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Water Crisis: आंखों में पानी आ जाएगा मगर कुएं में नहीं, इस गांव की कहानी सुन रो पड़ेंगे आप 

Water Crisis: आंखों में पानी आ जाएगा मगर कुएं में नहीं, इस गांव की कहानी सुन रो पड़ेंगे आप 

नास‍िक में पानी की कमी इस हद तक है कि खेती भी सिर्फ एक सीजन में ही हो पा रही है. चांदवड के वराडी गांव का हाल कुछ ऐसा था कि दूर-दूर तक कहीं भी हरियाली नजर नहीं आती. ऐसा लगता है जैसे सूखी जमीन चीख-चीखकर पानी की बूंदों की गुहार लगा रही हो.

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जल संकट से जूझ रहा है नासिक (Photo-Sarita Sharma/Kisan Tak). जल संकट से जूझ रहा है नासिक (Photo-Sarita Sharma/Kisan Tak).

किसान कितना अहम है ये बताने की जरूरत नहीं है. किसान के लिए पानी कितना अहम है इस पर चर्चा बेमानी होगी. इन दोनों ही मुद्दों को पड़ताल की नहीं समाधान की जरूरत है. अफसोस ये है कि समाधान मिलता नहीं है और समस्या बढ़ती ही जाती है. ऐसा ही नजारा हमें दिखा महाराष्ट्र के नासिक में. नासिक के चांदवड तालुका के वराणी गांव के हालात देखकर आंखों से बेशक पानी आ जाए मगर यहां दूर-दूर तक पानी नसीब होना मुमकिन नहीं लगता है. यहां अब भी लोगों के लिए पानी का जरिया कुआं ही है, मगर हालात ये हैं कि यहां कुएं तो हैं, उनमें पानी नहीं है. 

पानी की कमी इस हद तक है कि खेती भी सिर्फ एक सीजन में ही हो पा रही है. चांदवड के वराडी गांव का हाल कुछ ऐसा था कि दूर-दूर तक कहीं भी हरियाली नजर नहीं आती. ऐसा लगता है जैसे सूखी जमीन चीख-चीखकर पानी की बूंदों की गुहार लगा रही हो. 

क्या कहते हैं किसान

वहां के किसान नंदू पवार  से हमने पानी के संकट और खेती को लेकर बातचीत की. उन्होंने बताया कि पानी की कमी की वजह से ही इस पूरे क्षेत्र के क‍िसान स‍िर्फ एक फसल ले पाते हैं. यही इन क‍िसानों की ज‍िंदगी की सबसे बड़ी समस्या है. हालांकि अध‍िकांश क‍िसानों ने कुओं का न‍िर्माण करवाया हुआ है मगर अप्रैल महीने से ही ये कुएं सूख चुके हैं. नंदू ने बताया कि उनके पास 4 कुएं हैं, लेकिन अप्रैल में ही उनमें पानी नहीं है. एक कुआं नौ साल पुराना है, जिसके जर‍िए कुछ पानी पीने के लिए मिल जाता है, लेक‍िन उससे खेती नहीं कर पाते. उन्होंने एक कुआं 113 फुट गहरा बनवाया है. किसान ने बताया कि पूरे गांव के किसानों की यही स्थ‍िति है. हर किसान के पास 2-3 कुएं हैं, जिनसे गर्म‍ियों में मुश्क‍िल से पीने के पानी का काम चल पाता है. खेती क‍िसानी के ल‍िए नादू ने सरकारी मदद से तालाब बनवाया था. उसमें कुछ पानी बचा हुआ है. ज‍िन क‍िसानों को मदद नहीं म‍िल पाती वो मजबूरी में खुद की जेब से पैसा लेकर इसका न‍िर्माण करते हैं. ऐसा न करें तो खेती करना और मुश्क‍िल हो जाएगा. 

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चुनावी वादों पर पानी फेरते नेता 

यहां के एक और किसान श‍िवाजी पवार ने बताया कि जब बारिश से कुआं भर जाता है तब उसका पानी खेती के ल‍िए बनाए गए पक्के तालाब में डाल देते हैं. उसे पूरा स्टोर करके रखते हैं. ताक‍ि संकट के समय वह पानी काम आए. सूखे से जूझ रहे इस गांव की आबादी करीब 11 सौ की है. गर्मी के दिनों में यहां के क‍िसान प्याज की खेती करते हैं, दूसरा कोई चारा नहीं है. प्याज की खेती में कम पानी लगता है. बारिश के समय बाजरे की खेती होती है. जिन किसानों के कुओं में पीने का पानी नहीं होता वो दूसरे किसानों से मांगते हैं. इस तालुका में डैम नहीं है. अगर सरकार ध्यान दे तो हमारे तालुका में पानी की जो समस्या है वह हमेशा के लिए खत्म हो सकती है. यहां दूसरे ज‍िलों के डैम से पानी लाया जा सकता है. मई के महीने में सरकार की तरफ से गांव पीने का पानी पहुंचाने के ल‍िए टैंकर आता है, वो भी 1-2 दिन बाद. कभी आता है तो कभी नहीं भी आता है. किसान ने कहा क‍ि चुनाव के समय मंत्री वादा करते हैं क‍ि पानी की सुविधा देंगे लेकिन चुनाव खत्म होते ही वो सब भूल जाते हैं. 

पानी की कमी से सिर्फ एक ही सीजन में खेती कर पा रहे हैं किसान.
पानी की कमी से सिर्फ एक ही सीजन में खेती कर पा रहे हैं किसान.

पशुपालन पर भी बुरा असर

किसान नादू ने बताया कि उनके पास पहले 12 गाय थीं. वो खेती के साथ दूध का भी कारोबार करते थे. लेकिन पानी की कमी की वजह से यह काम भी प्रभाव‍ित होने लगा. चारे का संकट होने लगा. इसल‍िए गायों को बेचना पड़ा. क्योंकि हर गाय पर रोजाना करीब 150 लीटर पानी की खपत होती थी. जब हम इंसानों के ल‍िए पानी नहीं है तो फ‍िर हम गायों के ल‍िए कहां से इंतजाम करते. इसल‍िए उन्हें बेचना पड़ा. क‍िसान ने कहा क‍ि पानी की कमी से इस क्षेत्र के लोगों को स‍िर्फ आर्थ‍िक नुकसान का सामना नहीं करना पड़ रहा है बल्क‍ि लोग सामाज‍िक चुनौत‍ियों से भी जूझ रहे हैं. बच्चों की शादी में समस्या आ रही है. जब पानी नहीं है तो खेती कैसे करें और आय कैसे बढ़ाएं.  

पानी को लेकर मह‍िलाओं का संघर्ष

इसी गांव की महिला इंदुमंती और सरला ने पानी को लेकर आपबीती सुनाई. इंदुमंती ने कहा क‍ि जनवरी के बाद पानी की क‍िल्लत शुरू हो जाती है. जब टैंकर नहीं आता है तब करीब दो क‍िलोमीटर दूर धूप में जाकर पानी लाना पड़ता है. सूखा होने के कारण कोई भी बाप अपनी बेटी की शादी इस क्षेत्र में नहीं करना चाहता क्योंक‍ि जो लड़की दूसरे क्षेत्र से आएगी उसे पानी का संकट तोहफे में म‍िलेगा.  

सरला कहती हैं क‍ि गांव की 70 फीसदी महिलाओं को पानी के लिए दूर-दूर जाना पड़ता है. अगर कुओं में पानी सूख गया तो इसके अलावा कोई चारा नहीं है. मई तक अध‍िकांश कुओं का पानी सूख जाता है. पानी की कमी का सबसे ज्यादा संकट मह‍िलाओं के सामने आता है. पानी कमी होने की वजह से घर के कामकाज प्रभाव‍ित होते हैं. हम पानी को सोने-चांदी की तरह संभाल कर रखते हैं. 

नासिक में पीने के पानी के लिए महिलाओं को दूर-दूर तक जाना पड़ता है.
नासिक में पीने के पानी के लिए महिलाओं को दूर-दूर तक जाना पड़ता है.

कुएं का पानी पिया है आपने!

इस गांव में घूमते हुए मैंने अध‍िकांश कुओं को अप्रैल में ही सूखा पाया. कुछ कुओं में पानी था लेक‍िन बेहद कम. मैंने अब तक कभी कुएं का पानी नहीं पीया था. इसल‍िए इस पानी का स्वाद चखने का फैसला क‍िया. एक किसान ने कुएं का पानी प‍िलाया. यकीन मान‍िए क‍ि इतना मीठा पानी मैंने पहले कभी नहीं पीया था. लेक‍िन, दुर्भाग्य देख‍िए क‍ि इस क्षेत्र के गांवों के लोगों को पानी के ल‍िए क‍ितना संघर्ष करना पड़ता है. यहां आकर ऐसा लगता है क‍ि वाकई ब‍िन पानी सब सून है.