एमपी के मक्का किसानों की दोहरी चुनौतियां मध्य प्रदेश भारत में मक्का का एक प्रमुख उत्पादक राज्य है जहां पर किसान बड़ी लगन के साथ इसकी खेती करते हैं. लेकिन अब इसी फसल की वजह से उनकी मुसीबतें बढ़ गई हैं. बैतूल जिले के मुलताई तहसील के परमंडल में मक्का के किसान इन दिनों खासे परेशान हैं. किसान नेता सुनीलम ने एक वीडियो अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट किया है. इस वीडियो में उन्होंने उन मक्का किसानों की परेशानी को दिखाने की कोशिश की है जो मक्का की चौपट हो चुकी फसल की वजह से काफी परेशान हैं. सुनीलम जो किसान संघर्ष सामिति के मुखिया हैं, उन्होंने किसान लक्ष्मण बोरबन का दर्द वीडिया के जरिये दिखाने की कोशिश की है.
किसानों की मानें तो जहां सरकार ने मक्का के लिए 2400 रुपये कीमत तय की है तो वहीं व्यापारी इसकी आधी कीमत भी देने को तैयार नहीं हैं. किसानों का कहना है कि व्यापारी अगर 1200 रुपये भी उपज का दे दें तो बड़ी बात होगी. लगातार बारिश की वजह से मक्का सड़ गया है. बारिश के बाद गिरने वाली ओस भी इसे बेकार कर देती है. लक्ष्मण बोरबन ने बताया, 'मैंने छह और चार एकड़ में मक्का बोया था. इसके बाद 400 रुपये 500 रुपये रोज मजदूर को इसे तोड़ने के लिए देते हैं. लेकिन इसके बाद भी मक्का उग आया है. व्यापारी कहता है कि यह मक्का हम 10 रुपये में भी नहीं खरीदेंगे. अब ऐसे में किसान क्या करेगा.'
उन्होंने कहा कि अब उनकी ख्वाहिश है कि सरकार इस पर एक्शन ले और व्यापारी के खिलाफ कार्रवाई करे. उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि यूं तो उसको एमएसपी पर मक्का खरीदना चाहिए लेकिन अगर यह नहीं है तो कम से कम जो दाम तय किया है यानी 2400 रुपये उस पर तो खरीदे.
वहीं एक और किसान शिवनारायण बोरबन ने भी लक्ष्मण बोरबन की बात दोहराई. किसानों का कहना है कि उन्हें फसल बीमा की राशि भी नहीं मिल रही है. न सिर्फ बैतूल बल्कि मध्य प्रदेश के दूसरे जिलों में भी ऐसी ही स्थिति है.राज्य में मौजूदा बाजार की हकीकत एक डरावनी तस्वीर पेश करती है. प्रमुख मक्का उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश की कृषि मंडियों में मक्का की फसल मात्र सिर्फ 1140 रुपये से 1400 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर बिक रही है. यानी हर क्विंटल मक्का की बिक्री पर 1000 से 1200 रुपये का भारी नुकसान हो रहा है.
सुनीलम पिछले कई सालों से देश के किसानों और मजदूरों से जुड़े आंदोलनों को का नेतृत्व करते आ रहे हैं. वर्तमान समय में वह संयुक्त किसान मोर्चे की कोर कमेटी के सदस्य हैं और किसान संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं.
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