योगी सरकार का गो-कल्याण मॉडल, गोशाला में बन रहे इको-थर्मल कंबल और गोबर उत्पाद

योगी सरकार का गो-कल्याण मॉडल, गोशाला में बन रहे इको-थर्मल कंबल और गोबर उत्पाद

एटा की मलावन गोशाला में योगी सरकार की गो-कल्याण योजना नवाचार का मॉडल बन रही है. यहां इको-थर्मल कंबल, गोबर से कम्पोस्ट और गो-कास्ट बनाए जा रहे हैं. 30 सखी दीदियों को प्रशिक्षण देकर गोशाला को आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है.

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योगी सरकार का गो-कल्याण मॉडल, गोशाला में बन रहे इको-थर्मल कंबल और गोबर उत्पादगौशाला में रोजगार को बढ़ावा (सांकेति‍क तस्‍वीर)

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी गो-कल्याण योजना अब संरक्षण तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि यह नवाचार, पर्यावरण संरक्षण और महिला सशक्तिकरण का सशक्त मॉडल बनकर उभर रही है. एटा जनपद की मलावन गोशाला में शुरू हुई पहल ने प्रदेश में आत्मनिर्भर गोशालाओं की नई तस्वीर पेश की है. जो गोशालाएं पहले की सरकारों में बोझ मानी जाती थीं, वे अब आर्थिक रूप से सक्षम इकाइयों में तब्दील हो रही हैं.

गोशाला में बन रहे 'इको-थर्मल कंबल'

मलावन गोशाला में गोवंश को ठंड से बचाने के लिए फूस और टाट की बोरियों से विशेष 'इको-थर्मल कंबल' तैयार किए जा रहे हैं. ये कंबल न केवल कम लागत में बनते हैं, बल्कि पूरी तरह पर्यावरण के अनुकूल भी हैं. इससे गोवंश संरक्षण को मजबूती मिल रही है और संसाधनों के पुनर्चक्रण को भी बढ़ावा मिल रहा है. इसी गोशाला में गोबर से बर्मी कम्पोस्ट और ‘गो-काष्‍ठ’ जैसे नवाचारी उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं, जिनकी बाजार में अच्छी मांग देखी जा रही है.

गोशाला के स्थायी आय स्रोत के लिए हो रहा काम

एटा के मुख्य विकास अधिकारी डॉ. नागेंद्र नारायण मिश्र ने इस पहल को गो-कल्याण, पुनर्चक्रण और ग्रामीण आजीविका का उत्कृष्ट उदाहरण बताया है. उन्होंने कहा कि जिलाधिकारी प्रेमरंजन सिंह के नेतृत्व में गोशाला को आय का स्थायी स्रोत बनाने की दिशा में ठोस कार्य किया जा रहा है. उनका कहना है कि सही योजना और प्रबंधन से गोशालाएं अब सरकार पर बोझ नहीं, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूत कड़ी बन सकती हैं.

30 सखी दीदियों को दी जा रही है खास ट्रेनिंग

कार्ययोजना के तहत 30 सखी दीदियों को विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है. ये महिलाएं गोबर से अगरबत्ती, धूपबत्ती, मोमेंटो और गमले जैसे उत्पाद तैयार करेंगी. इससे न केवल गोशाला की आय बढ़ेगी, बल्कि ग्रामीण महिलाओं को रोजगार के नए अवसर भी मिलेंगे. इसके साथ ही मलावन में राष्ट्रीय राजमार्ग के पास एक स्थायी मार्केट प्लेस विकसित करने की योजना है, जहां गो आधारित उत्पादों की सीधी बिक्री की जा सकेगी.

मह‍िलाओं को हर महीने होगी आय

इस पहल का सबसे महत्वपूर्ण पहलू महिला सशक्तिकरण है. स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं हर माह निश्चित आय अर्जित कर सकेंगी. महिलाओं का कहना है कि वे गोशाला संचालन, स्वच्छता, पोषण प्रबंधन और उत्पाद निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाकर इस मॉडल को और मजबूत बनाएंगी. योगी सरकार की यह पहल साफ संकेत देती है कि गोसेवा और रोजगार एक साथ चल सकते हैं और नवाचार के जरिए गोशालाएं आत्मनिर्भर बन सकती हैं.

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