
देशभर में बागवानी क्षेत्र को तेजी से आगे बढ़ाने का काम किया जा रहा है. बड़ी संख्या में किसान इस मुहिम से जुड़ रहे हैं. बागवानी क्षेत्र पारपंरिक खेती के मुकाबले कम समय में दो से ढाई गुना तक मुनाफा देने में सक्षम है, इससे किसानों की आय भी बढ़ रही है और जीवनस्तर में भी सुधार हो रहा है. बागवानी की प्रगति को लेकर ऐसा ही हाल मध्य प्रदेश का भी है. ऐसे में आज हम आपको भारत के हृदय मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर जिले के एक एक ऐसे किसान की कहानी बताने जा रहे हैं, जिसने अपने जुनून और मेहनत से अपने खेत को एक फलता-फूलता बगीचा बना दिया है- वो भी कुछ ऐसा, जो पूरे देश के किसानों के लिए मिसाल बन गया है. वे यहां छोटे-छोटे से आम के पौधों में फल उगा रहे हैं, जिनकी ऊंचाई 4-5 फीट तक है.
नरसिंहपुर जिले के किसान गोविंद पटेल ने अपने दो एकड़ खेत को विभिन्न रंग-बिरंगी फलों के रंग में ऐसा रंग दिया है कि इसे देखकर हर कोई हैरान है. गोविंद ने अपने बगीचे में आम की ऐसी-ऐसी किस्में लगाई हैं, जिनके आपने शायद नाम भी न सुने हों. यहां जापान, चीन, ऑस्ट्रेलिया और अफगानिस्तान से लेकर भारत की देसी प्रकार के- 200 से ज़्यादा फलों पेड़-पौधे लगाए हैं. इनमें से 150 वैरायटी विदेशी हैं. 40 वैरायटी विदेशी आम की हैं, जिसमें एक किलो से लेकर पांच किलो तक के आम शामिल हैं. उन्होंने अपने बगीचे में जापान का मायर वैरायटी का आम भी लगाया है, जो 2 लाख 70 हजार रुपये तक बिकता है.
किसान गोविंद पटेल ने बताया कि यह सिर्फ आमों का बगीचा नहीं है. यहां अंगूर, अमरूद, ड्रैगन फ्रूट, स्ट्रॉबेरी, चीकू, सेब और लीची की कई अनोखी वैरायटी भी उगाई जा रही हैं. अफगानिस्तान की हींग से लेकर चीन के चिली मैंगो तक यहां उगाया जा रहा है. गोविंद ने बताया कि खास बात यह है कि वे इन सभी पौधों को बिना किसी केमिकल या कीटनाशक के पूरी तरह जैविक तरीके से उगा रहे हैं और देखभाल कर रहे हैं.
वह ड्रिप इरिगेशन सिस्टम से पेड़-पौधों की सिंचाई करते हैं. उन्होंने जल संरक्षण के लिए तालाब भी बनाया है, जिसमें बारिश का पानी भर जाता है. गोविंद पटेल ने कहा कि यहां के सारे फल बगैर कीटनाशक के उगाए जा रहे हैं. जो भी आना चाहे, आकर फल खा सकता है. उन्हें स्कूल टाइम से पेड़ लगाने का शौक था, इसलिए अब इसे डेवलप कर रहे हैं. गोविंद पटेल का कहना है कि यह सिर्फ शुरुआत है. वह इस बगीचे को और भी बड़ा करना चाहते हैं, ताकि लोग देखें कि जुनून और मेहनत से क्या कुछ मुमकिन हो सकता है.
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