सरकार ने बनाया खाद संकट को दूर करने का बड़ा प्लान देश में जारी खाद, यूरिया संकट के बीच सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है. एक रिपोर्ट की मानें तो सरकार अमोनियर सल्फेट को यूरिया के विकल्प के तौर पर बाजार में लाने जा रही है. इस रिपोर्ट के अनुसार सरकार इस रबी सीजन से उर्वरक सब्सिडी योजना के तहत अमोनियम सल्फेट को यूरिया के बेहतर विकल्प के तौर पर उतारेगी. सरकार जिस तरह से नाइट्रोजन के लिए 43.02 रुपये प्रति किग्रा और सल्फर के लिए 2.87 रुपये प्रति किलोग्राम की सब्सिडी देती है उसी तरह की सब्सिडी अमोनियम सल्फेट पर भी लागू होगी.
अखबार बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के अनुसार उर्वरक मंत्रालय ने एक नोटिफिकेशन जारी किया है. इसमें कहा गया है, 'रबी 2025-26 (अक्टूबर 2025-मार्च 2026) के लिए न्यूट्रिएंट बेस्ड सब्सिडी (एनबीएस) योजना के तहत अमोनियम सल्फेट (घरेलू और आयातित दोनों) को शामिल करने का निर्णय लिया गया है.' सरकार के अनुसार इस नोटिफिकेशन के बाद अमोनियम सल्फेट की AS 20.5-0-0-23 किस्म पर सब्सिडी 9,479 रुपये प्रति टन होगी. AS 20.5-0-0-23 किस्म में 20.5 प्रतिशत नाइट्रोजन और 23 प्रतिशत सल्फर होता है, जबकि इसमें फॉस्फेट या पोटाश नहीं होता.
इंडस्ट्री से जुड़े सूत्र के अनुसार AS 20.5-0-0-23 किस्म के प्रति बैग (50 किलोग्राम) पर सब्सिडी करीब 474 रुपये होगी. वर्तमान दर करीब 1,100-1,200 रुपये प्रति बैग थी. इससे कई किसानों के लिए इसे खरीदना मुश्किल हो रहा था. सब्सिडी के बाद खुदरा मूल्य करीब 700 रुपये प्रति बैग तक गिरने की संभावना है.' कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार चूंकि अमोनियम सल्फेट यूरिया की तुलना में नाइट्रोजन (N) धीरे-धीरे छोड़ता है. इसलिए इसे सब्सिडी के दायरे में लाने से इसकी मांग बढ़ेगी बशर्ते सरकार समय-समय पर यूरिया की खुदरा कीमत मौजूदा 267 रुपये प्रति बैग (45 किलो) से बढ़ाए.
उनका कहना है कि हालांकि अमोनियम सल्फेट में यूरिया की तुलना में कम नाइट्रोजन (46 प्रतिशत N) होता है, फिर भी यह यूरिया के अंधाधुंध प्रयोग के बीच मिट्टी और फसल की सेहत के लिए एक बेहतर विकल्प है. आधिकारिक सूत्रों के अनुसार पिछले खरीफ सीजन में, एएस 20.5-0-0-23 किस्म पर सब्सिडी 9,419 रुपये प्रति टन थी. सब्सिडी में यह बढ़ोतरी सल्फर की सब्सिडी दर में बढ़ोतरी के कारण हुई थी जो 2025 की खरीफ बुवाई अवधि के दौरान 2.61 रुपये प्रति किग्रा थी.वहीं सूत्रों का कहना है कि अमोनियम सल्फेट पर पहले कोई स्पष्टता नहीं थी, जिसका अब 29 अक्टूबर की नोटिफिकेशन में साफ जिक्र किया गया है.
उर्वरक मंत्रालय ने 3 नवंबर को कहा कि खरीफ 2025 (अप्रैल-सितंबर) के दौरान यूरिया की अनुमानित 185.39 लाख टन (एलटी) मांग के मुकाबले, वास्तविक बिक्री 193.20 लाख टन रही. यह पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 4.08 लाख टन ज्यादा है. मंत्रालय ने यह भी कहा कि 230.53 लाख टन की उपलब्धता के कारण मांग पूरी की जा सकती है. खरीफ 2025 में यूरिया की कमी की कई राज्यों से रिपोर्टें आईं. इसके कारण राज्य के कृषि मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों ने केंद्र से अतिरिक्त आपूर्ति के लिए अनुरोध किया. कुछ मंत्री खुद खुदरा विक्रेता/डीलर स्तर पर निरीक्षण टीमों का हिस्सा थे ताकि कमी और कालाबाजारी की शिकायतों की पुष्टि की जा सके.
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