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लीची का रसगुल्ला खाया है... मह‍िला क‍िसान ने इससे ल‍िखी सफलता की कहानी

लीची का रसगुल्ला खाया है... मह‍िला क‍िसान ने इससे ल‍िखी सफलता की कहानी

मुजफ्फरपुर जिले की रहने वाली लक्ष्मी लीची से जूस,रसगुल्ला बनाती है. इसके साथ ही खेती व पशुपालन के दम पर एक बेहतर कमाई कर रही हैं.

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फोटो किसान तक : लक्ष्मी कुमारी लीची से बनाती है रसगुल्ला फोटो किसान तक : लक्ष्मी कुमारी लीची से बनाती है रसगुल्ला

बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में बड़े पैमाने पर लीची की खेती होती है. कुल म‍िलाकर लीची स्थानीय लोगों की जीविकोपार्जन का एक सफल माध्यम है और इससे जुड़कर आज कई महिलाएं लीची के अलग-अलग उत्पाद भी बना रही हैं,जिनमें से  लीची का रसगुल्ला और जूस प्रमुख है. एक ऐसी ही महिला लक्ष्मी कुमारी भी हैं, जो समूह के माध्यम से जुड़कर प्रशिक्षण लेने के बाद लीची का रसगुल्ला और जूस बना रही हैं. साथ ही खेती भी कर रही हैं. लीची का रसगुल्ला और खेती जैसे प्रयासों से लक्ष्मी सफलता की कहानी ल‍िख रही हैं. मसलन, कोरोना से पहले वे केवल एक गृहणी तक सीमित रहने वाली लक्ष्मी आज एक किसान, व्यापारी बनने की ओर अग्रसर है

लक्ष्मी का खुद का लीची का एक बागान है. साथ ही वे सब्जी की खेती व बकरी पालन से भी बेहतर कमाई कर रही हैं. वह कहती है कि वह उन लीचियों का उपयोग अलग उत्पाद बनाने में नहीं कर पाती थी, लेकिन अब लीची से अलग-अलग उत्पाद बनाती है. उनके समूह में करीब 25 महिलाएं हैं.

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गृहणी से अब बन रही है व्यवसायी

लक्ष्मी किसान तक को बताती हैं कि वह ग्रेजुएट हैं. साथ ही कंप्यूटर ऑपरेटिंग का कोर्स भी किया है. कोरोना से पहले वह केवल घर तक ही सीमित थी, लेकिन कोरोना के समय घर की स्थिति बेहतर नहीं थी. रोजमर्रा की जरूरत पूरी नहीं हो पा रही थी. उसके बाद विचार आया कि लीची हमारे यहां इतने बड़े पैमाने पर हो रही है क्याेंना इससे जुड़ा कोई रोजगार किया जाए. 
लक्ष्मी ने बताया क‍ि अपने इस आइड‍िया पर काम करते हुए उन्होंने आत्मा योजना के तहत राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र से प्रशिक्षण लिया गया. वहां से उन्होंने मशरूम का अचार, बिस्कुट, लीची से जूस और रसगुल्ला बनाने का प्रश‍ि‍क्षण ल‍िया. लक्ष्मी ने बताया क‍ि वे अब खेती के साथ लीची का रसगुल्ला बना रही हैं. यह कहती हैं कि केवल लीची के रसगुल्ला से महीने का 5 से 6 हजार रुपए की कमाई कर रही हूं. साथ ही बकरी पालन, कृषि से जुड़कर साल का 2 से तीन लाख की कमाई कर लेती हूं. अभी समूह के जरिये जुड़कर एक साल भी पूरे नहीं हुए हैं. जहां कभी एक रुपए की कमाई नहीं थी. केवल घर तक सीमित थी, लेकिन आज दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए तैयार हो रही हूं.

लीची से बनाती हैं रसगुल्ला

आप लोगों ने लीची का जूस जरूर पिया होगा. लेकिन अब लीची का रसगुल्ला भी बनाया जा रहा है. मुजफ्फरपुर जिले की महिलाएं सरकार की आत्मा व अन्य माध्यमों से जुड़कर  प्रशिक्षण ले रही हैं. लक्ष्मी कर्णपुर के बोचहां प्रखंड की रहने वाली हैं. ये साही लीची से रसगुल्ला बनाने के बारे में बताती हैं कि 200 ग्राम लीची का रसगुल्ला बनाने में करीब 12 से 14 लीची, 100 ml पानी और 75 ग्राम चीनी लगता है. इसे बनाने में खर्च करीब 75 से 80 रुपए तक आ जाता है. वहीं 100 रुपए के आसपास बेचा जाता है. आगे कहती हैं कि इससे अगर फ्रिज में रखते हैं. तो यह एक महीना तक रहता है. वहीं कोल्ड स्टोरेज में रखने पर एक साल तक रह सकता है. उससे बाहर लाने के बाद 2 महीने तक. वहीं सामान्य तापमान में 12 से 14 दिन तक उपयोग किया जा सकता है.

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लीची का जूस बनाने के साथ खेती से भी करती हैं कमाई

लक्ष्मी कहती हैं कि उनके पास करीब 7 एकड़ जमीन है, जिनमें लीची का बागान भी है और खेती भी होती हैं. वे कहती हैं कि पहले उनके पति ही पूरा कारोबार देखते थे. लेकिन वे भी अब उनकी खेती में सहयोग करती है. साथ ही समूह के साथ जुड़कर काम करती हैं. इसके साथ ही घर पर भी लीची का रसगुल्ला, मशरूम का अचार, मोटे अनाज के लड्डू सहित अन्य उत्पाद बनाती है. लक्ष्मी ने बनाया क‍ि वे पर हर रोज करीब 20 के आसपास लीची का रसगुल्ला बेच देती हैं. साथ ही सब्जी की खेती से भी कमाती हैं.कुल मिलाकर एक एवरेज कमाई कर ले रही हैं. आने वाले समय ये सफर अनेक सफलता को हासिल करेगा.