Litchi Farming: बिहार के बाद उत्तर प्रदेश में भी अब किसान लीची की खेती करने लगे है. कई किसान लीची के बागों में निवेश करके सफलता पा रहे हैं. इससे उन्हें हर साल लाखों रुपए का मुनाफा हो रहा है. आज हम बाराबंकी जिले के जैदपुर के रहने वाले किसान काजिम सज्जाद की सफल कहानी बताने जा रहे है, जो शाही और चाइनीज किस्म की लीची की बागवानी करके एक सीजन में लाखों रुपये की आमदनी कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि 5 बीघे में 70 से 80 हजार के करीब लागत आती है. जबकि मुनाफा 5 से 6 लाख के बीच हो जाता है. काजिम सज्जाद हर साल वो लीची की दोनों प्रजाति की अच्छी पैदावार करते आ रहे है, इस साल गर्मी थोड़ा ज्यादा पड़ रही है. लेकिन उम्मीद हैं कि चाइनीज लीची की खूब ज्यादा होगी.
किसान तक से बातचीत में काजिम सज्जाद ने बताया कि करीब 15 सालों से हम लीची की खेती कर रहे हैं. इसका पौधा हमने बिहार के मुजफ्फरपुर से मंगवाया था. 5 बीघे में लीची की खेती करने काजिम सज्जाद बताते हैं कि शाही लीची के मुकाबले चाइनीज लीची की डिमांड मार्केट में ज्यादा होती है. क्योंकि चाइनीज लीची मीठी ज्यादा होती है और जल्दी तैयार भी हो जाती है. इस समय जो लीची निकल रही है, अच्छे रेट में भी जा रही है. जबकि शाही लीची स्वाद में थोड़ी खट्टी होती है और यह देर से तैयार होती है.
उन्होंने कहा कि बाराबंकी के साथ-साथ आसपास जिले के व्यापारी भी यहां की लीची खरीदने आते हैं. लीची की खेती में लागत की बात करें इसमें पानी थोड़ा ज्यादा लगता है और कीटनाशक दवाइयां का छिड़काव समय-समय पर करना पड़ता है. बारिश का इंतजार कर रहे हैं, क्योंकि बारिश के बाद पेड़ का फल और मीठा हो जाएगा. जैदपुर के रहने वाले किसान काजिम सज्जाद ने बताया कि हीटवेव से लीची का उत्पादन थोड़ा प्रभावित हो सकता है. यूपी के कई जिलों में तापमान 44 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है. ऐसे में 5 जून के बाद बाजारों में भी लीची अच्छी मात्रा में पहुंच जाएगी.
बता दें कि बिहार के समस्तीपुर जिले को लीची का साम्राज्य कहा जाता है. यहां की लीची देश के अन्य क्षेत्रों में उगाई जाने वाली लीची की तुलना में बेहतर गुणवत्ता और स्वाद वाली होती है. इस इलाके की उपजाऊ मिट्टी, अनुकूल जलवायु और विशेषज्ञ खेती तकनीकें यहां की लीची को असाधारण स्वाद और मिठास देती हैं. इसकी डिमांड लोकल और बाहरी दोनों बाजारों में है.
बाराबंकी के जिला उद्यान अधिकारी महेश श्रीवास्तव ने बताया कि लीची के नवीन बाग लगाने पर सरकार द्वारा आर्थिक सहायता भी दी जाती है. लीची का नया बाग 10x10 मीटर पर लगाया जाता है. जिसकी इकाई लागत रु 28000 पर 50% अनुदान कुल रु 14000 तीन वर्षों में मिलता है. उन्होंने बताया कि प्रथम वर्ष रु 8400, दूसरे साल रु 2800 और तीसरे साल रु 2800 निवेश के रूप में किसानों को उपलब्ध कराया जाता है.
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