Success Story: जैविक खेती ने बिहार के किसान की तंगहाली दूर कर दी, 8 हजार की कमाई बढ़कर 1 लाख के पार पहुंची

Success Story: जैविक खेती ने बिहार के किसान की तंगहाली दूर कर दी, 8 हजार की कमाई बढ़कर 1 लाख के पार पहुंची

जैविक खेती की मदद से गया का किसान कम जमीन में पहले की तुलना में अधिक कमाई कर रहा है. आठ कट्ठा जमीन से साल का एक लाख से अधिक की है कमाई हो रही है, जो पहले मुश्किल से 8 हजार से अधिक हो पाती थी.

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Success Story: जैविक खेती ने बिहार के किसान की तंगहाली दूर कर दी, 8 हजार की कमाई बढ़कर 1 लाख के पार पहुंचीसमेकित कृषि प्रणाली की मदद से गया का किसान कम जमीन में कर रहा अधिक कमाई.आठ कट्ठा जमीन से साल का एक लाख से अधिक की है कमाई. अब कृषि टूरिज्म के रूप में विकसित करने की तैयारी कर रहे हैं.

आठ कट्ठे जमीन में कभी 8 हजार रुपए साल का मिलना बहुत बड़ी बात थी. अब इसी जमीन से सलाना 1 लाख से अधिक की कमाई हो रही है. बदलते दौर के साथ आधुनिक खेती को अपनाकर खेती को उद्योग का रूप देने में लगा हूं. समय के साथ समेकित कृषि प्रणाली के जरिये खेती से अब लगने लगा है कि खेती अच्छी कमाई करवा सकता है. बस आपको बेहतर प्रबंधन के साथ खेती करना होगा. यह बातें गया जिले के प्रगतिशील किसान अजीत कुमार रौशन बहुत खुशी मन से किसान तक को बताते हैं. इनका आठ कट्ठा जमीन गया नगर प्रखंड के कुजापी गांव में है. यह करीब बीस साल से खेती से जुड़े हुए है. लेकिन पिछले कुछ सालों से जैविक तरीके से समेकित कृषि प्रणाली के तहत सब्जी,फल सहित मशरूम की खेती शुरू किए हैं. साथ ही आने वाले दिनों में इससे कृषि टूरिज्म के रूप में विकसित करने की तैयारी कर रहे हैं. 

समेकित कृषि प्रणाली के जरिये लागत की तुलना में बीस गुना तक अधिक कमाई कर रहे हैं. फोटो -किसान तक
समेकित कृषि प्रणाली के जरिये लागत की तुलना में बीस गुना तक अधिक कमाई कर रहे हैं. फोटो -किसान तक

अजीत कुमार रौशन कहते है कि इनकी जिस जगह जमीन है. वहां बीस साल पहले कोई दिन में भी आना पसंद नहीं करता था. लेकिन उनके द्वारा जैविक विधि से खेती करने के साथ ही इन इलाकों में चहल क़दमी शुरू हुई. इसके साथ ही कई किसान आधुनिक खेती की ओर कदम रखें. आज इसके अलावा आसपास के कई किसान सब्जी सहित अन्य फसलों की खेती करते हैं. वहीं कभी इन इलाकों में लोग अरहर की खेती करते थे. वजह इन इलाकों में सिंचाई का बेहतर विकल्प नहीं था. 

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खेती को कृषि टूरिज्म का रूप देने की तैयारी

प्रगतिशील किसान अजीत कहते हैं कि समेकित कृषि प्रणाली के जरिये लागत की तुलना में बीस गुना तक अधिक कमाई कर रहा हूँ. वहीं अब आठ कट्ठा जमीन को खेती को पर्यटन के रूप में विकसित करने की तैयारी में हूँ. इस पूरे आठ कट्ठा जमीन को इस तरह से विकसित कर रहा हूँ कि लोग अपने परिवार के साथ यहां आकार ग्रामीण जीवन को जीने का प्रयास करें. वहीं मिट्टी के बने चूल्हा पर खाना खुद बनाए. साथ ही रासायनिक उर्वरक की जगह जैविक विधि से तैयार फल, सब्जी का स्वाद ले सकें. जब वह यहां से अपने घर जाए तो थोड़े से भी एरिया में जैविक विधि से खेती करें. ताकी शुद्ध सब्जी और फल प्राप्त कर सकें. 

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आधुनिक तकनीक की मदद से खेती

अजीत अपने आठ कट्ठा जमीन की सिंचाई के लिए बिजली पर निर्भर नहीं रहते है. बल्कि इसके लिए वह सोलर पंप सेट का उपयोग करते हैं. साथ ही सिंचाई के लिए ड्रीप एरीगेसन,स्प्रिंकलर की मदद लेते हैं. अजीत कहते हैं कि पूरे साल में करीब बीस हज़ार रुपए तक खर्च आता है. जबकि सब्जी और फल की खेती से एक लाख से अधिक की कमाई हो जाती है. वहीं फलों में आम,अमरूद,पपीता, आँवला,नींबू,सेब,स्ट्रॉबेरी सहित अन्य कई तरह के फसलों की खेती करते हैं. साथ ही सब्जियों में देसी वैरायटी की खेती करते हैं. क्योंकि इनका मानना है कि जैविक विधि से देसी किस्म की सब्जियों का लाइफ अधिक दिन तक बना रहता है. लोगों के बीच अधिक मांग भी रहता है. 

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