यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गंगा यमुना जैसी बड़ी नदियों की जलधारा को पुष्ट करने वाली स्थानीय नदियों के लुप्त होने को मानवता के लिए खतरे की घंटी बताया है. जल संसाधनों के संवर्धन पर सरकार के प्रयासों की समीक्षा करते हुए योगी ने कहा कि लगभग हर इलाके में बहने वाली स्थानीय नदियां न केवल किसानों की सिंचाई एवं पेयजल आपूर्ति की स्रोत हैं, बल्कि ये नदियां, बड़ी नदियों में मिलकर पानी के बहाव को भी स्थायित्व प्रदान करती हैं. कालांतर में विकास की बेहिसाब दौड़ के कारण तमाम छोटी स्थानीय नदियों के संकटग्रस्त होने पर योगी ने चिंता जताते हुए इन्हें फिर से जीवंत बनाने की मुहिम शुरू की है. सीएम योगी ने इसका आगाज लखनऊ की कुकरैल और सई नदी से किया है.
योगी ने लखनऊ की स्थानीय नदियों कुकरैल और सई के पुराने स्वरूप को बहाल करने के लिए इन नदियों का सर्वे कराने का आदेश दिया है. इन नदियों के पुनरुद्धार को लेकर उन्होंने विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ एक उच्चस्तरीय बैठक में पहले कुकरैल नदी का सर्वे करने के लिए एक टीम का गठन किया है. मुख्यमंत्री ने नगर विकास विभाग के प्रमुख सचिव को सर्वे टीम का नोडल अफसर नियुक्त किया है.
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बैठक में अधिकारियों ने सीएम योगी को बताया कि फिलहाल गंदा नाला बन चुकी लखनऊ की कुकरैल नदी अभी पूरी तरह से नष्ट नहीं हुई है. यह नदी अभी जीवित है. उन्होंने बताया कि अभी भी अधिकतम फ्लो के समय इस नदी में 1700 क्यूसेक पानी रहता है, जबकि इसमें पानी की न्यूनतम मात्रा 120 क्यूसेक तक बरकरार रहती है.
योगी ने इन जानकारियों के आधार पर अधिकारियों से कुकरैल नदी का 'टॉप टू टेल' यानी उद्गम से समागम स्थल तक सर्वे कराने को कहा. जिससे इस नदी का पुराना स्वरूप बहाल करने का काम 'कुकरैल रिवर रिवाइटल एंड वाटर फ्रंट डेवलपमेंट प्रोजेक्ट' के तहत पूरा कराया जा सके. इस काम को सिंचाई विभाग, लखनऊ विकास प्राधिकरण, नगर विकास, जल निगम, नगर निगम और वन एवं पर्यावरण विभाग मिलकर अंजाम तक पहुंचाएंगे. नगर विकास विभाग के प्रमुख सचिव बतौर नोडल अफसर, इस काम का नेतृत्व करेंगे.
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस नदी का नैसर्गिक सौंदर्य बहाल करने के लिए इसका मेजर एरिया सर्वे करते हुए इसके बहाव क्षेत्र में रह रही आबादी और यातायात का भी पूरा सर्वे करना होगा. इससे नदी का पुनरुद्धार करते हुए इंसानी गतिविधियों को प्रभावित किए बिना ही यह काम हो जाएगा. इसके लिए उन्होंने नदी के फ्लड लेवल की रिपोर्ट तैयार करके इसके बहाव क्षेत्र यानी कैचमेंट एरिया को चिह्नित करने का निर्देश दिया.
मुख्यमंत्री ने कुकरैल नदी के पुनरुद्धार करते हुए इसका नैसर्गिक सौंदर्य बहाल करने के लिए इसके आसपास बटरफ्लाई पार्क और फिशिंग जोन बनाने को भी कहा. साथ ही नदी के किनारे रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने, जॉगिंग एरिया बनाने तथा छठ पूजा घाट और पार्किंग जैसी सुविधाएं भी मुहैया कराने को कहा है.
मुख्यमंत्री योगी ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि कुकरैल नदी में पानी के बहाव को पहले की तरह बहाल करने के लिए जरूरी अध्ययन कराया जाना चाहिए. इसके लिए उन्होंने विभिन्न विभागों के अफसरों की एक टीम को गुजरात भेजकर साबरमती रिवर फ्रंट का भी अध्ययन कराने को कहा.
उन्होंने निर्देश दिया कि नदी के बहाव क्षेत्र में हुए अतिक्रमण को कैसे हटा सकते हैं, इसकी कार्ययोजना भी बनाई जाए. रिवर फ्रंट बना कर कुकरैल नदी का पुनरुद्धार करने के क्रम में उन्होंने तय समय सीमा में नदी की ड्रेजिंग और डी सिल्टिंग करने को भी कहा. जिससे नदी के आसपास वन लगा कर इसे कुदरती स्वरूप दिया जा सके. उन्होंने नदियों के लुप्त होने को मानव सभ्यता के लिए चेतावनी बताते हुए कहा कि इसी तर्ज पर प्रदेश में अन्य स्थानीय नदियों को भी संकट से उबार लिया जाएगा.
उन्होंने कहा कि कुकरैल नदी के पुनरुद्धार अभियान की हर सप्ताह समीक्षा की जाएगी. सीएम योगी ने कुकरैल नदी के साथ ही लखनऊ की सई नदी को भी पुनर्जीवित करने की विस्तृत कार्ययोजना रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया.
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जानकारों के मुताबिक कुकरैल नदी लखनऊ की जीवनधारा मानी गई गोमती नदी की सहायक नदी है. इसका उद्गम लखनऊ के निवाजपुर दसौली गांव के पास से हुआ है. पेपरमिल होते हुए कुकरैल, 28 किमी का सफर तय करके गोमती नदी में मिल जाती है.
बीते 5 दशक में शहर के बेकाबू विस्तार के कारण यह नदी लगातार सिकुड़ती गई. लगभग 50 साल पहले तक बेहद साफ पानी वाली यह नदी लखनऊ के ग्रामीण इलाकों में किसानों और उनके खेतों की प्यास बुझाती थी.
इसके नाम को लेकर ऐसी मान्यता है कि किसी को कुत्ता काटने पर रेबीज से बचने के लिए कुकरैल नदी में नहाना पुख्ता उपाय है. कालांतर में लखनऊ के 17 बड़े नाले कुकरैल में मिलने के कारण यह नदी अब शहर के सबसे बड़े गंदे नाले में तब्दील हो गई है.
योगी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान साल 2021 में भी कुकरैल को 17 गंदे नालों से मुक्त करने के लिए एक परियोजना शुरू की थी. तत्कालीन नगर विकास मंत्री आशुतोष टंडन ने दिसंबर 2021 में कुकरैल की सफाई परियोजना का आगाज करते हुए बताया था कि बचपन में कुत्ता काटने पर उन्हें भी कुकरैल नदी में नहलाया गया था.
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