कहते हैं कि यात्राएं हमारे जीवन को नई दिशा देती हैं. इसमें भी अगर हम रास्ता भूल जाएं तो यह कुछ गहरे अनुभव दे जाती हैं. कुछ ऐसा ही हुआ पंजाब के रहने अमनदीप सिंह के साथ. दरअसल, अमनदीप सिंह अपने दोस्तों के साथ गुजरात की रोड ट्रिप पर निकले, लेकिन रास्ता भटक गए. इस दौरान कुछ ऐसा देखा, जिससे उनकी जिंदगी बदल गई.
'स्टार्टअप पीडिया' की रिपोर्ट के मुताबिक, अमनदीप ने बताया कि वे ग्रेजुएशन पूरा कर दोस्तों के साथ पंजाब से घूमने निकले, लेकिन दिशा समझ न आने के कारण रास्ता भटक गए. सही रास्ता ढूंढने के दौरान उन्होंने पौधे लगा हुआ एक विशाल खेत देखा. वे पौधों को पहचान नहीं पाए और उत्सुकता से कार रोककर खेत की ओर चल पड़े, जहां एक किसान से उनकी मुलाकात हुई.
पूछने पर किसान ने अमनदीप को बताया कि ये पौधे ड्रैगनफ्रूट के हैं. देश के छोटे-बड़े शहरों में इनकी बहुत मांग रहती है. इस व्यवसाय में मुनाफा भी बहुत अच्छा है. इसका फल 200 रुपये प्रति किलोग्राम से भी ज्यादा बिकता है. अमनदीप नए फल और इसकी डिमांड को देखकर इतना खुश हुए कि उन्होंने पंजाब में अपने खेत में इसकी खेती करने का फैसला किया. अमनदीप सिंह ने बताया कि उनका पारिवार पहले से ही उत्तरी भारत में चंदन के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है. ड्रैगनफ्रूट की खेती करने के लिए अपने परिवार को मनाना बहुत मुश्किल नहीं था.
अमनदीप ने बताया कि शुरुआती दौर में रिसर्च और विदेशी फल उगाने के तरीके को समझने में उनका समय बीता. उन्होंने पहले से ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे गुजरात और पड़ोसी राज्यों के किसानों से मुलाकात की और इसे सीखने की कोशिश की. आखिरकार उन्होंने पौधे मंगवाए और पंजाब वापस लौट आए. इसके बाद जो कुछ भी उन्होंने सीखा था, उसे लागू करना शुरू कर दिया.
अमनदीप ने अपने खेत पर प्रति एकड़ लगभग 4 लाख रुपये निवेश कर ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए मिट्टी तैयार की, लेकिन कठिनाई तब हुई उनकी चार फसले खराब हो गई, जिसमें बहुत सारे कारण सामने आए. फिर उन्होंने पौधे का मौसम के अनुकूल न हो पाना से लेकर ड्रैगन फ्रूट के लिए जरूरी मिट्टी की सही संरचना को न समझ पाना जैसे फैक्टर समझे. अमनदीप को एहसास हुआ कि उनके खेत की मिट्टी पहले से ही काफी उपजाऊ थी और उसे बहुत ज्यादा कीटनाशकों और खाद की आवश्यकता नहीं थी, लेकिन अब तक उन्होंने मिट्टी में जरूरत से ज्यादा खाद डाली थी.
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इसके बाद उन्हाेंने गुजरात में उनके दोस्त बन चुके किसानों की सलाह पर शत प्रतिशत जैविक खेती करने का फैसला किया और नीम और प्राकृतिक खाद का इस्तेमाल किया. देखते ही देखते हालात बदल गए और 18 महीने बाद ड्रैगनफ्रूट के पौधे खिलने लगे. साल 2018 में अमनदीप ने अपने कृषि-स्टार्टअप के रूप में सराओ एक्ज़िम फार्म लॉन्च किया, जो पंजाब में ड्रैगन फ्रूट का एक प्रमुख उत्पादक बन गया. समय गुजरने के साथ अमनदीप ने फलों की और वैरायटी उगाना शुरू कर दिया और अब वे 12 से ज्यादा प्रकार के विदेशी फल उगाते हैं. इनमें वाल्डिविया रोजा, असुंटा, अमेरिकन ब्यूटी और पर्पल हेज़ शामिल हैं.
अमनदीप सिंह ने बताया कि शुरुआत में पौधे मंगवाने में बहुत मुश्किल होती थी. इसमें बहुत समय लगता था और कभी-कभी ट्रांसपोर्ट में क्वालिटी को लेकर भी दिक्कत होती थी. बाद में उन्होंने ड्रैगनफ्रूट के पौधे इम्पोर्ट करना शुरू कर दिया. इससे सोर्सिंग पहले की तुलना में ज्यादा सही हो गई और क्वालिटी भी खराब नहीं हुई.
अमनदीप बताते है कि सराओ एक्ज़िम फार्म में 10-12 लोगों की एक टीम है, जिसमें कुछ किसान कॉन्ट्रैक्ट पर काम करते हैं. उनका मुख्य कमाई का जरिया देश में थोक विक्रेताओं को ड्रैगनफ्रूट बेचना है. वह वर्तमान में ड्रैगनफ्रूट की खेती से प्रति एकड़ लगभग 15 लाख रुपये का रेवेन्यू कमाते हैं.
कटाई की अवधि और प्रक्रिया को लेकर अमनदीप कहते हैं कि यदि आप इसे सही तरीके से करते हैं तो ड्रैगनफ्रूट पौधे में फल आने में एक वर्ष लगता है और दूसरे साल तक ये व्यावसायिक उपयोग के लिए तैयार हो जाते हैं. आज अमनदीप सिंह सैकड़ों किसानों को भी प्रशिक्षित करते हैं, जो ड्रैगनफ्रूट की खेती शुरू करना चाहते हैं. वे कहते हैं, ''मेरे पास कोई रहस्य नहीं है और मैं चाहता हूं कि ज्यादा से ज्यादा किसान ड्रैगनफ्रूट की खेती करके अपनी आय दोगुनी करें''.
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