देश की अर्थव्यवस्था का प्रमुख आधार कृषि है. अब देश की कृषि क्षेत्र में जहां सरकार के द्वारा बड़े-बड़े सुधार हो रहे हैं. तो वहीं नई तकनीकों की मदद से किसानों को अच्छी आमदनी भी होने लगी है. कृषि क्षेत्र में अब पढ़े-लिखे युवा भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. लखनऊ के ऐसे ही एक युवा पंकज मिश्रा सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी को छोड़कर अब डेयरी क्षेत्र में बड़ा काम कर रहे हैं. पंकज मिश्रा को 2016 में सरकार की कामधेनु योजना से मदद मिली और फिर शुरू किया देसी गायों से डेयरी का काम. आज उनके डेयरी के मॉडल को किसान ही नहीं बल्कि अधिकारियों के द्वारा भी सराहा जा रहा है. वे अपनी डेयरी में देसी गायों के द्वारा ऑर्गेनिक दूध पैदा करते हैं, जिनकी वजह से उन्हें हर महीने 4 से 5 लाख रुपये की आमदनी भी हो रही है.
देश में दूध की मांग दिनोंदिन बढ़ती जा रही है. बढ़ती जनसंख्या की मांग को पूरा करने के लिए अब आधुनिक तरीके से डेयरी की संख्या बढ़ रही है. शहरों में दूध की कीमतों में लगातार इजाफा हो रहा है. वहीं दूध का काम करने वाले पशुपालक का मुनाफा बढ़ रहा है. डेयरी के क्षेत्र में 2016 में उतरे युवा इंजीनियर पंकज मिश्रा ने किसान तक को बताते हैं कि सरकार के कामधेनु योजना से उन्हें मदद मिली और उन्होंने 7 गायों से अपनी डेयरी शुरू की.
आज 7 सालों में उनके पास 75 पशु है, जो देसी और उन्नत किस्म की गाय हैं. उनकी डेयरी के पास ही 15 बीघे का एक फार्म हाउस है, जिसमें पशुओं के लिए पूरे साल हरा चारा उपलब्ध रहता है. उन्हें अपने पशुओं को किसी भी तरीके का बाहर से चारे का इंतजाम नहीं करना पड़ता है. ऑर्गेनिक तरीके से पैदा पशुओं के चारे की मदद से ही वह दूध उत्पादन करते हैं. प्रतिदिन उनकी डेयरी में 600 लीटर दूध पैदा हो रहा है, जिनको 1 लीटर की बोतल में पैक करके वह अपने उपभोक्ताओं को पहुंचा रहे हैं. उन्हें 80 रुपये लीटर तक दूध की कीमत मिल रही है.
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शहरों में शुद्ध दूध की कीमतों में लगातार इजाफा हो रहा है. लखनऊ जैसे शहर में देसी गाय का दूध 100 रुपये लीटर तक बिक रहा है. ऐसे में देसी गाय से पैदा होने वाले दूध की मांग भी बढ़ रही है. डेयरी संचालक पंकज मिश्रा बताते हैं कि उनके यहां गिर और साहिवाल नस्ल की देसी गाय हैं, जिनके माध्यम से पैदा हो रहे ऑर्गेनिक दूध को वह अपने उपभोक्ताओं तक पहुंचा रहे हैं. प्रति लीटर 75 से लेकर 80 रुपये तक वह अपने दूध को बेच रहे हैं. हर महीने 18 से 20 लाख रुपए की कमाई हो रही है, जिसमें 25 फ़ीसदी का मुनाफा हो रहा है. वह अपने पशुओं को अपने फार्म में पैदा होने वाले पोषक तत्वों से भरपूर हरे चारे का ही उपयोग करते हैं जिससे उनके दूध की गुणवत्ता भी काफी अच्छी होती है.
डेयरी संचालक पंकज मिश्रा बताते हैं कि अभी केवल दूध और उससे जुड़े हुए प्रोडक्ट पर उनका काम चल रहा है. लेकिन, आगे उपभोक्ताओं तक ऑर्गेनिक और नेचुरल गेहूं ,चावल, सरसों के तेल को भी पहुंचाने के लिए उनका प्रयास है. वह इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं. इससे जहां उनकी आमदनी में इजाफा होगा. वहीं ग्राहकों को भी रासायनिक उर्वरक से मुक्त अनाज मिल सकेगा.
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