
Saharanpur News: सहारनपुर के मेरवानी में रहने वाले 68 साल के प्रगतिशिल किसान आदित्य त्यागी ने विदेशी पीले रंग के तरबुज की खेती में कमाल कर दिया है. किसान तक से बातचीत में आदित्य त्यागी ने बताया कि जर्मनी से बीज मंगाकर पहली बार ट्रायल के तौर पर एक बीघे में पीले तरबूज की खेती की गई. इसका उत्पादन अच्छा रहा. लाल तरबूज के वनस्पत इस तरबूज की कीमत बाजार में अधिक मिल जाती है. उन्होंने कहा कि इसके साथ ही इसमें कई ऐसे गुण पाए जाते हैं जो शरीर के लिए काफी लाभदायक होता है. लाल तरबूज और पीला तरबूज में स्वाद में काफी अंतर होता है. वहीं एक पेड़ में 8-10 फल अभी आए है.
पीले तरबूज की खेती कर रहे किसान आदित्य त्यागी बताते हैं कि लाल और पीले तरबूज में कई अंतर हैं. पीला तरबूज खाने में बहुत मीठा होता है. साथ ही इसकी स्टोरेज कैपेसिटी अधिक होती है. बाजार में इसकी मांग भी होने लगी है. यह आसानी से ₹40 से 50 किलो के हिसाब से बिक जाता है. जबकि लाल तरबूज 20 से 25 रुपए किलो में बिक रहा है.
त्यागी ने आगे बताया कि लाल तरबूज से अधिक इस पीले तरबूज में औषधीय गुण पाए जाते हैं. इसमें लाइकोपीन नामक तत्व नहीं होते हैं इसलिए यह पीला होता है. यह कई गुणों से भरपूर होता है. पीले तरबूज में विटामिन-बी, विटामिन-ए और सी, आयरन, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, बीटा कैरोटीन जैसे कई पोषक तत्व पाए जाते हैं.
गर्मियों में ये शरीर को हाइड्रेट रखता है. इम्युनिटी को बूस्ट करता है और मेटाबॉलिज्म बेहतर करता है. कम कैलोरी होने के कारण ये वेट लॉस करने वालों के लिए काफी अच्छा माना जाता है.
सहारनपुर के प्रगतिशिल किसान आदित्य त्यागी ने बताया कि पीले तरबूज को हमने पूरी तरह ऑर्गनिक तकनीक से उगाया हैं. क्योंकि हम कभी भी खेती में खतरनाक केमिकल डालकर पैदावार नहीं करते, वो सेहत के लिए बहुत हानिकारक है. आपको बता दें कि सहारनपुर के मेरवानी में रहने वाले किसान आदित्य त्यागी 2015 में उत्तराखंड वन विभाग से फॉरेस्ट रेंजर के पद पर तैनात थे. अपने पद से रिटायर होने के बाद अब वो खेती-किसानी से घर बैठे लाखों रुपये की आय कर रहे हैं.
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