बुंदेलखंड में औषधीय खेती से आई क्रांति, पढ़ें झांसी के किसान पुष्पेंद्र यादव की प्रेरक कहानी

बुंदेलखंड में औषधीय खेती से आई क्रांति, पढ़ें झांसी के किसान पुष्पेंद्र यादव की प्रेरक कहानी

झांसी जिले के पाठाकरका गांव के प्रगतिशील किसान पुष्पेंद्र सिंह यादव ने औषधीय खेती को अपनाकर बुंदेलखंड क्षेत्र में एक नई कहानी लिखी है. लगभग 10 साल पहले, उन्होंने 10 एकड़ भूमि पर तुलसी की खेती शुरू की थी. उनकी यह पहल आज न केवल उनकी आर्थिक प्रगति का मुख्य आधार बनी है, बल्कि क्षेत्र के अन्य किसानों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन गई है.

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बुंदेलखंड में औषधीय खेती से आई क्रांति, पढ़ें झांसी के किसान पुष्पेंद्र यादव की प्रेरक कहानीबुंदेलखंड में औषधीय खेती

ऐसा समय था जब लगभग हर भारतीय घर के आंगन में तुलसी का पौधा दिखता था. लेकिन शहरीकरण की लहर ने आंगन और तुलसी, दोनों को पीछे छोड़ दिया.अब तुलसी का महत्व औषधीय और कमर्शियल दोनों नजरिये से बढ़ गया है. इसे समझते हुए झांसी जिले के पाठाकरका गांव के किसान पुष्पेंद्र सिंह यादव ने औषधीय खेती को अपनाया और बुंदेलखंड क्षेत्र में बदलाव की नई कहानी लिखी. 10 साल पहले  पुष्पेंद्र ने 10 एकड़ भूमि पर तुलसी की खेती शुरू की. आज उनकी यह पहल न केवल उनकी आर्थिक उन्नति का स्रोत बनी है, बल्कि अन्य किसानों के लिए प्रेरणा का कारण भी बन गई है.

तुलसी की खेती: बेहतर आमदनी और स्थिरता

तुलसी, जो अपने हर्बल उत्पादों की बढ़ती मांग  कारण में अत्यधिक मांग में है. पुष्पेंद्र ने इस अवसर को पहचाना और खेती में तकनीकी नवाचारों को अपनाने पर जोर दिया. उन्होंने किसानों को तुलसी की उच्च गुणवत्ता वाली प्रजातियों का चयन करने, जैविक विधियों से उत्पादन बढ़ाने और बाजार में उचित मूल्य पाने के लिए और मात्र ढाई महीने में प्रति एकड़ से लगभग 60,000 रुपये की आमदनी हासिल की. जहां पर खेतों में पहले पानी की कमी के कारण बहुत आमदनी मिलती थी, लेकिन तुलसी की खेती  ने उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत किया और और अपने एरिया के किसानों के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत किया. आज उनकी पहल का नतीजा है कि हजारों किसान तुलसी की खेती कर रहे हैं.

बुंदेलखंड औषधि फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी का गठन

पुष्पेंद्र ने समझा कि सामूहिक प्रयास से औषधीय खेती को अधिक लाभदायक बनाया जा सकता है. पुष्पेंद्र को शुरुआती दौर में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने इन चुनौतियों का समाधान सामूहिक प्रयासों के माध्यम से किया. एफपीओ ने किसानों को बेहतर बाजार तक पहुंचाने के लिए उन्होंने बुंदेलखंड औषधि फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी (एफपीओ) का गठन किया. इस एफपीओ के तहत 1,072 किसान जुड़े, जो कुल 40,132 एकड़ भूमि पर तुलसी की खेती कर रहे हैं. यह प्रयास किसानों को संगठित करने और औषधीय खेती को बढ़ावा देने में कारगर साबित हुआ.

एफपीओ ने किसानों को उनकी उपज का बेहतर मूल्य दिलाने के लिए 29 लाख रुपये की लागत से एक प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित की. इस यूनिट में तुलसी की पत्तियों से तेल निकालने और उन्हें सुखाने की प्रक्रिया की जाती है. इसमें उद्यान विभाग ने 33 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान की, जिससे किसानों को आर्थिक सहायता मिली.

क्षेत्रीय विकास और आर्थिक योगदान

तुलसी की खेती ने झांसी और आसपास के क्षेत्रों में किसानों की आय को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई. पारंपरिक फसलों की तुलना में तुलसी की खेती से किसानों को अधिक मुनाफा हो रहा है. साथ ही, औषधीय खेती ने बुंदेलखंड क्षेत्र में जलवायु अनुकूलन और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण में भी सहायता की है. इससे किसानों को अधिक टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल खेती के लिए प्रेरणा मिली है. पुष्पेंद्र का लक्ष्य है कि बुंदेलखंड क्षेत्र में औषधीय खेती को और अधिक बढ़ावा दिया जाए. वह एफपीओ के माध्यम से किसानों को नई तकनीकों और बाजारों से जोड़ने की योजना बना रहे हैं. साथ ही, वह अन्य औषधीय फसलों की खेती को बढ़ावा देने पर भी जोर दे रहे हैं.

सामूहिक प्रयास, तकनीकी नवाचार और मेहनत से किस प्रकार कृषि क्षेत्र में क्रांति लाई जा सकती है, यह पुष्पेंद्र की खेती से जान सकते हैं. तुलसी की खेती ने न केवल बुंदेलखंड के किसानों को आर्थिक आत्मनिर्भरता की ओर प्रेरित किया है, बल्कि कई किसानों को इसमें राह दिखाई है.

 

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