Rajasthan: भीषण गर्मी भी नहीं डिगा पाई इस किसान का भरोसा, 2 बीघा खेत में उगा दिए 360 किलो ग्वार 

Rajasthan: भीषण गर्मी भी नहीं डिगा पाई इस किसान का भरोसा, 2 बीघा खेत में उगा दिए 360 किलो ग्वार 

राजस्‍थान जो ही बार गर्मी में तापमान के सारे रिकॉर्ड तोड़ देता है, वहां पर एक किसान के बेटे ने कुछ ऐसा किया है जो कृषि के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए कई लोगों को प्रेरित कर सकता है. बीकानेर के छतरगढ़ के महदेवाली गांव के एक गरीब किसान दुलाराम के पुत्र पप्पाराम ने गंभीर जलवायु चुनौतियों का सामना करने के बावजूद ग्वार की फसल की रिकॉर्ड-तोड़ पैदावार की है. इस नई सफलता को उन्‍होंने हर बाधा को पार करके हासिल किया है.

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Rajasthan: भीषण गर्मी भी नहीं डिगा पाई इस किसान का भरोसा, 2 बीघा खेत में उगा दिए 360 किलो ग्वार राजस्‍थान के किसान ग्‍वार की खेती में हासिल की सफलता

राजस्‍थान जो ही बार गर्मी में तापमान के सारे रिकॉर्ड तोड़ देता है, वहां पर एक किसान के बेटे ने कुछ ऐसा किया है जो कृषि के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए कई लोगों को प्रेरित कर सकता है. बीकानेर के छतरगढ़ के महदेवाली गांव के एक गरीब किसान दुलाराम के पुत्र पप्पाराम ने गंभीर जलवायु चुनौतियों का सामना करने के बावजूद ग्वार की फसल की रिकॉर्ड-तोड़ पैदावार की है. इस नई सफलता को उन्‍होंने हर बाधा को पार करके हासिल किया है.

साल 2023 था सबसे गर्म  

पप्‍पाराम ने यह सफलता तब हासिल की है जब राज्‍य में 45 दिनों तक भीषण सूखा पड़ा और तापमान 44-47 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ रहा था. आज उनकी सफलता की कहानी ने कृषक किसानों और कृषि विशेषज्ञों का ध्यान आकर्षित किया है. गौरतलब है कि साल 2023 को सबसे ज्‍यादा गर्म साल घोषित किया गया था. इस साल जलवायु परिवर्तन के अलावा अल नीनो का असर मौसम पर स्‍पष्‍ट रूप से देखने को मिला. खेती की नई तकनीकों और कड़ी मेहनत की मदद से पप्पाराम ने दिखाया कि बदलते जलवायु पैटर्न के बावजूद भी कृषि चुनौतियों पर काबू पाया जा सकता है.

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360 किलो की फसल 

 रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों पर भरोसा किए बिना, उन्‍होंने रेतीली भूमि के दो-बीघा क्षेत्र से 360 किलोग्राम ग्वार के बीज की शानदार फसल उगाई. साथ ही उत्पादन का एक नया रिकॉर्ड बनाया. जोधपुर स्थित केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (CAZRI)के पूर्व वैज्ञानिक डॉक्‍टर डी. कुमार ने वेबसाइट द मूकनायक के साथ पप्‍पाराम की सफलता की कहानी के बारे में विस्‍तार से बात की है. डॉक्‍टर कुमार ने ही उन्‍हें निर्देशन दिया. उनकी देखरेख में पप्‍पाराम ने प्रभावी कृषि पद्धतियों का पालन किया गया. इसका नतीजा था कि इनपुट के साथ ग्‍वार की रिकॉर्ड उपज हुई. 

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किसानों में खुशी और उत्‍साह 

डॉक्‍टर कुमार कहते हैं कि यह राजस्थान के एक किसान की रिकॉर्ड उत्पादन और मुश्किल मौसम पर बड़ी जीत है. उन्‍होंने बताया कि  40 किलोमीटर के आसपास रहने वाले बाकी किसानों की तुलना में पप्पाराम की फसल का उत्पादन करीब 32.70 फीसदी है और ये उम्मीदों से कहीं ज्‍यादा है. जबकि आसपास के किसानों को 300 से 380 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तक उपज हासिल करने के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ा. डॉक्‍टर कुमार का कहना है कि पप्पाराम की सफलता से किसान समुदाय में बहुत ज्‍यादा  खुशी और उत्साह है. पप्पाराम की उपलब्धि इसलिए भी खास है कि उन्होंने रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों पर भरोसा किए बिना, जैविक खेती के तरीकों को अपनाकर इसे हासिल किया है. यह न सिर्फ कृषि के लिए उनकी प्रतिबद्धता को सामने लाता है बल्कि पर्यावरण के लिए उनकी प्राथमिकताओं को भी बताता है. 

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क्‍या-क्‍या किया पप्‍पाराम ने 

मार्च 2023 में, पप्पाराम ने खेत की गहरी जुताई की. इससे मिट्टी में मौजूद खरपतवार और कवक को प्रभावी तरीके से खत्‍म कर दिया. इसके बाद दो बीघा खेतों में करीब पांच टन सड़ी हुई खाद डाली गई, जिससे मिट्टी समृद्ध हुई और पोषक तत्वों की उपलब्धता बढ़ी. पप्‍पाराम ने 25-30 मिमी वर्षा के बाद 30 जुलाई, 2023 को फसल बोई और 90 दिनों के बाद 9 सितंबर, 2023 को इसकी कटाई की.० पकने की अवधि के दौरान वर्षा के बावजूद, फसल पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ा. 

पप्पाराम ने HG-365 किस्म के मोटे बीजों का उपयोग किया. ये बीज अपने सूखा प्रतिरोध और 85 दिन की परिपक्वता अवधि के लिए जाने जाते हैं.  पौधों के बीच उचित दूरी सुनिश्चित करते हुए इन बीजों को 8 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से बिखेरा गया. 

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पप्‍पाराम ने फसल की वृद्धि के लिए सही खरपतवार मुक्त वातावरण बनाए रखते हुए, बुआई के बाद 50 दिनों तक कड़ी मेहनत की और खरपतवार को हटा दिया. इसके अलावा एक फुट की गहराई पर नमी की उपलब्धता सुनिश्चित करके और गहरी जड़ वृद्धि करीब 100 से 110 सेमी तक को बढ़ावा देकर, पप्पाराम ने सूखे के प्रभाव को कम किया और पौधों के पकने तक नमी तक निरंतर पहुंच सुनिश्चित की. 


 

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