किसानों को खेती करने के लिए पैसों की कमी नहीं हो और सही समय पर वो अच्छे से खेती कर सकें इसके लिए उन्हें कृषि लोन दिया जाता है. पर उत्तर प्रदेश के किसानों को दिए गए लोन की राशि का इस्तेमाल कृषि कार्यों को छोड़कर अन्य कार्यों के लिए किया जा रहा है. उत्तर प्रदेश कृषि विभाग ने कथित तौर पर पाया है कि लोन की राशि का इस्तेमाल किसान फैंसी शादियां करने या कार खरीदने के लिए कर रहे हैं. इस तरह की बाते सामने आने के बाद कृषि विभाग लोन के पैसों का दुरुपयोग रोकने के लिए उपाय करना शुरू कर दिया है. विभाग ने इस मुद्दे को ऐसे समय में उठाया है जब इस तरह की घटनाओं के कारण अब किसानों का करोड़ों रुपये का बकाया हो गया है. जिसके कारण सरकार को ऋण माफी का सहारा लेना पड़ता है और फिर इसके कारण राज्य सरकार पर वित्तीय बोझ पड़ता है.
सीएनबीसी के मुताबिक उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने भी इस बात की पुष्टि की है कि किसानों द्वारा फसल ऋण लेकर उसका अन्य कार्यों में इस्तेमाल करने शिकायतें बढ़ रही है. उन्होंने कहा कि विभाग कृषि लोन की राशि का इस तरह से हो रहे इस्तेमाल को बंद करने के लिए प्रयास तेज करेगा. क्योंकि इस राशि का इस्तेमाल फसल उत्पादन को बढावा देने के लिए होना चाहिए. शाही ने कहा कि कई किसान पैसे का दुरुपयोग करने के बाद अपने ऋण का भुगतान नहीं कर रहे हैं.
ये भी पढ़ेंः PM Kisan Scheme: अपने मोबाइल से भी कर सकते हैं पीएम किसान का रजिस्ट्रेशन, फॉलो करें ये 7 स्टेप्स
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में सत्ता में आने के बाद योगी सरकार ने साल 2017 में राज्य के किसानों का लोन माफ किया था. लोन माफी के तहत 36,000 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे. बताया गया कि लोन माफी की राशि इतनी बड़ी इसलिए भी हो गई क्योंकि किसान इसका दुरुपयोग कर रहे हैं. वहीं पिछले साल 2022 में, प्रदेश सरकार ने 19 जिलों के लगभग 33,000 किसानों को मदद करते हुए 200 करोड़ रुपये का लोन माफ किया था.
किसानों को केसीसी के माध्यम से राज्य के वाणिज्यिक, ग्रामीण और सहकारी बैंकों से लोन दिया जाता है. राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2022-23 में किसानों को कुल लगभग 82 लाख करोड़ रुपए का कृषि लोन दिया है. केसीसी के तहत पंजीकृत 1.5 करोड़ किसानों में से कम से कम 50 लाख किसानों ने इस वित्तीय वर्ष में ऋण आवेदन दिया है. जो किसानों को सात प्रतिशत ब्याज दर पर दिया जाता है. साथ ही अगर किसान इस लोन को निर्धारित समय सीमा पर चुका देते हैं तो ब्याज दर और चार प्रतिशत तक कम कर दिया जाता है. भारतीय रिजर्व बैंक की 2020 की रिपोर्ट के मुताबिक 2009 के बाद से केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा लगभग 3.12 लाख करोड़ रुपये माफ कर दिए गए थे.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today