उत्तर प्रदेश को संभावनाओं का प्रदेश कहा जाता है. प्रदेश का लखीमपुर खीरी जनपद आदिवासी बहुल माना जाता है. इस जनपद में थारू जनजाति की संख्या सबसे ज्यादा है. आधुनिकीकरण के दौर में आदिवासी जाति की महिलाओं के पास रोजगार के अवसर घटते गए. ऐसे में आरती नाम की महिला ने परंपरागत काम को नए तरीके से शुरू किया. आरती मात्र पांचवीं पास हैं लेकिन उन्होंने महिलाओं को जोड़कर कुश और मूज के हैंडीक्राफ्ट की कला को आगे बढ़ाने का काम शुरू किया. उन्होंने महिलाओं का समूह बनाकर उन्हें सशक्त करने का भी काम किया है. उनके बनाए गए मूज की टोकरी से लेकर रोटी रखने की बास्केट की खूब मांग है. आरती को नारी शक्ति सम्मान से भी नवाजा जा चुका है.
आरती किसानी के साथ हैंडीक्राफ्ट में भी हाथ आजमाती हैं. आरती ने लखीमपुर में थारू जनजाति की महिलाओं को पारंपरिक काम के माध्यम से प्रशिक्षण देकर सशक्त करने का काम किया है. आरती की सिखाई हुई महिलाओं में से एक हेमंती राणा को इन दिनों उत्तर प्रदेश दिवस में बुलाया गया है. हेमंती ने जंगली घास कुश और मूज से अलग-अलग शक्ल के उपयोगी सामान बनाकर बेचना शुरू किया. हेमंती राणा बताती हैं कि वे कुश के साथ-साथ तालाब में पाई जाने वाली जलकुंभी से टोकरी और बैग बनाने में प्रयोग करती हैं. उनके बनाए गए इन सामानों की दिल्ली तक में खूब मांग है. उनके समूह में 50 महिलाएं हैं और सबको इस खास हुनर से रोजगार मिला हुआ है.
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उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जनपद की रहने वाली फिरोजा मूज से बने हुए उत्पाद बनाने में महिलाओं का सहयोग करती हैं और एक समूह भी चलाती हैं. उनके समूह में एक दर्जन से ज्यादा महिलाएं हैं. घर का चूल्हा चौका करने के बाद सभी महिलाएं मूज से बने हुए अलग-अलग तरह के सजावटी सामान बनाती हैं.
उत्तर प्रदेश में हस्तशिल्प प्रदर्शनी में जाकर वे अपने उत्पादों को बेचने का काम करती हैं. उत्तर प्रदेश दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में भी फिरोजा अपने उत्पादों को लेकर पहुंची हैं. वे बताती हैं कि पहले जब उनके पास कोई काम नहीं था, तो घर को चलाना बड़ा मुश्किल होता था. आज अपने हुनर के जरिए वे अपने बच्चों को पढ़ा रही है और दूसरी महिलाओं को भी सशक्त करने का काम कर रही हैं. आरती, हेमंती और फिरोजा जैसी महिलाएं आज कई महिलाओं को स्वरोजगार में राह दिखा रही हैं. इन महिलाओं से सीख लेकर अन्य महिलाएं भी मूज और कुश से अपने हुनर को निखारने की कोशिश कर रही हैं. आम लोग जहां कुश और मूज को महज घास समझते हैं, वहीं यूपी की महिलाएं इसे नए शक्ल देकर रोजगार बढ़ा रही हैं.
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