Successful farmer: जैविक खेती का कमाल, लाखों की नौकरी छोड़ नींबू की बागवानी से कमा रहे बंपर मुनाफा

Successful farmer: जैविक खेती का कमाल, लाखों की नौकरी छोड़ नींबू की बागवानी से कमा रहे बंपर मुनाफा

आनंद मिश्रा मल्टीनेशनल कंपनी की लाखों की नौकरी छोड़कर गांव लौटे और किसानों की बदहाली देख खेती में उतरने का फैसला किया. पारंपरिक खेती से निराशा मिलने पर उन्होंने नींबू की बागवानी चुनी, जिसकी साल भर मांग रहती है. अब वह सिर्फ नींबू बेचकर ही नहीं, बल्कि पौधे तैयार कर किसानों को बेचकर भी लाखों कमा रहे हैं.

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जैविक खेती का कमाल, लाखों की नौकरी छोड़ नींबू की बागवानी से कमा रहे बंपर मुनाफासफल किसान आनंद मिश्रा

हर माता-पिता और बच्चे का सपना होता है कि अच्छी पढ़ाई के बाद एक शानदार नौकरी मिले और जीवन आराम से बीते. इसी सपने को जीते हुए, आनंद मिश्रा ने पढ़ाई पूरी की और एक मल्टीनेशनल कंपनी में लाखों के पैकेज पर नौकरी करने लगे. लेकिन एक बार जब वह अपने गांव लौटे, तो किसानों की दयनीय स्थिति देखकर उनका मन व्यथित हो गया. अन्नदाताओं की यह दशा उनसे देखी नहीं गई और उन्होंने एक बड़ा फैसला किया कि अपनी अच्छी-खासी नौकरी छोड़कर खेती में वापस लौटेंगे और किसानों के लिए कुछ बेहतर करेंगे. इस अहम फैसले में उन्होंने अपने पूरे परिवार को शामिल किया, ताकि उन्हें निरंतर सहयोग मिलता रहे.

आनंद मिश्रा की नींबू क्रांति 

रायबरेली मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर एक गांव कचनावा के रहने वाले आनंद मिश्रा 13 साल की कॉर्पोरेट नौकरी के बाद गांव लौटे और खेती-किसानी के बारे में गहन शोध शुरू किया. यह जानने के लिए कि कैसे अच्छी आय अर्जित की जा सकती है. पहले साल उन्होंने धान, गेहूं और सरसों की पारंपरिक खेती की. एक साल में चार बीघा खेत से उन्हें मात्र 30 से 35 हजार रुपये की बचत हुई. इस अनुभव ने उन्हें किसानों की बदहाली का वास्तविक एहसास कराया. यहीं से उनके मन में कुछ "नया" करने की ललक जागी.

इसी चाह में आनंद मिश्रा ने कई राज्यों और जिलों का भ्रमण किया, जहां उन्होंने केला, आम, अमरूद और आंवले की बागवानी को फलते-फूलते देखा. सभी फसलों का अध्ययन करने के बाद, उन्हें महसूस हुआ कि उन्हें ऐसी फसल चुननी चाहिए जिसकी पूरे साल मांग बनी रहे और जिससे लगातार आय मिलती रहे. नींबू की बढ़ती मांग और 80 से 120 रुपये प्रति किलोग्राम तक की कीमत ने उन्हें इसकी बागवानी करने के लिए प्रेरित किया.

नींबू के फल और पौधों से दोहरा मुनाफ़ा

आनंद मिश्रा न सिर्फ नींबू के फलों से कमाई कर रहे हैं, बल्कि 'लेमन मैन' के नाम से मशहूर होकर वह खुद नए पौधे तैयार करने के लिए अपने बाग में गूटी लगाने का काम भी करते हैं. इन तैयार पौधों को वह 70 से 80 रुपये प्रति पौधा बेचकर अतिरिक्त धन कमाते हैं. आनंद दूसरे किसानों को बागवानी के लिए प्रोत्साहित भी कर रहे हैं. इस तरह, वह एक ही फसल से दो प्रकार का लाभ उठा रहे हैं. वह नींबू की दो मुख्य प्रजातियों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं: एक कागजी नीबू की बीज वाली वैरायटी और दूसरी बिना बीज वाली प्रजाति. इससे उनके बाग में दोनों तरह के नींबू का उत्पादन हो रहा है.

कम लागत, ज़्यादा मुनाफ़ा का फल नींबू

आनंद मिश्रा ने लोगों की सेहत को देखते हुए जैविक खेती की तरफ अपना ध्यान केंद्रित किया. उनका मानना है कि आजकल लोग स्वास्थ्य के प्रति काफी जागरूक हैं और थोड़ा महंगा उत्पाद खरीदने से भी नहीं हिचकिचाते. वह बताते हैं कि नींबू का पौधा 15 से 20 रुपये में मिल जाता है. इसकी रोपाई में ज्यादा लागत नहीं आती और तीन साल में यह फल देना शुरू कर देता है. इससे 30-35 साल तक आसानी से फसल ली जा सकती है, और इसे ज्यादा देखभाल की भी ज़रूरत नहीं पड़ती. साथ ही, इसे कोई जानवर भी नहीं खाता है. ऐसे में यह खेती बेहद लाभदायक साबित होती है. नींबू को स्थानीय बाजार के व्यापारी आसानी से खरीद लेते हैं, जिससे यह किसानों के लिए एक अत्यधिक लाभकारी फसल बन जाती है.

आनंद मिश्रा किसानों को आत्मनिर्भर बना रहे

धीरे-धीरे आनंद मिश्रा 'लेमन मैन' के नाम से विख्यात हो गए. आज वह नींबू की बागवानी का काम बखूबी कर रहे हैं और लाखों रुपये कमा रहे हैं. साथ ही, वह दूर-दराज से आ रहे किसानों को भी 'टेक्निकल खेती' के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं. मजदूरों के साथ-साथ आनंद मिश्रा भी खुद पौधों की देखरेख और उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालते हैं. बाहर से बागवानी देखने या समझने आने वाले किसानों को वह बहुमूल्य टिप्स भी देते हैं.

नींबू की बागवानी के साथ-साथ, आनंद ने अमरूद की बागवानी भी शुरू की है. आनंद मिश्रा का कहना है कि नींबू की बागवानी करके लाखों रुपये कमाए जा सकते हैं. वह कहते हैं, "मैं खुद बागवानी में जुटा रहता हूं, इनकी देखरेख करता हूं, और दूर-दराज से आ रहे किसान भाइयों को टिप्स देता हूं, ताकि वे भी टेक्निकल खेती करके आत्मनिर्भर बन सकें और लाखों रुपए का कमा सकें."

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