पीएम कुसुम योजना से किसानों को फायदा ही फायदाPM-कुसुम योजना से देश के 20 लाख किसानों को सीधा फायदा मिला है. यह जानकारी सरकार ने संसद में दी. यह योजना सोलर एनर्जी के इस्तेमाल को बढ़ावा देकर किसानों को खेती से होने वाली इनकम बढ़ाती है. इसके साथ ही, इस योजना से खेती टिकाऊ बनती है क्योंकि महंगे डीजल की जगह किसान सोलर एनर्जी से सिंचाई का काम पूरा करते हैं. अब सरकार PM-कुसुम योजना की मदद से किसानों को 'ऊर्जादाता' बनने में मदद कर रही है. किसान अब बिजली बेचकर अच्छी कमाई कर रहे हैं.
केंद्रीय रिन्यूएबल एनर्जी राज्य मंत्री श्रीपाद येसो नाइक ने मंगलवार को राज्यसभा में एक लिखित जवाब में बताया कि इस योजना से देश भर में 20 लाख से ज्यादा किसानों को फायदा हुआ है.
PM-कुसुम योजना में सरकार किसानों को सोलर पावर प्लांट लगाने का मौका देती है. किसान सब्सिडी लेकर अपने खेत में सोलर पावर प्लांट लगा सकते हैं और बिजली बेचकर कमाई कर सकते हैं. इसके अलावा किसान अपनी जमीन को किराये पर दे सकते हैं ताकि उस पर पावर प्लांट लगाया जा सके.
PM-कुसुम के कंपोनेंट A के तहत किसान सोलर पावर प्लांट लगाने के लिए अपनी जमीन लीज पर दे सकते हैं और हर साल प्रति हेक्टेयर 80,000 रुपये तक कमा सकते हैं. इस कंपोनेंट के तहत शुरू किए गए प्रोजेक्ट्स के लिए औसत इनकम लगभग 4.5 लाख रुपये प्रति मेगावाट प्रति माह होती है, जो इनकम का एक अतिरिक्त सोर्स देती है.
दूसरों ओर, कंपोनेंट B का फोकस डीजल पंपों को सोलर पंपों से बदलने पर है. एक आम 5 HP पंप जो हर दिन लगभग 4.6 लीटर डीजल इस्तेमाल करता है, किसान तेल की लागत पर सालाना कम से कम 60,000 रुपये बचा सकते हैं, और ब्रेक-ईवन पीरियड एक साल से भी कम होने का अनुमान है. इस बदलाव से डीजल जैसे तेलों पर निर्भरता भी कम होती है और सिंचाई की लागत भी कम होती है.
कंपोनेंट C के तहत, किसान सोलर प्रोजेक्ट्स के लिए जमीन लीज पर देकर हर साल प्रति एकड़ लगभग 25,000 रुपये कमा सकते हैं, जिससे ग्रामीण इनकम और मजबूत होती है.
PM-कुसुम योजना मांग के नियम पर चलती है, जिसमें क्षमताएं और फंड रिलीज राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा बताई गई डिमांड और प्रोग्रेस से जुड़े होते हैं, जो योजना के दिशानिर्देशों के अनुसार है. इस पहल का मकसद किसानों की इनकम बढ़ाना और साथ ही भारत के स्वच्छ ऊर्जा और टिकाऊ खेती के काम को आगे बढ़ाना है.
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