फूलों की खेती ने बदली किसान अरविंद की जिंदगी, अब हर महीने 1 लाख रुपये करते हैं कमाई

फूलों की खेती ने बदली किसान अरविंद की जिंदगी, अब हर महीने 1 लाख रुपये करते हैं कमाई

अरविंद आज से पांच साल पहले तक धान-गेहूं ही उपजाते थे, जिसमें उनकी लागत से कम कमाई होती थी. लेकिन जब उन्होंने बाहर की दुनिया देखी तो समझ गए कि कमाई तो उन्हीं किसानों की हो रही है, जो बाजार में जिस चीज की डिमांड है, उसकी खेती करते हैं. तब उन्होंने गेंदे और गुलाब की खेती शुरू की.

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फूलों की खेती ने बदली किसान अरविंद की जिंदगी, अब हर महीने 1 लाख रुपये करते हैं कमाईफूलों की खेती

कहते हैं ना कि अगर कुछ कर गुजरने का जुनून हो तो मिट्टी में भी सोना उगाया जा सकता है. दरअसल, हम यहां बात एक ऐसे किसान की कर रहे हैं, जो परंपरागत खेती की जगह बागवानी करके अपनी कड़ी मेहनत और लगन से उसी मिट्टी में गेंदा और गुलाब की खेती करके प्रति माह एक लाख रुपये की आमदनी कमा रहे हैं. ये कहानी बिहार के आरा जिले के खनगांव निवासी अरविंद माली की है. अरविंद इसलिए प्रेरणा बने हुए हैं कि उन्होंने सपने देखे, नियति का रोना नहीं रोया. और सफलता की एक कहानी लिख दी. अब वही अरविंद किसानों के आदर्श बने हुए हैं. ऐसे में आइए जानते हैं अरविंद माली की कहानी.

डिमांड के हिसाब से शुरू की खेती

अरविंद आज से पांच वर्ष पहले तक धान-गेहूं ही उपजाते थे, जिसमें उनकी लागत से कम कमाई होती थी. लेकिन जब उन्होंने बाहर की दुनिया देखी तो समझ गए कि कमाई तो उन्हीं किसानों की हो रही है, जो बाजार में जिस चीज की डिमांड है उसकी खेती करते हैं. तब उन्होंने गेंदा और गुलाब की खेती शुरू की जिसमें उनकी कमाई अच्छी होने लगी. आज इनके यहां उपजे फूलों की आपूर्ति आरा से पटना तक के बाजार में हो रही है.

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12 बीघे में करते है फूलों की खेती

वे बताते हैं कि शुरुआत में उन्हें परेशानी जरूर आई थी, लेकिन जब बाजार में एक बार आपूर्ति की चेन बन गई तो समस्या हल हो गई. अरविंद  मौजूदा समय में 12 बीघा खेत में फूलों की खेती करते हैं. इसमें प्रतिमाह औसतन एक लाख रुपये तक के फूल बिक जाते हैं. शुद्ध मुनाफा 70 से 75 हजार रुपये तक होता है. हालांकि, इसमें फूलों को गूंथने और माला बनाने में परिवार के अन्य लोग भी रहते हैं. अरविंद बताते हैं कि पांच साल पहले वे पटना की फूल मंडी में गए थे. वहां एक व्यापारी ने उन्हें फूलों की मांग के बारे में जानकारी दी. व्यापारी ने बताया कि वे लोग फूल कोलकाता की मंडी से लाते हैं, जिसमें परिवहन खर्च अधिक होता है. बस, अरविंद के मन में यही बात बैठ गई कि स्थानीय स्तर पर ही फूल उपलब्ध करावा के अच्छी कमाई की जा सकती है.

कई किसान आते हैं खेती सीखने

अरविंद ने बताया कि लगन से लेकर दशहरा और उसके बाद दीपावली, भाई दूज, गोवर्धन पूजा, छठ, क्रिसमस और न्यू ईयर आदि के कारण फूलों की मांग हमेशा बनी रहती है. उन्होंने कहा कि इस डिमांड को देखते हुए प्रति एकड़ तीन से चार लाख रुपये का वार्षिक लाभ हो रहा है. उनसे प्रेरित हो फूलों की खेती शुरू करने वाले किसान मनोज भगत का कहना है कि अब आसपास के किसान भी फूलों की खेती सीखने आ रहे हैं.

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