Success Story: मिर्च उगाकर इस किसान ने कमाए 8 एकड़ में 40 लाख, इस तकनीक से हुआ कमाल

Success Story: मिर्च उगाकर इस किसान ने कमाए 8 एकड़ में 40 लाख, इस तकनीक से हुआ कमाल

लाल मिर्च की खेती करके चंद्रपुर के युवा किसान ने दूसरों को दिखाई नई राह. पारंपरिक खेती छोड़ी. ग्रीन एल्गी और ड्रिप इरिगेशन का किया इस्तेमाल. पौधों तक खाद पहुंचाने का तरीका बदला तो हो गया कमाल. युवा किसान साहिल की सफलता की कहानी.

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Success Story:  मिर्च उगाकर इस किसान ने कमाए 8 एकड़ में 40 लाख, इस तकनीक से हुआ कमालनई तकनीक से मिर्च की खेती कर युवा किसान ने किया कमाल (फोटो किसान तक)

महाराष्ट्र के सूखा प्रभावित चंद्रपुर जिले के एक 22 वर्षीय किसान ने 8 एकड़ खेत में मिर्च की फसल लगाकर 40 लाख रुपये की कमाई की है. उसने पानी की बचत के लिए ड्रिप इरीगेशन का इस्तेमाल किया. खेती का नया तरीका अपनाया और कमाल का रिजल्ट आया. बंपर उत्पादन ने इस युवा किसान की किस्मत बदल दी. सफलता की यह कहानी चंद्रपुर के तोहोगाव निवासी 22 साल के साहिल मोरे की है. मोरे ने लाल मिर्च की खेती की.

उच्च शिक्षित होने बावजूद नौकरी करने के बजाय खेती करने का फैसला लेकर साहिल ने अपने किसान पिता का हाथ बंटाना शुरू किया. लेकिन, खेती के पारंपरिक तौर तरीके छोड़ दिया. जिससे उसकी पहचान प्रगतिशील किसान के तौर पर बन गई. 

नए तौर-तरीके ने दिलाई सफलता

चंद्रपुर से 50 किलोमीटर दूर गोंड़पिपरी तहसील का तोहगांव भले ही छोटा गांव है, यहां पहुंचने का रास्ता ऊबड़खाबड़ है, लेकिन इस गांव में रहने वाले किसान साहिल शांताराम मोरे के रास्ते में कोई रुकावट नहीं है. क्योंकि उसके सपने बड़े हैं और उसे पूरा करने के लिए उन्होंने खेती में कुछ हटकर प्रयोग किया. उनके खेत में जहां तक नजर जाएगी वहां तक लाल मिर्च और लाल मिर्च के हरे पौधे ही नजर आएंगे.  

वर्धा नदी के किनारे है खेत

दरअसल साहिल का खेत वर्धा नदी के किनारे है. उनके पिता सोयाबीन, चना, कपास आदि की खेती करते थे. बाढ़ग्रस्त इलाका होने के कारण बारिश के दिनों में बाढ़ से फसल का नुकसान होता था, इसीलिए साहिल ने कुछ अलग करने का सोचा और जानकारी जुटाते हुए लाल मिर्च की फसल लगाने की ठानी. क्योंकि मिर्च की फसल नवंबर महीने में लगाई जाती है. तब तक बाढ़ का खतरा भी टल जाता है. मिर्च की फसल लगा तो ली लेकिन इसकी पैदावार उम्मीद से कम ही होती थी, इसीलिए साहिल ने खेती की नई तकनीक की जानकारी जुटाई. 

ग्रीन एल्गी के इस्तेमाल से आया बदलाव

नदी के पानी में काई (ग्रीन अल्गी) बड़े पैमाने पर रहती है, जिसमें फसल के लिए उपयुक्त प्रोटीन की मात्रा बड़े पैमाने पर होती है. इसमें नाइट्रोजन भी होता है. फसल के लिए नदी का पानी तो पहले से ही इस्तेमाल किया जाता था लेकिन ग्रीन अल्गी में मिलने वाले हाई प्रोटीन को फसल तक पहुंचाने  लिए नई तकनीक का इस्तेमाल करते हुए खेत में ड्रम फ़िल्टर लगाया गया. नदी से आने वाला पानी और काई (ग्रीन अल्गी) इस ड्रम फ़िल्टर में जमा होती है, और इस ड्रम फ़िल्टर की मदद से काई के छोटे-छोटे टुकड़े कर लिए जाते हैं. फिर इस काई युक्त पानी को ड्रिप इरिगेशन के सहारे सीधे मिर्ची के जड़ों तक पहुंचा दिया जाता है. 

 युवा किसान नई तकनीक से मिर्च की खेती कर कमा रहा है अच्छा मुनाफा
युवा किसान नई तकनीक से मिर्च की खेती कर कमा रहा है अच्छा मुनाफा

 

खाद पर कम हो गया खर्च

साहिल इतने पर ही नहीं रुका. फसल को खाद की जरुरत होती है, जिसे पौधों तक पहुंचाने के लिए समय पर मजदूर नहीं मिलते. खर्च भी ज्यादा होता है. इसीलिए फसल तक खाद पहुंचने के लिए भी नई तकनीक का इस्तेमाल किया. एक ड्रम में अलग-अलग खाद मिलाकर घोल बनाया और उसे पाइपलाइन के जरिए पौधों की जड़ों तक पहुंचा दिया. इससे खाद पर खर्च भी कम हो गया. एक तरह से ड्रिप इरिगेशन से पानी और खाद बून्द-बून्द कर पौधों के जड़ों को मिलता रहता है. नई तकनीक की मदद से आठ एकड़ से करीब 40 लाख रुपये की मिर्च बेची.  साहिल ने हॉर्टिकल्चर की पढ़ाई की है.

 

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