
किसानी के क्षेत्र में सफलता के लिए मेहनत, नए प्रयोग और सही तकनीकी ज्ञान की जरूरत होती है. कुछ प्रगतिशील किसान नए-नए प्रयोगों के माध्यम से न केवल लाभ कमा रहे हैं, बल्कि बड़ा नाम भी कर रहे हैं. ऐसी ही किसानों में से एक हैं राजस्थान के गंगानगर जिले के हरीश चंद्र कासनिया, जिन्होंने पारंपरिक खेती को छोड़कर नर्सरी पौध व्यवसाय में एक नई दिशा दी. उनकी नर्सरी की सफलता ने उन्हें न केवल क्षेत्रीय स्तर पर बल्कि राज्य और देशभर में पहचान दिलाई है.
हरीश जी के पास खेती के लिए पर्याप्त ज़मीन थी, लेकिन उन्होंने खेती से उतनी आमदनी नहीं पाई, जितनी वे चाहते थे. इसी दौरान, उन्हें राजस्थान स्टेट मेडिसीनल प्लांट बोर्ड के एक प्रशिक्षण शिविर में भाग लेने का मौका मिला, जहां उन्होंने खेती के कुछ नए और लाभकारी तरीके सीखे. इस प्रशिक्षण ने उनके मन में नर्सरी व्यवसाय शुरू करने का विचार पैदा किया. और फिर क्या था, उन्होंने महज़ 2 से 3 वर्षों में अपने खेतों की तस्वीर ही बदल डाली. अब औषधीय जैविक खेती और बागवानी भी करने लगे हैं. इस से आज उनकी मासिक आमदनी करीब 5 लाख रुपये है. उनकी सफलता ने नर्सरी के प्रति किसानों में एक नई उत्सुकता पैदा की है. अब किसान और कृषि विद्यार्थी हर साल उनके फार्म पर आकर उनकी तकनीकों को सीखने और समझने आते हैं.
ये भी पढ़ें: गेंदे की फसल से तीन गुना बढ़ा किसान का मुनाफा, किराए की जमीन पर खेती से हो रही इतनी कमाई
हरीश जी हर साल लाखों नीबू वर्गीय पौधों की नर्सरी तैयार करते हैं. उनका कहना है कि 4-5 साल की उम्र के पौधों को वे अपने बागों में ट्रांसप्लांट करते हैं, जिससे फल जल्दी आने लगते हैं. इसके अलावा, किन्नू, खजूर, माल्टा, ईज्जाफा, थाई एप्पल बेर और अमरूद के पौधों की नर्सरी भी तैयार करते हैं, जो बाजार में बहुत लोकप्रिय होते हैं. नर्सरी को और भी बेहतर बनाने के लिए, हरीश जी ने इजरायल से एक अत्याधुनिक मशीन खरीदी है, जो नर्सरी के पौधों के लिए ऑटोमेटिक तरीके से पानी, खाद और वातावरण का ध्यान रखती है. इस तकनीक के जरिए पौधों की गुणवत्ता बेहतर बनी रहती है और फल भी भरपूर आते हैं. यह मशीन पानी के पीएच और ईसी स्तर को नियंत्रित करती है, जिससे पानी और खाद की बचत होती है. इस मशीन में कंप्यूटर सिस्टम होता है, जो हर पौधे की जरूरत के हिसाब से संसाधनों का प्रबंधन करता है. अगर पॉलीहाउस में नमी अधिक हो तो फॉगर अपने आप बंद हो जाता है, और नमी की कमी होने पर फॉगर अपने आप चालू हो जाता है.
इज़राइल से आए इंजीनियरों के अनुसार, यह मशीन पूरी तरह से कंप्यूटर-निर्देशित है और यह पानी, खाद, और अन्य संसाधनों की सप्लाई को इस प्रकार नियंत्रित करती है कि पानी, खाद और श्रम की लागत कम हो जाती है, और किसान की कुल लागत भी घटती है. यह तकनीक न केवल किसान की लागत को कम करती है, बल्कि उत्पादन में भी वृद्धि करती है. हरीश जी का मानना है कि अगर किसान सरकारी योजनाओं का सही तरीके से लाभ लें, तो बागवानी और खेती से अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. सरकार की ओर से बागवानी के लिए कई योजनाएं उपलब्ध हैं, जैसे तारबंदी, ड्रिप इरिगेशन, पाइपलाइन बिछाने, फार्म पांड का निर्माण, इत्यादि. इन योजनाओं का सही तरीके से उपयोग करके किसान अपने व्यवसाय को मुनाफे में बदल सकते हैं.
हरीश जी का कहना है कि किसानों में बेहतर खेती और बागवानी की समझ पैदा करना आसान नहीं है. हरीश जी का मानना है कि बागवानी से जुड़े किसानों के सामने सबसे बड़ी समस्या नर्सरी तैयार करने की होती है. उन्होंने इस समस्या का समाधान अपनी मेहनत और तकनीकी समझ से निकाला है. उन्होंने अपनी नर्सरी की तकनीक को इतना उन्नत और प्रभावी बनाया कि अब राज्यभर के किसान उनकी नर्सरी से पौधे लेने के लिए आते हैं और उनके तकनीकी तरीके सीखते हैं. लेकिन जब एक बार उन्हें इसके फायदे समझ में आते हैं, तो वे उसे अपनाने लगते हैं.
ये भी पढ़ें: लखनऊ के इस युवा ने 300 Sq फीट के घर में शुरू की केसर की खेती, अब लाखों में होगी कमाई, जानिए कैसे?
उनकी सफलता से किसानों में नर्सरी के प्रति उत्सुकता बढ़ी है, और आज उनकी नर्सरी में आने वाले किसान अपनी पारंपरिक विधियों को बदलने के लिए तैयार रहते हैं. हरीश जी का संदेश है कि किसानों को अपनी खेती में प्रयोग करने की जरूरत है. अगर वे सही दिशा में काम करें और सरकारी योजनाओं का फायदा उठाएं, तो वे न सिर्फ अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं, बल्कि कृषि क्षेत्र में नए मानक भी स्थापित कर सकते हैं. अगर आप भी खेती से जुड़े व्यवसायों में कदम रखना चाहते हैं, तो हरीश जी की तरह आप भी नए-नए प्रयोगों के माध्यम से अपना भविष्य संवार सकते हैं. उनके अनुभव से प्रेरणा लेकर आप अपनी नर्सरी स्थापित कर सकते हैं और कृषि व्यवसाय में सफलता की नई ऊँचाइया छू सकते हैं.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today