसरी ओर कई फसलें बर्बाद हो गई है.

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अमरावती में मूसलाधार बारिश से किसानों के बीच "कहीं खुशी, कहीं ग़म" जैसी स्थितिबारिश से फसलों को नुकसान

महाराष्ट्र के विदर्भ में बीते 10-12 दिनों से पड़ रही तेज धूप और गर्मी के बाद अमरावती जिले में शुक्रवार को आखिरकार जमकर मूसलाधार बारिश हुई. इस बारिश ने जहां कई किसानों के सूखते फसलों को संजीवनी दी, वहीं, दूसरी ओर जोरदार बारिश के बाद नदी-नाले उफान पर आ गए, जिससे नदी-नालों के किनारे बसे खेतों में खड़ी फसलें जलमग्न हो गईं. वहीं, कुछ स्थानों पर डेढ़ घंटे तक झमाझम बारिश होने से खेतों में पानी भर गया और फसलें खराब होने की भी खबरें सामने आईं.

बारिश से कई फसलों को हुआ फायदा

भारतीय हवामान विभाग (IMD) ने विदर्भ में भारी बारिश की चेतावनी दी थी, जिसके अनुसार अमरावती और आसपास के क्षेत्रों में दोपहर बाद से ही तेज बारिश शुरू हो गई. इस बारिश से कपास, तुअर और सोयाबीन जैसी अन्य खरीफ फसलों को काफी लाभ हुआ है. किसान इस बारिश को "संजीवनी" के रूप में देख रहे हैं, क्योंकि लगातार तेज गर्मी से फसलें सूखने लगी थीं.

बारिश से कई फसलें हुई बर्बाद

हालांकि, अमरावती जिले के दर्यापुर तालुका समेत कुछ हिस्सों में इस मुसलाधार बारिश में नदी-नाले उफान पर आ गए हैं. इससे कई खेतों में पानी भर गया, जिससे उन खेतों की फसलें सड़ने की कगार पर हैं. साथ ही खेतों में भर आए नालों के पानी ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है. ग्रामीण क्षेत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, खेतों में जलभराव के कारण कुछ किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है, जबकि कुछ किसानों के चेहरों पर बारिश की राहत से मुस्कान लौट आई है.

"कहीं खुशी, कहीं ग़म" जैसी स्थिति

कुल मिलाकर, अमरावती जिले में इस बारिश ने "कहीं खुशी, कहीं ग़म" जैसी स्थिति बना दी है. एक ओर फसलें बचने की उम्मीद जगी है, वहीं, दूसरी ओर जलभराव से कुछ किसान संकट में फंस गए हैं. प्रशासन की ओर से फिलहाल किसी नुकसान का आधिकारिक आकलन सामने नहीं आया है, लेकिन ग्रामीण स्तर पर पंचनामे की मांग तेज हो गई है. किसानों की मांग है कि प्रशासन खेतों में आकर फसलों का पंचनामा करें.

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