जहां चाह है वहां राह है, इस कहावत को उत्तराखंड के पहाड़ों में रहने वाले एक किसान ने बिल्कुल सही साबित किया है. जहां पहाड़ों से आए दिन कमाई की राह जोहते वहां के रहवासी शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं, उसी पहाड़ों में बागेश्वर जनपद के रहने वाले नंदन सिंह फलों की खेती करके 75000 रुपये की कमाई कर रहे हैं. नंदन सिंह के पास 1.6 हेक्टेयर भूमि है जिसमें वह खेती करते हैं.
उन्होंने बताया कि वह आडू और खुबानी की खेती करने से पहले पारंपरिक फसलों जैसे, गेहूं, धान, मसूर और आलू की खेती करते थे, जिसमें उन्हें मुनाफा नहीं होता था. अब आड़ू, खुबानी की खेती से उनकी अच्छी कमाई हो रही है, साथ ही पूरे इलाके में नाम भी हो रहा है.
किसान नंदन सिंह ने बताया कि जब वो पारंपरिक फसलों की खेती करते थे, तब गांव में सिंचाई के साधनों की कमी थी क्योंकि ज्यादातर पहाड़ी क्षेत्रों में फसलों की सिंचाई वर्षा पर आधारित होती है. ऐसे में सिंचाई की व्यवस्था न होने के कारण उनकी फसलों की पैदावार में कमी रहती थी. इसके बाद उन्होंने कृषि अनुसंधान केंद्र से संपर्क किया, जहां उन्हें वैज्ञानिकों ने सलाह दी कि पॉलीहाउस की मदद से फल और सब्जियों की खेती करें. इसके बाद नंदन सिंह के उसी 1.6 हेक्टेयर भूमि से आय दोगुनी हो गई.
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फल और सब्जी की खेती को अपनाने के बाद किसान नंदन सिंह अपने जमीन में फलों का खुद उत्पादन करते हैं. इनमें मुख्य रूप से वह, आडू, खुबानी, माल्टा, नाशपाती, आम, चीली, अनार और नींबू की खेती करते हैं. इन सभी फलों की मांग को देखते हुए उनकी कमाई भी बेहतर होती है. साथ ही इसमें उन्हें अधिक सिंचाई भी नहीं करनी पड़ती है.
किसान नंदन सिंह ने वक्त के मिजाज को समझते हुए कृषि विज्ञान केंद्र की तकनीकी सलाह और उद्यान विभाग के सहयोग से न केवल फल की खेती को बढ़ाया है बल्कि इससे उनकी आमदनी में भी बढ़ोतरी हुई है. वर्तमान समय में किसान नंदन अपने फल उद्यान से आडू, खुबानी, माल्टा, नाशपाती, आम, चीली, अनार और नींबू की खेती करके 1,05,000 रुपये की कमाई कर रहे हैं, जिसमें उनकी कुल शुद्ध कमाई 75 हजार रुपये है. यह स्थिति तब है, जब अधिकांश पेड़ों पर अभी पूरी तरह से फल नहीं आए हैं.
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