अब तक 500 एमएल की करीब 4 करोड़ बोतल नैनो यूरिया (Nano Urea) बेची जा चुकी है. इस बीच देश के कुछ हिस्सों में कुछ किसान नेताओं ने इसकी क्षमता को लेकर सवाल उठाए हैं. कई जगहों पर पारंपरिक यूरिया के साथ जबरन नैनो यूरिया देने के आरोप भी लगे हैं. ऐसे में लोकसभा और राज्यसभा में भी इसे लेकर प्रश्न किए गए हैं. जिनके जवाब देते हुए सरकार नैनो यूरिया की शुरुआत करने वाले दुनिया के नंबर वन कोऑपरेटिव इफको (IFFCO) के साथ खड़ी नजर आई. सरकार ने कहा है कि काफी जांच-परख के बाद नैनो उर्वरक को खेतों तक लाया गया है. आने वाले दिनों में दूसरे उर्वरक भी नैनो में बदले जाएंगे.
रसायन और उर्वरक मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने राज्यसभा में इसे लेकर सरकार का पक्ष रखा. सांसद एस. निरंजन रेड्डी के सवाल पर जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि नैनो फर्टिलाइजर्स का रिसर्च हुआ और उसके कमर्शियल प्रोडक्शन पर आने के पहले अनेक टाइप के पल्स, बायोसेफ्टी एंड टॉक्सिसिटी स्टडी की गई है. डिटेल्ड अध्ययन के बाद डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी द्वारा उसको अनुमति दी गई है.
मांडविया ने कहा कि यह स्वदेशी रिसर्च है. यह देश के किसानों के लिए है और दुनिया भी इसकी तरफ देख रही है. हम बिना कारण के अपने देश में इसके प्रति कोई ऐसा प्रश्न न खड़ा करें, जिससे दुनिया की किसी लॉबी को नैनो-फर्टिलाइजर या हमारी रिसर्च अप्रूवल बॉडीज पर उंगली उठाने का अवसर मिले. नैनो फर्टिलाइजर का ह्यूमन, एनिमल, बडर्स् तथा ऑर्गेनिज़्म पर क्या इफेक्ट होता है, इन सब पर डिटेल्ड स्टडी करके इसको मार्केट में लाया गया है.
उर्वरक मंत्री ने कहा कि एक बार एक बॉडी द्वारा मुझसे इस तरह का प्रश्न पूछा गया कि मंत्री जी, आप नैनो यूरिया ला रहे हैं, तो यह नैनो यूरिया क्या है? नैनो यूरिया का स्मॉल पार्टिकल हवा में उड़ता-उड़ता जाएगा, दस किलोमीटर दूर तक जाएगा और वहां पर इफेक्ट करेगा. मैंने कहा कि वह क्या है? उसने कहा कि वह नाइट्रोजन है. इस पर मैंने कहा कि हवा में क्या होता है, हवा में भी तो नाइट्रोजन ही होता है, इसलिए नाइट्रोजन कहां उड़ेगा, कहां जाएगा, उससे क्या फर्क पड़ेगा?
उर्वरक मंत्री ने कहा कि इस तरह के प्रश्न करने वाले बहुत लोग आएंगे, लेकिन यह देश के किसानों के लिए बहुत बड़ी स्वदेशी रिसर्च है. दुनिया भी इसकी स्टडी कर रही है. दुनिया में इसकी डिमांड भी है. लोग कह रहे हैं कि आप हमें इसका सप्लाई कीजिए. आप नैनो फर्टिलाइजर के प्लांट हमारी कंट्री में लगाइए. आज विकसित देश भी हमारी नैनो रिसर्च की ओर देख रहे हैं. हमारी यह स्वदेशी रिसर्च हमारे देश की संपदा है.
जब मांडविया ने इतनी बात की उसके बाद सदन में सांसद एस. निरंजन रेड्डी ने कहा कि मैं कोई संदेह या प्रश्न नहीं उठाना चाहता था. मैं इस बड़ी सफलता के लिए सरकार को बधाई देना चाहता हूं. मैंने 'बड़ी सफलता' शब्द का इस्तेमाल किया. चूंकि यह इतनी महत्वपूर्ण सफलता है, ऐसे में क्या हम यूरिया के अलावा अन्य उर्वरकों को भी इसमें ला रहे हैं?
मांडविया ने बताया कि दूसरे उर्वरकों पर भी हमने नैनो टेक्नोलॉजी का प्रयोग करना शुरू किया है. कई इंडियन कंपनीज़ और इंडियन साइंटिस्ट्स उसके पीछे लगे हुए हैं. अभी नैनो डीएपी बन कर इंस्पेक्शन की स्टेज पर है. उसकी पहले ही रिसर्च हो चुकी है. उसको फर्टिलाइज़र कंट्रोल ऑर्डर में लाने के लिए जिन-जिन पैरामीटर्स में से पास होना है, उसकी स्टडी चल रही है. मेरा ऐसा मानना है कि आने वाले दिनों में नैनो डीएपी भी आएगा, नैनो जिंक भी आएगा, नैनो सल्फर भी आएगा और भारत के फर्टिलाइज़र सेक्टर में बहुत बड़ी क्रांति आएगी. विश्व के फर्टिलाइजर सेक्टर में बहुत बड़ी क्रांति इंडिया से होगी.
उधर, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने नैनो यूरिया को लेकर लोकसभा में कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई के एक सवाल पर 13 दिसंबर को जवाब दिया था. उसमें किसानों के लिए एक ध्यान रखने वाली बात कही गई है. तोमर ने कहा कि नैनो यूरिया जिसका टॉप ड्रेसिंग के रूप में खड़ी फसलों पर छिड़काव किया जाता है, के उपयोग के बावजूद फसल विकास के प्रारंभिक चरण में बेसल खुराक के रूप में सामान्य पैकेज्ड यूरिया आवश्यक है.
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