Success Story: ससुर को हुआ कैंसर तो बहू ने कर डाली ऐसी शुरुआत, मिसाल है ये पूरी कहानी

Success Story: ससुर को हुआ कैंसर तो बहू ने कर डाली ऐसी शुरुआत, मिसाल है ये पूरी कहानी

महिला किसान मीना सिंह ने जैविक खेती करने का कारण बताते हुए कहा कि जब उनके ससुर कैंसर से पीड़ित हो गए थे और उनकी मौत हो गई, तब डॉक्टरों ने उनको बताया कि कैंसर रोग का एक मुख्य कारण फसलों पर अधिक रसायन उर्वरकों  और केमिकल दवाओं का प्रयोग भी है . इसके बाद जो हुआ वह आज सिर्फ कई महिलाओं के लिए ही नहीं किसानों के लिए भी मिसाल बन चुका है.

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Success Story: ससुर को हुआ कैंसर तो बहू ने कर डाली ऐसी शुरुआत, मिसाल है ये पूरी कहानीमहिला जैविक किसान मीना सिंह

गांव के खेत हों या देश की सरहद,सागर की लहरें हों या खुला आसमान महिलाएं सभी जगह अपनी सबलता का परिचय दे रही हैं. संसद से लेकर सड़क तक महिलाओं का बोलबाला है. ऐसा ही एक उदाहरण हैं महिला किसान मीना सिंह. उन्होंने जैविक खेती के जरिए मिसाल कायम की है. मगर यहां तक पहुंचने का उनका सफर संघर्षों भरा रहा है. इन संघर्षों को पार करके उन्होंने जो उपलब्धियां हासिल की हैं, वे अब मिसाल बन चुकी हैं. जानिए उनकी पूरी कहानी-

ससुर के कैंसर की बीमारी ने बदल दी जिंदगी

मीना सिंह की जिंदगी में सब कुछ पहले जैसा ही चल रहा था लेकिन जब उनके ससुर कैंसर से पीड़ित हुए तब उनकी जिंदगी में एक ऐसा मोड़ आय़ा कि सब बदल गया. डॉक्टरों से बातचीत हुई तो मालूम चला कि कैंसर रोग का एक मुख्य कारण फसलों पर अधिक रसायन उर्वरकों  और  केमिकल दवाओं का प्रयोग भी है .इसके बाद उन्होने अपने घर के खाने  के लिए  जैविक तरीके से फसल उगाने की ठानी  और अब वह 10 एकड़ में जैविक खेती कर रही हैं.

जैविक खेती के लिए पहुंच गईं चंदौली से चेन्नई

मीना सिंह एलएलएम तक शिक्षा ग्रहण कर चुकी  मीना सिंह मूल रूप से उत्तर प्रदेश के जिला चंदौली की रहने वाली हैं. जब उनके ससुर कैंसर से पीड़ित हुए तब मीना सिंह एलएलएम तक शिक्षा ग्रहण कर चुकी थीं. कैंसर का इलाज बेशक चला लेकिन ससुर को बचाया नहीं जा सका उनकी मौत के बाद मीना को जैविक खेती के प्रति इतनी उत्सुकता बढ़ी कि इसकी पूरी जानकारी के लिए वह जैविक खेती और आयुर्वेदिक की शिक्षा ग्रहण करने चेन्नई पहुंच गईं. इसके बाद उन्होंने जैविक तरीके  से फसल पैदा करने की ठानी . आज वह 10 एकड़ में जैविक खेती कर रही हैं और रासायनिक खेती के मुकाबले बहुत कम लागत में बेहतर उत्पादन ले रही हैं. ये जैविक महिला किसान खेती की जुताई से लेकर बिक्री तक का सारा कार्य स्वयं ही प्रबंधन करती हैं. 

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गौआधारित जैविक खेती करती महिला किसान

जैविक खेती के महत्व के बारे में अच्छी प्रकार से जानकारी लेने के बाद मीना सिंह ने  फसलों में डाले जाने वाले खाद उर्वरक के लिए सबसे पहले देसी गायों का पालन किया और अभी उनके पास 150 देसी गाय हैं. अपनी फसलों के लिए गोबर से कम्पोस्ट और जैविक खाद बनाकर वे अपने खेतों में प्रयोग करती हैं. इसके अलावा फसल में रोग और कीट का प्रकोप ना हो इसके लिए वो खुद  जीवामृत , जैविक कीटनाशक बनाकर खेतों में प्रयोग करती है जिससे किसी भी प्रकार की रासायनिक दवाओं की जरूरत ना पड़े.

धान -गेहूं की जगह विभिन्न तरह की फसलें

उत्तर प्रदेश के जिला चंदौली मे धान-गेंहूं की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. ऐसी जगह मीना जैविक तरीके से 10 एकड़ में खरीफ में धान, अरहर, सब्जियों की खेती करती हैं तो वहीं रबी सीजन में चना, मटर सरसों, आलू और गोभी टमाटर बैगन,लहसुन प्याज, आलू,  सोयाबीन , स्ट्रॉबेरी की खेती करती हैं, जबकि जायद में मूंग, उड़द , तरबूज, खीरा ,नेनुआ, लौकी, करैला  की खेती करती हैं. इसके अलावा  जैविक तरीके से औषधि फसल जैसे कालमेघ,अश्वगंधा, इंसुलिन, सफेद मूसली की खेती करके अच्छा उत्पादन कर लाभ कमा रही हैं.वह बताती है कि उनके  घर के लोग  हैदराबाद, बंगलौर और दूसरे शहरों में रहते हैं.मीना उनको जैविक तरीके से उगाई उपज  भेजवाती है और साथ ही अपने रिश्तेदारों को भी भेजती हैं. 

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बेहतर लाभ के लिए खेतों का जैविक प्रमाणीकरण

मीना सिंह ने कहा कि उनके  जैविक उत्पाद को बाजार में पहचान मिले ,इसके लिए उन्होंने अपने खेतों का प्रमाणीकरण, जैविक प्रमाणीकरण संस्था से साल 2016 में कराया था. इससे उनके उत्पादित  जैविक उपज को बाजार में उचित मूल्य मिलने में मदद होती है . उन्होंने बताया कि जब पहले उन्होंन जैविक तरीके से खेती करना शुरू किया तो  फसलों का उत्पादन रासायनिक खेती  के  मुकाबले जैविक खेती में  दो साल तक कम  मिला, लेकिन अब रासायनिक खेती की तुलना मे उत्पादन बेहतर मिल रहा है. वह बताती हैं कि उनकी फसलों को देखकर किसी को विश्वास नही होगा कि उनकी फसलें जैविक तरीके से उगाई गई हैं. 

जैविक खेती में नए-नए प्रयोग 

मीना सिंह अब जैविक खेती में पूर्ण तरीके से पारंगत हो चुकी हैं .वह जैविक खेती में नये नये प्रयोग करती रहती हैं. वह बताती हैं कि पुराने  पीपल या बरगद के  नीचे की जमीन की उपरी परत की मिट्टी को  निकालकर अगर खेतों में छिड़काव किया जाए तो फसलों से बेहतर उत्पादन मिलता है . वह बताती हैं कि बरगद और पीपल के पेड़ के नीचे की मिट्टी  में बहुत ज्यादा उपजाऊपन होता है . सब्जी और फसलो को कीट रोगों से बचाने के लिए वह नीम, धतूरा  औऱ मदार का घोल तैयार कर  फसलों पर छिड़काव करवाती हैं .

दूसरे किसानों को जैविक खेती अपनाने की  सलाह

मीना सिंह ने बताया कि उत्पादन को बढ़ाने के लिए किसान अपनी फसलों में अंधाधुंध रासायनिक उर्वरकों, जहरीले कीटनाशकों का प्रयोग करते हैं. इसका सीधा असर किसान की जेब पर पड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर उनके इलाके में अनेक लोगों को रासायनिक खाद से होने वाले दुष्प्रभाव से बीमार होते हुए देखा है. गरीब किसान समय पर उपचार भी नहीं करा पाते थें. इसलिए मीना सिंह अपने जनपद के कई जगहों पर जाकर कृषि से  जुड़ी हुई महिलाओं और पुरुष विद्यार्थियों को जैविक खेती के विषय में जानकारियां भी प्रदान करती हैं जिससे किसान जैविक  खेती करने के साथ बेहतर लाभ भी अर्जित कर सके.मीना सिंह को गोकुल पुरस्कार से कई बार सम्मानित किया जा चुका है.

 

 

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