छत्तीसगढ़ को 'धान के कटोरे' के तौर पर भी जाना जाता है. लेकिन यहां पर कुछ किसान ऐसे भी हैं जो अब परंपरागत खेती से हटकर नए प्रयोग करने से हिचक नहीं रहे हैं. ऐसे ही एक किसान हैं दीपक पांडे जो रायपुर के रहने वाले हैं. दीपक पिछले कुछ समय से अपने साथी किसानों के बीच में तेजी से सुर्खियां बटोर रहे हैं. दीपक यूं तो पारंपरिक तरीके से धान की खेती करते आ रहे थे मगर कुछ साल पहले उन्होंने आम की खेती शुरू की. अब वह आम की खेती में नई तकनीकों को अपनाकर सफलता हासिल कर रहे हैं.
एक न्यूज चैनल से बात करते हुए दीपक पांडे ने कहा की छत्तीसगढ़ में आम की खेती करने की प्रेरणा उन्हें, तब मिली जब उनके गुरु जी ने उन्हें आम का एक पेड़ दिया था. उस आम के पेड़ को उन्होंने लगाया और फिर आम की खेती शुरू कर दी. आज दीपक 13 एकड़ में 900 से ज्यादा आम के पेड़ लगा चुके हैं. दीपक के अनुसार वह नर्सरी से आम के 1000 पेड़ लेकर आए थे लेकिन जो प्रजाति बताई गई थी, आम उस प्रजाति का था ही नहीं. दीपक का कहना है कि आम के एक पेड़ को तैयार करने में पांच से सात साल का समय लगता है और जब प्रजाति दूसरी निकलती है तो पूरी मेहनत खराब हो जाती है.
दीपक के अनुसार आम का पेड़ लगाने के लिए सबसे पहले जमीन का चयन करना जरुरी है. फिर मिट्टी का टेस्ट बहुत जरूरी है. उनकी साथी किसानों को सलाह है कि आम का पेड़ उसी से लेना चाहिए जिसके पास मदर प्लांट हो. अगर गलत पेड़ मिल गया तो किसान का चयन गड़बड़ हो सकता है. उन्होंने सरकार से अपील की है कि वह आम की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित करे. छोटे किसानों को इसमें सबसे ज्यादा मुश्किलें आती हैं क्योंकि उत्पादन 7 साल लग जाते हैं. इस स्थिति में छोटा किसानों के लिए कुछ नीति बनानी चाहिए.
दीपक की मानें तो आम की खेती में धान से ज्यादा मुनाफा है. धान की खेती में हर साल मेहनत करनी होती है. वहीं आम की खेती में पांच सालों तक कुछ नहीं मिलता है. लेकिन उसके बाद प्रॉफिट मिलना शुरू होता है जोकि नियमित तौर पर चलता रहेगा. एक पौधे में तकरीबन 15 टन आम आता है. मौसम की मार और दूसरी बात को जोड़ दे और हर पेड़ से केवल अगर 10 टन आम बाजार में जाता है और इससे करीब तीन 3 लाख रुपए की की इनकम होती है. पांच साल आम के लिए आप इंतजार कर सकते हैं लेकिन उस खेत में दूसरी फसल जिमीकंद, हल्दी लगा करके एक्स्ट्रा कमाई कर सकते हैं.
दीपक के बगीचे में चौसा, बैंगन पल्ली, हिमसागर, दूधसागर, शार्दालू, फजली और दशहरी सहित कुल 12 से 13 वैरायटी के पेड़ लगे हुए हैं. छत्तीसगढ़ सरकार के हॉर्टिकल्चर विभाग ने पिछले साल दीपक से 1000 पौधे तैयार करने के लिए कहा था. दीपक ने पौधों को तैयार करके विभाग को सौंप दिया था. उन्होंने जो भी पौधे तैयार किए और जो हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट को दिए हैं वह मदर प्लांट से ही तैयार किए थे.
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