आइए हम आपको जमशेदपुर के किसान बैजू हेम्ब्रम से मिलाते हैं. वे पूर्वी सिंहभूम जिले के चुरूगोड़ा गांव के रहने वाले हैं. यह गांव मौदाशोली पंचायत में आता है. हेम्ब्रम कम उम्र के और जोश से भरे किसान हैं और उन्होंने नई खेती पर जोर दिया है. आधुनिक बागवानी फसलों की खेती में दिलचस्पी लेते हुए उन्होंने इस दिशा में बड़ी मेहनत की है. अब उस मेहनत का नतीजा अच्छा मिल रहा है. उन्होंने परंपरागत खेती से मुंह मोड़ते हुए ऑर्गेनिक खेती का रुख किया है. उसमें भी सब्जियों को इसका जरिया बनाया है. इसमें उन्हें अच्छा मुनाफा हो रहा है.
बैजू हेम्ब्रम ने शुरू में परंपरागत खेती में हाथ आजमाया. इसमें उन्होंने शिमला मिर्च, बैंगन, टमाटर, भिंडी, करेला और खीरा की खेती की. हालांकि इस दौरान वे फसलों की क्वालिटी और पैदावार बढ़ाने की दिशा में लगातार प्रयासरत रहे. उनका यह प्रयास 2021-22 में काम आया. उस साल बागवानी विभाग की स्कीम आई जिसके बारे में उन्हें जिला बागवानी अधिकारी से जानकारी मिली. इसी जानकारी के साथ उन्हें बागवानी अधिकारी से मदद भी मिली.
इसके बाद उन्होंने ऑर्गेनिक स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू कर दी. इसके लिए उन्होंने शेट नेट का सहारा लिया. यही खेती उनकी जिंदगी की टर्निंग पॉइंट साबित हुआ क्योंकि उनका काम करने का तरीका, सोचने का तरीका और लाभ कमाने का नजरिया सबकुछ बदल गया. अलग-अलग ट्रेनिंग कार्यक्रमों में भाग लेकर और उन्नत कृषि तकनीकों को अपनाकर, बैजू ने जैविक खेती और संरक्षित खेती के तरीकों में महारत हासिल की. उनके प्रयासों से न केवल उनके खेत की पैदावार बढ़ी, बल्कि टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल कृषि का एक उदाहरण बना.
बैजू की लगन का असर 2024-25 में देखने को मिला, जब उन्हें कृषि विज्ञान केंद्र, दारीसाई किसान मेले में स्ट्रॉबेरी की बेहतरीन खेती के लिए प्रथम पुरस्कार मिला. यह पुरस्कार कृषि, पशुपालन और सहकारिता विभाग द्वारा दिया जाता है. इस सम्मान ने एक प्रगतिशील किसान के रूप में उनकी भूमिका को और मजबूत किया.
आज बैजू हेम्ब्रम स्ट्रॉबेरी की खेती और अन्य बागवानी फसलों से सालाना 2-3 लाख रुपये का शुद्ध लाभ कमाते हैं. इस वित्तीय सफलता ने उन्हें अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा दिलाने और अपने परिवार के जीवन स्तर को बेहतर बनाने में सक्षम बनाया है. उनकी कहानी कृषि को एक लाभदायक बनाने का जीता-जागता प्रमाण है. इसके साथ ही पूरे झारखंड में उनकी खेती की चर्चा है जो उन्होंने इनोवेशन के जरिये की है. उनकी खेती बताती है कि किसान अगर दृढ़ निश्चय के साथ इसे लगन से अपनाएं और तकनीक का सहारा लें तो सफलता जरूर मिलती है.
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