भोजनांते पिवेत तक्रम, वैद्यम् किम् प्रयोजनम्. यानी भोजन के बाद अगर आप छाछ पीते हैं तो वैद्य की जरूरत नहीं होगी. इसी तरह तक्रम शक्रस्य दुर्लभम्. इसका मतलब है कि तक्र नाम का पेय पदार्थ देवताओं के राजा इंद्र के लिए भी दुर्लभ है. संस्कृत सुभाषितास के इस श्लोक को 38 साल के हेमंत शर्मा ने कहीं पढ़ लिया. इसके बाद उन्होंने पीने के लिए ऐसी लस्सी बना दी जो स्वाद के कारण सबसे अलग है. हेमंत का दावा है कि उन्होंने दही, छाछ से पीने के कुछ ऐसे प्रोडक्ट बनाए हैं जो आज तक भारत में कोई नहीं बना पाया है. हेमंत का दावा है कि उन्होंने काफी ग्रंथों को पढ़कर दही से प्रोडक्ट बनाए हैं. इनका स्वाद सैंकड़ों साल पुराने पेय पदार्थों के जैसा है. साथ ही कुछ लस्सी ऐसी हैं जो शाही परिवारों में कोई उत्सव होने पर बनाए जाते थे.
वैदिक काल में तक्रम एक तिहाई पानी और दो तिहाई दही को मिलाकर बनाया जाता था. आजकल इसे हम लस्सी के नाम से जानते हैं.
हेमंत ने अपने प्रोडक्ट्स के नाम भी उसके समय के हिसाब से रखे हैं. वे बताते हैं, “ मेरा एक प्रोडक्ट लस्सी मेड इन बस्सी है. बस्सी जयपुर के पास एक गांव है. क्योंकि हम बस्सी और इसके आस-पास से ही दूध लाकर लस्सी बनाते हैं. इसीलिए इसका नाम लस्सी मेड इन बस्सी रखा गया. इसके अलावा छाछ 500 मुगलकालीन पेय पदार्थ है. इसी तरह छाछ 5000 भगवान कृष्ण के समय का है. मधित देसी रम वैदिक काल का प्रोडक्ट है. वहीं, छच्छिका मिलेनियम प्रोडक्ट का ऑरिजिन अभी तक कोई नहीं जान सका है.”
हेमंत का दावा है कि देश में फिलहाल कोई भी इस तरह का प्रोडक्ट नहीं बना रहा है. हम इस तरह के इकलौते स्टार्टअप हैं. हमने इन्हीं पुराने प्रोडक्ट को नए अंग्रेजी नाम के साथ लॉंच किया है. क्योंकि आजकल सामान्य इंसान संस्कृत भाषा नहीं जानता है. मेरे जितने भी प्रोडक्ट हैं, हमने उनका सिर्फ नाम ही बदला है, लेकिन स्वाद में कोई बदलाव नहीं किया है.
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फिलहाल हमारा कोई रिटेल स्टोर नहीं है. क्योंकि प्रोडक्ट काफी नया है. इसीलिए हम अलग-अलग एग्जीबिशन में प्रचार के लिए जा रहे हैं, लेकिन जल्द ही हम अपना पहला रिटेल स्टोर खोलने वाले हैं. यह स्टोर मुंबई में खोला जाएगा. फिलहाल हम अलग-अलग जगह जाकर प्रोडक्ट्स का प्रचार कर रहे हैं.
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चूंकि मुंबई में बाजार अच्छा है और मांग भी ज्यादा है. साथ ही वहां मिलने वाली लस्सी में ऐसा स्वाद भी नहीं है और वो जल्दी खट्टी हो जाती है. इसीलिए हम वहां अपना पहला स्टोर खोलेंगे.इसके बाद दूसरी मेट्रो शहरों में हम अपनी पहुंच बनाएंगे.
खाने के बाद एक गिलास छाछ आपकी पाचन क्रिया को बेहतर रखता है. हेमंत कहते हैं, “आजकल की बदली हुई लाइफस्टाइल में लोगों के पास शुद्ध छाछ भी उपलब्ध नहीं है. इसीलिए मेरा प्रोडक्ट स्वाद में बेहतर है और लंबे समय तक चलने वाला है.”
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