रेगिस्तान के आलू का बनेगा फ्रेंच फ्राइज! किसान और मल्टीनेशनल कंपनी के बीच करार

रेगिस्तान के आलू का बनेगा फ्रेंच फ्राइज! किसान और मल्टीनेशनल कंपनी के बीच करार

बाड़मेर के क‍िसान विक्रम सिंह के साथ मल्टीनेशनल फूड कंपनी मैककेन ने आलू उगाने के लिए कांट्रेक्ट किया है. क‍िसान का दावा है कि मैककेन का राजस्थान में व्यावसायिक खेती का यह पहला कॉन्ट्रेक्ट है. कॉन्ट्रेक्ट के तहत विक्रम सिंह अपनी 25 एकड़ खेत में आलू की बुवाई कर रहे हैं.

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रेगिस्तान के आलू का बनेगा फ्रेंच फ्राइज!  किसान और मल्टीनेशनल कंपनी के बीच करारआलू की बुवाई करते मजदूर

एक समय था जब राजस्थान स्थित थार के रेगिस्तान में सिर्फ रेत ही रेत थी. पीने के पानी के लिए भी लोग तरसते थे. खेती के नाम पर बाजरा होता था, लेकिन अब समय बदला है. धोरों (रेत के टीले) में अब खरीफ-रबी दोनों सीजन की खेती होने लगी है. साथ ही कई तरह के नए प्रयोग हुए हैं. जिनमें जीरा और अनार मुख्य फसल हैं. लेकिन, अब आलू के लिए भी थार को पहचाना जाएगा. इस द‍िशा में बाड़मेर जिले के तारातरा मठ गांव के प्रोग्रेसिव किसान विक्रम सिंह ने महत्वपूर्ण काम क‍िया है. ज‍िसके बाद अब रेग‍िस्तान के आलू का फ्रेंच फ्राइज दुन‍ियाभर के में लोगों को खाने को म‍िलेंगे. 

असल में बाड़ेमर के प्रोग्रेस‍िव क‍िसान विक्रम सिंह के साथ मल्टीनेशनल फूड कंपनी मैककेन (mccain foods) ने आलू उगाने के लिए कांट्रेक्ट किया है. मैककेन ही वह कंपनी है, ज‍िसके फ्रेंच फ्राइज बड़े-बड़े दुन‍ियाभर में म‍िलते हैं. क‍िसान का दावा है कि मैककेन का राजस्थान में व्यावसायिक खेती का यह पहला कॉन्ट्रेक्ट है.

25 एकड़ में बुवाई

कॉन्ट्रेक्ट के तहत विक्रम सिंह अपनी 25 एकड़ खेत में आलू की बुवाई कर रहे हैं. बता दें कि यह कंपनी 160 से ज्यादा देशों में फ्रेंच फ्राइज का काम कर रही है. विक्रम सिंह से किसान तक ने इस बारे में बात की. विक्रम कहते हैं, “मैं बीते दो साल से खेती में कुछ नवाचार करने के बारे में सोच रहा था. इस दौरान मेरा संपर्क जेट्टा फार्म्स कंपनी के कृषि एक्सपर्ट्स से हुआ. इसके बाद जेट्टा फार्म के एक्सपर्ट्स ने तारातरा मठ स्थित मेरे खेतों का दौरा किया. उन्होंने खेत की मिट्टी-पानी का अध्ययन किया. इस तरह जेट्टा फार्म के जरिए मैककेन ने आलू की खेती का कॉन्ट्रेक्ट कर लिया.” विक्रम का दावा है कि पश्चिमी राजस्थान में आलू की व्यावसायिक खेती का यह पहला प्रयोग है. वे कहते हैं, “पश्चिमी राजस्थान अब खेती के मामले में भी आगे बढ़ रहा है. पहले भी हमारे यहां के किसान रेत में अनार उगा चुके हैं. अब थार की मिट्टी आलू भी उगलेगी.”

वहीं, जेट्टा फार्म के फाउंडर रितुराज शर्मा का कहना है कि हम 2016 से कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग पर काम कर रहे हैं. खेती के लिए वैज्ञानिक तरीकों को उपयोग में ला रहे हैं. इससे किसानों की आय भी बढ़ रही है. 

बुवाई हुई, अब फसल का इंतजार

विक्रम सिंह बताते हैं कि आलू की खेती के लिए मैककेन ने बीज के लिए तीन श्रेणी के 32,500 किलो आलू बुवाई के लिए दिए हैं. जिन्हें बोने का काम पूरा किया जा चुका है. इसके बाद तीन से चार महीने में आलू की फसल तैयार होने की उम्मीद है. किसान का दावा है कि बोये हुए बीज से करीब 10 गुना ज्यादा आलू खेत में पैदा होंगे. 

गांव की महिलाओं को रोजगार

आलू की बुवाई के लिए तारातरा मठ गांव की ही करीब 50 महिलाओं को ट्रेनिंग दी गई थी. किसान विक्रमसिंह का कहना है कि मल्टीनेशनल कंपनी से कॉन्ट्रेक्ट होने के कारण गांव की महिलाओं को गांव में ही काम मिल रहा है. उम्मीद है अगले कुछ सालों में ये काम बढ़ेगा और कई सौ महिलाओं को हम काम दे पाएंगे.वहीं कॉन्ट्रेक्ट के तहत फसल उत्पादन के बाद कंपनी गुणवत्ता की जांच करेगी. इसके बाद आलू की क्वालिटी के आधार पर फसल को बांटा जाएगा.  कंपनी पूरी फसल खेत से ही खरीदेगी. 

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