खेती के साथ पशुपालन के जरिए आज कई किसान सफलता की नई कहानी लिख रहे हैं. ऐसे ही एक किसान हैं बाराबंकी जिले के विपिन वर्मा , जो खेती के साथ गोपालन, पोल्ट्री, पशुपालन और बकरीपालन से जबरदस्त कमाई कर रहे हैं और दूसरे किसानों को भी इसकी टिप्स देकर खेती के लिए प्रेरित कर रहे हैं. विपिन ने 2017 के बाद परंपरागत तकनीकों के साथ खेती शुरू की थी. लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने खेती की तकनीकों में बदलाव किया. अब वे 15 एकड़ जमीन पर आधुनिक तकनीकों से एक साथ कई फसलों की खेती कर रहे हैं. जिससे जबरदस्त मुनाफ़ा कमा रहे हैं. विपिन वर्मा 15 एकड़ लीज पर जमीन लेकर खेती और पशुपालन दोनों एक साथ करके सालाना करीब 60 लाख रुपए मुनाफा कमाते हैं.
इंडिया टुडे के किसान तक से बातचीत में प्रगतिशील किसान विपिन वर्मा ने बताया कि 2014 में देहरादून में स्थित वन अनुसंधान संस्थान (FRI) में था. इस समय मेरे मन में खेती को लेकर कुछ अलग करने का विचार आया. वहां से हमने खेती- किसानी के गुण को सिखने का मौका मिला. 2017 तक लगातार कृषि के क्षेत्र में चुनौतियां और तकनीक को जानने के बाद अपने घर बाराबंकी के रजाईपुर गांव आ गया. इस दौरान देश के अलग-अलग राज्यों में जा कर किसानों को कृषि वैज्ञानिकों से मिलता रहा. उन्होंने बताया कि यूपी के बारांबकी में किसान बड़े पैमाने पर कई फसलों की खेती करते आ रहे है. यहां की जमीन खेती के लिए सबसे अच्छी और उपजाऊ मानी जाती है.
विपिन बताते हैं कि कई किसान पर मोनोकल्चर की तरफ चले, यानी एक फसलों की खेती, इससे खर्चे बहुत अधिक बढ़ गए. दूसरा फसलों में रोगों के बढ़ने से फसलों को नुकसान होने लगा. सबसे पहले हमने रोगों से लड़ने के लिए पेस्ट मैनेजमेंट की तरफ गए, इससे हम लोग एक जमीन पर ज्यादा से ज्यादा फसलों को लगाए. जिसे हम मल्टी क्रॉपिंग कहते हैं. इससे कम लागत में अधिक मुनाफा होगा. सबसे पहले खेती में देसी बीज संभालने का काम किया, और गांव की 2.5 एकड़ जमीन पर आलू, फूल गोभी, पत्ता गोभी, हरा मटर, टमाटर, लौकी की खेती शुरू की.
उन्होंने बताया कि जमीन की मिट्टी को मजबूत और उपजाऊ बनाने के लिए एक प्रयोग हमने किया, जहां खाद के रूप में गाय-भैंस के गोबर और बकरी-मुर्गी की बीट के इस्तेमाल से फसलों की पैदावार बहुत तेजी से बढ़ने लगी. दरअसल गाय के गोबर में माइक्रोब्स बहुत होता, भैंस के गोबर में कार्बन कंपोनेंट्स और बकरी-मुर्गी की बीट में मिनरल्स और पोटाश की मात्रा अधिक होती है. इन सब तकनीकों का प्रयोग करके हमने खेती का एक मॉडल तैयार किया. नियमित रूप से सॉइल टेस्टिंग करना भी जरूरी है ताकि मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी के बारे में पता चलने पर तुरंत उस कमी को पूरा किया जा सके.
बाराबंकी जिले के विपिन वर्मा कहते हैं कि इन सबको मिलाकर प्राकृतिक खाद बनाया और इसके खेत में डालने से मजबूत और ज्यादा उत्पादन फसलों का हुआ है. आज वह अपनी 15 एकड़ लीज की जमीन पर लाल आलू की खेती से 30 लाख, मटर से 2 लाख, खरबूजे से 12 लाख, टमाटर से 13 लाख और लौकी से 6 लाख रुपये का मुनाफा कमा रहे हैं. यानी कुल मिलाकर 60 लाख रुपये के बीच सारा खर्च निकालने के बाद कमाई हो जा रही है. जबकि बकरी और मुर्गियों से 20 हजार रुपये तक की इनकम हो जाती है.
उन्होंने बताया कि क्योंकि हमारा फोकस उनके गोबर के इस्तेमाल पर ज्यादा रहता है. सफल किसान विपिन का कहना है कि खेती में यदि आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया जाए तो बेहतर कमाई की जा सकती है. इसके लिए आपको उस फसल के बारे में सारी जानकारी होनी चाहिए. 3 साल पहले जब हमने IPM तकनीक का इस्तेमाल किया तो अच्छी पैदावार टमाटर समेत कई सब्जियों की हुई. इससे हमारी सब्जियों में कीड़े-मकोड़े से नुकसान नहीं होता. यह सीधे नीले पीले ट्रैप पर अटैप हो जाते हैं.
उनकी खेती में देसी बीजों का अहम योगदान है, जिसे वह सबसे पहले संभालते हैं. उनकी खेती में देसी बीजों का अहम योगदान है, जिसे वह सबसे पहले संभालते हैं. विपिन आज खुद एक सफल किसान हैं, जो दूसरे किसानों को भी एक साथ कई फसलों की खेती के बारे में जानकारी दे रहे हैं. साथ ही प्राकृतिक खेती के लिए भी वे किसानों को प्रेरित कर रहे हैं.
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